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आरसीएमएस रैंकिंग में भोपाल 49वें स्थान पर
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भोपाल (ब्यूरो मप्र)। राजस्व न्यायालयों में चल रहे केस के निपटारे में राज्य सरकार की तमाम कोशिश के बाद भी पौने चार लाख प्रकरण पेंडिंग हैं। खास बात यह है कि सरकारी सुविधाओं से भरपूर प्रदेश के बड़े जिलों के रेवेन्यू अफसर समय पर अदालतों में सुनवाई करने और केस निराकरण में छोटे जिलों से पीछे हैं। सबसे खराब हालत तो इंदौर और भोपाल की है। ये दोनों ही जिले रेवेन्यू केस मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) के केस निराकरण की रैंकिंग में 46वें और 49वें नम्बर पर हैं। टॉप 20 जिलों में सिर्प उज्जैन और जबलपुर जिले ही शामिल हो सके हैं।
आरसीएमएस में नामांतरण, सीमांकन व बंटवारे के प्रकरणों की समीक्षा राज्य शासन इन दिनों आनलाइन करता है। इसमें न्यायालय द्वारा अविवादित नामांतरण समेत कोर्ट से होने वाली फैसलों की जानकारी भी आनलाइन रहती है। रेवेन्यू कोर्ट के लिए यह व्यवस्था अनिवार्य है कि हर केस आरसीएमएस में दर्ज होगा और उसके निराकरण की स्थिति भी इसमें बताई जाएगी। इसके बाद काम में काफी सुधार आया है पर फिर भी प्रदेश के बड़े जिलों की रिपोर्ट निगेटिव है। आरसीएमएस के प्रकरणों के निराकरण की 14 जनवरी की रैंकिंग रिपोर्ट से पता चलता है कि इस पोर्टल पर दर्ज केस के निपटारे में उज्जैन संभाग का नीमच जिला सबसे आगे है। सबसे अधिक 79 प्रतिशत केस यहां निपटाए जा चुके हैं। इसके विपरीत सबसे कम प्रकरण सीधी जिले में 28 फीसदी निराकृत हुए हैं। प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में ग्वालियर 38, सागर 45 तथा रीवा 50वीं रैंक पर है। अन्य संभागीय मुख्यालयों में शहडोल 41, मुरैना 40, होशंगाबाद 31वीं रैंक हासिल कर सका है। टाप टेन में नीमच जिले के अलावा झाबुआ, श्योपुर, शाजापुर, विदिशा, अलीराजपुर, आगरमालवा, मंदसौर, बैतूल और बालाघाट शामिल हैं।
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