नगर में 52 पतिशत बिजली चोरी, इमानदार उपभोक्ताओं पर आकलित खपत लगाकर बढ़ा रहे हैं वसूली
ग्वालियर (आर के कटारे)। शहर में सप्लाई होने वाली बिजली का आधा हिस्सा अफसरों की नाकामी के कारण चोरी हो रहा है। बिजली कंपनी के आंकड़ों के मुताबिक शहर का लाइन लॉस 52.78 फीसदी है। शहर में 2अ1763 उपभोक्ता है जिनमें 47156 उपभोक्ताओं के मीटर बंद है जिन पर आकलित खपत लगाई जा रही है। इसके बाद भी खुद की सीआर और वसूली बरकरार बनाए रखने के लिए कंपनी के अफसर ईमानदार उपभोक्ताओं पर लगातार बोझ बढ़ाते जा रहे हैं। इस बात की जानकारी स्थानीय अफसरों से लेकर मंत्री तक को है, लेकिन चोरी कोई "ाsस कदम नहीं उ"ाया जा रहा है। इसका खामियाजा ईमानदार उपभोक्ताओं को दो तरह से उ"ाना पड़ रहा है, एक तो बिलों में आकलित खपत और दूसरी भीषण गर्मी में ट्रिपिंग के नाम पर हर घंटे कटौती। यही हालत जिले की पमुख तहसील डबरा की है वहां बिजली अधिकारी मनमाने बिल लेकर उपभोक्ताओ को पताडित कर रहे है। कई जगह अधिकारियो की सां" गां" से बिजली चोरी हो रही है। पूरे गांव अवैध रूप से बिजली जला रहे है। दर्जनो फर्जी ट्रान्सफार्मर पकडे गये लेकिन संबंधित अधिकारी पर कोई कार्यवाही नही हुई। करोडो रू. डबरा में खर्च सुधार के नाम पर पूर्व में हुये है। और करोडो की योजनाऐं करंट चार्ज वाले अधिकारी शासन और विभाग को बना कर भेज रहे है। यह कही जांच नही हो रही की पूर्व में शासन का करोडो रू. खर्च हुआ उससे सुधार क्यो नही हुआ। रिमोर्ट एरिया में बिजली चोरी होती है तो उसका खामियाजा ईमानदार उपभोक्ता को आंकलित खपत के नाम पर भुगतना पडता है। विरोध करने पर जेल , पुलिस पकरण, शासकीय कार्य में बाधा आदि लगाये जाते है। डबरा के लोग बिजली के कथित अधिकारियो के रबैये से त्रस्त है। शासन से नाराजगी इन की वजह से बढती जा रही है।
हालांकि बिजली चोरी पर अंकुश लगाने व राजस्व वसूली बढ़ाने के लिए 7 साल पहले आरएपीडीआरपी योजना, एडीबी व अन्य योजनाओं के तहत मिले 245 करोड़ से शहर में विकास कार्य कराए गए थे। जिसमें नए सब स्टेशनों का निर्माण, खुले तारों को हटाकर आर्मर्ड केबल डालने व पुराने मीटरों को हटाकर इलेक्ट्रॉनिक मीटरों को लगाया गया था। इसके पीछे मकसद था कि शहर का लाइन लॉस घटकर 2अत्नतक पहुंचेगा। लेकिन करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद लाइन लॉस बढ़कर 52.78 पतिशत तक पहुंच गया। खास बात यह कि पावर फाइनेंशियल कार्पोरेशन व रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन के माध्यम से लिए ऋण की किश्त भी शुरू हो चुकी है।
47156 मीटरों पर लग रही है आकलित खपत बिजली अफसरों का नए इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाने के पीछे साफ मकसद था कि उपभोक्ता के परिसर में बिजली चोरी नहीं हो सकेगी। शहर में 2अ1763 बिजली कनेक्शन है।
जिसमें से 47156 मीटर बंद पड़े है इन उपभोक्ताओं को आकलित खपत के बिल भेजे जा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि मीटरों की रीडिंग लेने व बिल बांटने का काम आउट सोर्सिंग कर दिया है। "sके के कर्मचारी मीटर चेक करने के बजाय एक स्थान पर बै"कर अंदाज से लॉक बुक में अनाप-शनाप रीडिंग लिख देते हैं।
पदस्थ कहीं ओर सुविधा का लाभ ले रहे हैं शहर मेंरू बिजली कंपनी के अफसरों बिजली का बिल जमा करने में 5अ फीसदी रियायती मिलती है। सिटी सर्किल में 96अ कर्मचारी इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं, जबकि यहां 6अ5 कर्मचारी पदस्थ है, उसमें भी कई अफसर अन्य जगह नौकरी कर रहे हैं। जबकि शासन के नियम है कि अफसर जहां पदस्थ है वहीं पर सुविधा लेंगे। इन अफसरों पर 9.85 लाख रुपए की राशि बकाया है। खास बात यह है कि बिजली कंपनी में 3928 कर्मचारी है जिसमें कनेक्शन 22अअ कर्मचारियों पर है। बिजली कंपनी के मुख्य महाफ्रबंधक एसके सचदेवा से जब शहर में 52 फीसदी लाइन लॉस के बारे में पूछा तो उन्होंने हां कहने के बाद कहा कि मैं शहर से बाहर हूं, आप ऑफिस में आकर बात करना और फोन काट दिया।
किस डिवीजन में कितना लाइन लॉस ,सेंट्रल डिवीजन 52.75अ फीसदी , साउथ डिवीजन 56.38अ फीसदी , ईस्ट डिवीजन 5अ.411 फीसदी ,नॉर्थ डिवीजन 54.अअ6 फीसदी , कुल टोटल सिटी सर्किल 52.77अ पतिशत
सिटी सर्किल में उपमहाफ्रबंधक से लेकर जेई, एई व कर्मचारियों को मिलाकर 1375 लोगों का स्टॉफ है। रीडिंग का काम फ्राइवेट कंपनी को देने से वास्तविक खपत नहीं आ रही है। जब तक उपमहाफ्रबंधक फील्ड में नहीं जाएंगे तब तक लाइन लॉस कम नहीं हो सकता। उपभोक्ताओं की मीटर डायरी स्वयं उपमहाफ्रबंधक चेक करें।