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प्रदेश सरकार ने भू-अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में भी किसानों को दिया धोखाः मिश्रा

👤 admin5 | Updated on:19 Jun 2017 3:36 PM GMT
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भोपाल (ब्यूरो मप्र)। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने प्रदेश सरकार व भाजपा की किसान विरोधी स्थापित अवधारणा को प्रामाणिक तौर पर सार्वजनिक करते हुए राज्य-भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने 26 जून से 6 जुलाई तक भाजपा द्वारा निकाली जाने वाली प्रस्तावित 'किसान संदेश यात्रा' को एक निरर्थक कवायद बताते हुए कांग्रेस द्वारा आज लगाये गये गंभीर आरोपों के बारे में स्थिति स्पष्ट किये जाने का भी अनुरोध किया है।

के.के.ने कहा कि केंद्र मं काबिज मोदी सरकार को कांग्रेस पार्टी द्वारा प्रस्तावित संशोधनों और किसानों के हित में काफी जद्दोजेहाद के बाद दिये सहयोग के कारण भारतीय संसद में भू-अर्जन अधिनियम पारित हुआ, जिसमें 9 जनवरी, 2016 को केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना के तहत का.425 ().- भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापना में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 (2013 का 30) की धारा 30 की उपधारा (2) के साथ पठित प्रथम अनुसूची की ाढ.सं. 2 के कॉलम सं. 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार एतद् द्वारा अधिसूचित करती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जिस गुणक द्वारा बाजार मूल्य को गुणा किया जाना है, वह गुणक 2.00 (दो) होगा। जिसके तहत स्पष्ट किया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की भूमि के वास्तविक मूल्य और व्यवस्थापन को 2ग्2 यानि 4 गुणा भुगतान किया जाना सुनिश्चित किया गया है, ताकि किसानों को उनकी उपयोगी कृषि भूमि का अधिकतम उचित मुआवजा मिल सके, इस अधिसूचना के बाद समीपस्त महाराष्ट्र व उत्तरप्रदेश सरकारें इसी अनुपात में किसानों को मुआवजा राशि दे रहीं हैं, किन्तु इस अधिनियम में भी मप्र की किसान विरोधी राज्य सरकार ने असंवैधानिक रूप से दिनांक 29 सितम्बर, 2014 को एक अधिसूचना जारी कर केंद्र की उक्त उल्लेखित अधिसूचना को संशोधित करते हुए कारक, जिसके द्वारा बाजार मूल्य गुणित किया जायेगा, वह 1.00 (एक) होना सुनिश्चित कर दिया, यानि भूमि अधिग्रहण अधिनियम, जिसके अंतर्गत किसानों की भूमि अधिग्रहण किये जाने पर उसे 4 गुणा भुगतान किया जाना था।

वह मप्र में सिर्प 1ग्1 यानि 2 गुणा कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि भारतीय संसद में पारित किसी भी अधिनियम को राज्य सरकार संशोधित नहीं कर सकती है। उसके बावजूद भी किसान विरोधी राज्य सरकार ने ऐसा क्यों, किसके हित में और किसके निर्देश पर किया है सार्वजनिक होना चाहिए?

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