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पंचतत्व में विलीन हुए साहित्यकार व पूर्व सांसद बालकवि बैरागी
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भोपाल (ब्यूरो मप्र)। प्रसिद्ध साहित्यकार और कवि बालकवि बैरागी का पार्थिव शरीर सोमवार पंचतत्व में विलीन हो गया। गृहनगर मनासा से निकली उनकी अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोगों ने पहुंचकर श्रृद्धांजली अर्पित की। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को मनासा के कवि कॉलोनी स्थित उनके घर के बाहर दोपहर 2 बजे किया गया।
कवि बालकवि बैरागी का रविवार शाम गृह नगर मनासा में निधन हो गया था। वे 87 वर्ष के थे। वह राज्यसभा और नीमच-मंदसौर से लोकसभा सांसद भी रहे। उन्हें मप्र सरकार ने 'कवि प्रदीप सम्मान' भी दिया था पूर्व मंत्री बालकवि बैरागी दो बार विधायक, एक बार सांसद और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे। उनका जन्म 10 फरवरी 1931 को रामपुराग गांव में द्वारिकादास बैरागी एवं धापूबाई बैरागी के घर हुआ था। वे सहज, कुशल एवं प्रेम भाव वाले व्यक्ति रहे।
उन्होंने सन् 1964 में पाम विश्वविद्यालय उज्जैन से एमए (हिन्दी) प्रथम श्रेणी से की एवं लोकप्रिय कवि तथा साहित्यकार के रूप में पहचान बनाई। आपका विवाह सुशीला चंद्रिका बैरागी से हुआ। जिनका 18.07.2011 को स्वर्गवास हो गया।आपके दो पुत्र हैं। उनके जन्म का नाम नंदराम दास बैरागी था। बैरागी ने 2 दर्जन से भी अधिक पुस्तकें और कई उपन्यास लिखे हैं। उन्होंने करीब 26 फिल्मों में गीत लिखे। वे पहली बार 1967 में विधायक बने। वे सन् 1969 से 1972 तक पं. श्यामाचरण शुल्क के मंत्रिमंडल में सूचना प्रकाशन, भाषा, पर्यटन और जीएडी के राज्यमंत्री रहे। इसके बाद 1980 में अर्जुनसिंह के मंत्रिमंडल में खाद्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे। 1984 से 1989 तक तक लोकसभा सांसद रहे। 1995 से 1996 तक अभा कांग्रेस के संयुक्त सचिव रहे।
1998 में कांग्रेस ने मप्र से राज्यसभा में भेजा। 2004 में राजस्थान के आंतरिक संगठनात्मक चुनावों के लिए बैरागी को चुनाव प्राधिकरण अध्यक्ष बनाया गया। बैरागी 2008-11 तक मप्र कांग्रेस उपाध्यक्ष रहे।
29 सितंबर 1989 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी पत्नी सोनिया के साथ मंदसौर पहुंचे थे उस समय बालकवि बैरागी सांसद थे।
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