अवैध उत्खनन से धरासायी हो सकती है हाईटेंशन लाईन
करेली। जिले भर में खनिज माफियाओं द्वारा बिना अनुमति के जहां-तहां रेत एवं मिट्टी का अवैध उत्खनन कर परिवहन किया जा रहा है और प्रशासन कार्यवाहियों की औपचारिकता में उलझा हुआ है। यह अवैध उत्खनन करते समय शासकीय परियोजनाओं व निर्माणों की भौतिक संरचनाओं की अनदेखी की जा रही है, जिससे जान-माल का जोखिम बढ़ता जा रहा है। स्थित यह है कि ठेकेदारों व निर्माण एजेंसियों को ग्राम पंचायतें मूक सहमति के साथ अवैध खनन का परमिट दे रही हैं और प्रशासन आंख में पट्टी बांधकर बैठा हुआ है।
करेली जनपद पंचायत ग्राम पंचायत खैरी (महलपुरा) एवं ग्राम पंचायत पिपरिया (रांकई) में 10 से 15 फिट गहराई तक जेसीबी से मिट्टी का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। यहां से खोदी जा रही बेतहाशा मिट्टी का निजी कार्यो में उपयोग किया जा रहा है। खैरी (महलपुरा) में तो माफिया यहां से गुजरी हाईटेंशन लाईन के खंभों के आसपास अवैध उत्खनन से नही चूक रहे हैं, जिससे इन विशालकाय खंभों की बुनियाद कमजोर हो रही है। यदी अब भी इस ओर ध्यान नही दिया तो कोई बड़ी बात नही कि कभी भी ये खंभे धरासायी होकर जान-माल को व्यापक क्षति पहुंचायेंगे। इतना ही नही ये अवैध खनन इस हाईटेंशन लाईन से जुड़े हुए उन उद्योगों को भी ठप कर देगा, जिन्हे इसी लाईन से बिजली मुहैया हो रही है।
शासकीय व निजी भूमि में उत्खनन के नियम दरकिनार
जेसीबी लगाकर जिस जमीन का उत्खनन किया जा रहा है वह किसी भूस्वामी की निजी भूमि है। लेकिन शासकीय व निजी भूमि में उत्खनन के भी कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन कथित कंपनियों द्वारा नही किया जा रहा है। नियम यह है कि भूमि कोई भी हो उससे मिट्टी का उत्खनन निश्चित गहराई तक ही किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में खनन माफियाओं के साथ-साथ उस भूस्वामी पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जिसकी अनुमति से यह बेशुमार खनन जारी है और नागरिकों के ऊपर संकट के बादल छाये हुए हैं। वहीं इस उत्खनन को लेकर मूक सहमति देने वाली पंचायतों के प्रतिनिधियों, सचिवों व रोजगार सहायक भी दंड के हकदार हैं।
इनका कहना है
यदि इस प्रकार से मिट्टी की खुदाई की जा रही है तो यह गंभीर मामला है। जिसकी मौक पर जाकर जांच की जायेगी एवं जो भी दोषी पाये जायेंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
संघमित्रा बौद्ध, एस.डी.एम करेली
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