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मप्र में मूसलाधार बारिश, डेमों से छोड़े जा रहे पानी से बढ़ा खतरा

👤 Veer Arjun | Updated on:10 Sep 2019 3:12 PM GMT

मप्र में मूसलाधार बारिश, डेमों से छोड़े जा रहे पानी से बढ़ा खतरा

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भोपाल । मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित सूबे के अधिकांश इलाकों में पिछले पांच दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से जनजीवन पूरी तरह अस्‍त-व्‍यस्‍त हो गया है। एक ओर जहां मूसलाधर बारिश से कई जगह का संपर्क टूट गया तो वहीं निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालत बने हुए हैं, जबकि मौसम विभाग ने अभी भी प्रदेश में भारी बारिश का हाई अलर्ट जारी किया है।

जानकारी के अनुसार प्रदेश में हो रही लगातार आफत की बारिश का क्रम मंगलवार को देर रात तक जारी रहा। भोपाल में हुई झमाझम बारिश से निचले इलाकों में पानी भर गया वहीं रोड़ों पर भी जाम की स्थिति बन गई। लगातार बारिश से कई जगह खरीफ की फसलें भी पूरी तरह नष्‍ट हो चुकी है और जहां बची थी वहां डेमों से छोड़े जा रहे पानी ने किसानों की हजारों हेक्‍टेयर फसलें पूरी तरह पानी में समा गई है । इधर विदिशा में बेतवा और और सागर जिले में धसान नदी के पानी में किसानों की हजारों एकड़ में लगी फसलें पूरी तरह खराब हो चुकी हैं।

बांधों के गेट खोलने से नर्मदा नदी में उफान पर है। इंदिरा सागर परियोजना के प्रमुख अनुराग शेठ का कहना है कि निचले इलाकों हो रही बारिश से डेमों का जलस्‍तर लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है नर्मदा नदी पर बने छोटे-बड़े सभी डेमों के गेट खेल दिए गए हैं।

जबलपुर में बरगी और होशंगाबाद के तवा डेम से छोड़ा जा रहा पानी इंदिरा सागर में इकट्ठा हो रहा है। इस कारण इंदिरा सागर डेम का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। डेम की क्षमता 12.22 बिलियन क्यूबिक मीटर है। क्षमता से अधिक पानी होने के कारण 12 गेट साढ़े छह मीटर तक खोलकर 20800 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जा रहा है। वहीं ओंकारेश्‍वर में भी खतरा दिन पर दिन मडराता जा रहा है। यहां पर भी ओंकारेश्‍वर के सभी गेट खोलने नर्मदा के घाट पूरी तरह से जलमग्‍न हो गए हैं।

महेश्वर में नर्मदा नदी का जलस्तर सामान्य 140 मीटर से बढ़कर 146 मीटर हो गया। खतरे का निशान 147 मीटर है। बाढ़ से किनारे के सभी घाट डूब गए।

एक ओर जहां इंदिरा सागर डैम के 12 गेटों को खोल कर वहां से करीब 20 हजार क्यूमेक्‍स प्रति सेकंड पानी छोड़ा जा रहा है, तो ओंकारेश्वर डैम से भी 18 गेटों को खोलकर 20 हजार क्यूमेक्स प्रति सेकंड पानी छोड़ा जा रहा है। जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मडराता जा रहा है। बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन की ओर से एनडीआरएफ की टीमों सतर्क रहने को कहा गया है।

दूसरी ओर बड़वानी में मोरटक्का में नर्मदा पुल पर तीसरे दिन भी यातायात शुरू नहीं हो सका। बड़वानी के राजघाट में नर्मदा का जलस्तर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। उज्जैन जिले में बिजली गिरने से दो लोगों की मौत तक हो गई।

बताया जा रहा है कि मंगलवार शाम तक नर्मदा का जलस्तर रिकॉर्ड 136.800 मीटर पर पहुंच गया है। इसके पहले वर्ष 1970 में जलस्तर यहां 136.680 मीटर तक पहुंचा था।

वहीं उज्‍जैन में शिप्रा और विदिशा में बेतवा का जलस्‍तर लगातार बढ रहा है। उज्‍जैन में बड़े पुल से शिप्रा 5-6 फीट नीचे बह रही है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी प्रशासन को बारिश में हर स्थिति से निपटने और मुस्तैद रहने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जनता को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। एजेंसी

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