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कृषि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक है सियासत का विषय नहीः राजो मालवीय

👤 admin5 | Updated on:18 Jun 2017 3:19 PM GMT
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भोपाल (ब्यूरो मप्र) भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता श्री राजो मालवीय ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस ने किसानों के साथ हमेशा सियासत की है। कृषि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का प्रतीक है। भारतीय जनता पार्टी ने किसान को अन्नदाता माना है और हमेशा उसे पीछे चट्टान की तरह खड़ी रही है। आवश्यकता किसानों का सशक्तिकरण करने की है उसे चंद रूपयों की राहत देकर झुन-झुना पकड़ाने की नहीं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कृषि की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ बनाने का अनुष्ठान आंरभ किया है, जिसका उद्देश्य खेती की आय को 2022 तक दोगुना करना है। इसके लिए कृषि के क्षेत्र में निवेश किया जा रहा है। हर खेत को पानी इसका बीज मंत्र है। श्री शिवराज सिंह चौहान ने जीरो प्रतिशत ब्याज पर कर्ज, प्राकृतिक आपदा में राहत, बीमा का कवच सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि खेती पर सियासत करने वाले दल खेती के सांस्कृतिक अभियान के प्रति निरक्षरता का परिचय दे रहे हैं। किसानों में मतिभ्रम पैदा कर रहे हैं। वास्तव में खेती हमारी पुरातन परम्परा में एक यज्ञ और अनुष्ठान है। राजा महाराजा भी हल चलाकर इसे सफल बनाते थे। उन्होंने कहा कि महाराजा दशरथ ने हल चलाया था और धरा की गोद से सीता जी जैसी कन्या रत्न प्राप्त हुई थी। श्री राम और श्री कृष्ण ने भी धरा पर खेती और गौपालन कर खेती को समृद्ध बनाया था। आज भी खेती को कहावतों में सर्वोत्तम उद्यम माना गया है। रामायण में श्रीराम ने कहा कि धान्य में सम्पन्नता ही राष्ट्र की समृद्धि का प्रतीक है। सुश्री राजो मालवीय ने कहा कि देश की आजादी के बाद केंद्र की सरकार में कांग्रेस राज करती रही परंतु उसने कभी कृषि और किसानों की सुध नहीं ली। भारतीय कृषि में जब से विदेशी मॉडल अपनाया गया रासायनिक खाद, पौध संरक्षण का प्रयोग बढ़ा, परम्परागत बीजों का विनाश हुआ खेती मल्टीनेशनल्स और कार्पोरेट पर निर्भर हो गई। भारतीय किसानों का शोषण हुआ कार्पोरेट समृद्ध हुए हैं।

हमें अपनी परम्परा पर लौटकर जैविक खेती को प्रोत्साहन देना पड़ेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने खेती की लागत कम करने एवं किसान कर्ज मुक्त हो इसके लिए योजनाएं बनाई हैं, जो आने वाले समय में परिलक्षित होगा।

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