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अब महिलायें खुशहाल जिन्दगी जी रहीं है सेनेटरी पैड बनाने से

👤 manish kumar | Updated on:18 Oct 2019 4:55 AM GMT

अब महिलायें खुशहाल जिन्दगी जी रहीं है सेनेटरी पैड बनाने से

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मुरैना। मध्यप्रदेश शासन की आजीविका मिशन योजना उन जरूरतमंद लोगों के लिये वरदान साबित हुई है, जो घर-गृहस्थी चलाने में मजबूर थीं। मेरी सहेली स्व-सहायता समूह की संचालिका श्रीमती सनीता छारी ने बताया कि समूह में जुडक़र महिलायें सेनेटरी पैड बनाकर प्रति माह 4 से 5 हजार रूपये अतिरिक्त आय कमा रहीं है।

मेरी सहेली स्व-सहायता समूह की संचालिका श्रीमती सनीता छारी ने बताया कि घर का काम करने के बाद मेरे मन में एक टीस रहती थी, कि आसपास में रहने वाली महिलाओं को किसी समूह से जोडक़र उन्हें स्वावलम्बी बनाया जाये। ये महिलायें दूसरों के यहां चौका-चूल्हा वर्तन साफ-सफाई का कार्य करने जाती थी, यह मुझे अच्छा नहीं लगता था, क्योंकि इनके पति मजदूरी जरूर करते है, इससे इनका भरण-पोषण पूरा नहीं हो पाता था।

मेरी सहेली स्व-सहायता समूह की संचालिका श्रीमती सनीता छारी एक दिन नगर निगम मुरैना के सिटी मैनेजर श्री रहीम चौहान के पास पहुंची और महिलाओं के लिये लघुउद्योग लगाने की बात रखी। सिटी मैनेजर ने श्रीमती सनीता छारी की बात को गंभीरता से लिया और श्रीमती सनीता छारी को एक समूह का गठन करने की बात कही। श्रीमती सनीता छारी ने मेरी सहेली स्व-सहायता समूह का गठन किया और उसकी सूची सिटी मैनेजर का प्रस्तुत कर दी। सिटी मैनेजर ने आजीविका मिशन योजना के तहत शासन खर्च पर समूह की 12 महिलाओं को ग्वालियर, मथुरा एवं वृन्दावन में सैनेट्रीपैढ़ का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिये भेज दिया। समूह की महिलायें प्रशिक्षण प्राप्त कर उन्होनें सेनेटरी पैड बनाने का नवीन कारखाना रामनगर में खोल दिया। सभी समूह की महिलायें अमिता, कृष्णा, गुड्डी, रानी, चन्द्र, रमा, प्रियंका आदि ने सेनेटरी पैड बनान शुरू कर दिया। कच्चा माल आगरा से लाकर उन्होनें मुरैना में सेनेटरी पैड बनाना शुरू कर दिया। सेनेटरी पैड की मांग जिला चिकित्सालय में होने लगी, तो प्रतिदिन ऑडर भी आने लगे।

समूह को अच्छी खासी आय प्राप्त होने लगी। प्रत्येक महिला को 4 से 5 हजार रूपये की आमदनी होने लगी। अब महिलायें सकून से कहती है कि अब हम किसी के यहां चौका, बर्तन, झाड़ू का कार्य नहीं करते है। अब हम स्वयं घर खर्च चलाने में पति का सहयोग प्रदान कर रहे है। आजीविका मिशन योजना का मकसद यही है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाये। इन्हें इस लायक बनाया जाये, ताकि समाज में सम्मान जनक जी सकें।

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