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मप्रः नई शराब नीति को लेकर सीएम और पूर्व सीएम के बीच घमासान

👤 mukesh | Updated on:11 Jan 2020 10:49 AM GMT

मप्रः नई शराब नीति को लेकर सीएम और पूर्व सीएम के बीच घमासान

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भोपाल। मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार द्वारा लागू की गई नई शराब नीति को लेकर मचा राजनीतिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इस नीति को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ को गत दिवस एक पत्र लिखा गया गया था, जिसका जवाब सीएम कमलनाथ ने एक पत्र के माध्यम से दिया, जिसमें उन्होंने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर निशाना साधा। वहीं, सीएम कमलनाथ के जवाब को शिवराज ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने शनिवार को अपने निवास पर मीडिया से बातचीत में कहा कि पहले तो मैं सीएम कमलनाथ को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने मेरे पत्र का तुरंत जवाब दे दिया, लेकिन उनका जवाब दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने एक जिमेदार नागरिक के तौर पर नई शराब नीति का विरोध किया। मैं आज फिर कहता हूँ कि यह फैसला प्रदेश का कबाड़ा कर देगा। मैं कोई पत्र युद्ध नहीं चला रहा हूँ। इसमें मेरी हार-जीत का भी कोई सवाल नहीं है।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के 150वें वर्ष में हम प्रदेश को ऐसा न बनाये की मध्यप्रदेश नशे में डूब जाए। पत्र में सीएम साहब द्वारा दिये गए तर्क से मैं संतुष्ट नहीं हूं। यह गले में उतरने वाला नहीं है। यह आपका तर्क नहीं, शराब माफियाओं के तर्क है। माफिया को खत्म करने का आपका अगर यह तरीका है तो क्यों इतना बड़ा आबकारी अमल बनाया। मेरे कार्यकाल में शराब की दुकानों की बात जो यह कह रहे हैं तो मैं आपको बता दूं कि मैंने किसी का एक तर्क नहीं सुना। मेरे शासनकाल में 2011 से 2018 तक एक नई शराब की दुकान नहीं खुली, बल्कि उल्टा हमने तो दुकानें बंद की हैं। सीएम ने एक टीम बना रखी है जो मेरे कुछ कहते ही कुतर्क शुरू कर देती है।

इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को सीएम कमलनाथ को एक पत्र लिखकर शराब नीति में बदलाव करने की मांग थी, जिसका जवाब कमलनाथ ने भी शिवराज को पत्र लिखकर दिया था। उन्होंने शुक्रवार को देर रात लिखे पत्र में कहा है कि राज्य सरकार माताओं और बहनों की सुरक्षा, नागरिकों के स्वास्थ्य और युवाओं के अच्छे भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है। यह कहना आधारहीन है कि नई आबकारी नीति में उप-दुकान खोलने के प्रावधान से नई शराब की दुकानें खुल रही हैं। यह जनता के बीच में भ्रम फैलाने की घृणास्पद राजनीति है। नई नीति से प्रदेश में शराब की दुकानें नहीं बढ़ेंगी बल्कि अवैध व्यापार करने वाले माफिया पर सख्ती से अंकुश लगेगा। उन्होंने कहा कि 15 साल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने नई आबकारी नीति की सत्यता जानने के बजाय जो अनर्गल प्रलाप किया है, उससे साफ है कि वे सिर्फ प्रचार पाने के लिए असत्य और भ्रामक बातें कर रहे हैं। सच यह है कि उनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा शराब की दुकानें खोली गईं।

कमल नाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि यह असत्य है कि उप-दुकान नीति के कारण दो हजार से ढाई हजार नई शराब दुकानें खुलने जा रही हैं। उप-दुकान खोलने के संबंध में अधिसूचित नीति का अध्ययन किए बगैर ऐसा कहना जनता को गुमराह करना है। नीति के अनुसार नई दुकानें नहीं खुलेंगी बल्कि मूल दुकान का लायसेंसी, चाहे तो कुछ शर्तों के अधीन उप-दुकान खोल सकता है। इससे आबकारी अपराधों पर नियंत्रण बढ़ेगा। ग्रामीण क्षेत्र में उप-दुकान तभी खोली जा सकती है, जब दो मूल मदिरा दुकानों के बीच कम से कम 10 किलोमीटर की दूरी हो। इसी प्रकार, नगरीय क्षेत्र में उप-दुकान खोलने के लिए मूल मदिरा दुकानों के बीच न्यूनतम दूरी 5 किलोमीटर होना चाहिए। ये उप-दुकानें सरकार द्वारा नहीं खोली जाएंगी। लायसेंसी यदि चाहे, तो प्रतिबंध के अधीन अतिरिक्त वार्षिक मूल्य जमा कर उप-दुकान खोल सकता है।

कमलनाथ ने इस दावे को भी झूठा बताया कि पूववर्ती सरकार के कार्यकाल में नई शराब की दुकानें नहीं खोली गईं। मुख्यमंत्री ने पत्र में जानकारी दी कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के अंतिम वित्तीय वर्ष 2003-04 में देशी मदिरा की प्रदेश में 2221 दुकानें थीं, जो भाजपा शासन काल में बढ़ते हुए वर्ष 2010-11 में 2770 हो गईं। इसी प्रकार, विदेशी मदिरा की दुकानें 2003-04 में 581 थीं, जो वर्ष 2010-11 में 916 हो गईं। इससे स्पष्ट है 2003-04 में देशी/विदेशी मदिरा दुकानों की संख्या प्रदेश में 2792 थी, जो श्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में बढक़र 3683 हो गईं।

उन्होंने नई आबकारी नीति का हवाला देते हुए कहा कि यह माफिया को बढ़ावा नहीं देगा बल्कि उन पर नियंत्रण रखेगा। मुझे आश्चर्य है कि पूर्व मुख्यमंत्री ने मुझे पत्र लिखने के पूर्व अपने 15 वर्ष के कार्यकाल में इस संबंध में लिए गए निर्णयों और कार्यों की जानकारी ही नहीं दी। माफिया की उत्पत्ति एवं विकास के कारणों का उन्हें संभवत: ज्ञान ही नहीं है। माफिया यानि संगठित अपराधी ऐसे स्थानों एवं व्यवसायों में ही पनपते है, जहाँ प्रतिबंध न हो या व्यवसाय को वैध तरीके से संचालित करना दुष्कर हो। वैधानिक और वैध व्यवसायिक गतिविधियाँ संचालित होने से माफिया पर अंकुश लगता है और उन पर नियंत्रण रखा जा सकता है, जैसा की नई आबकारी नीति में सरकार ने प्रावधान किया है। इससे शराब माफिया और संगठित अपराधियों द्वारा मदिरा के अवैध व्यापार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगेगा।

इसके जवाब में वरिष्ठ भाजपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने शनिवार को मीडिया से बात करते हुए कहा है कि कांग्रेस ने वचनपत्र में कहा तो था कि गांव-गांव गौशाला खोलेंगे लेकिन सरकार बनने के बाद गांव-गांव मधुशाला खोलने जा रही है। सरकार ने शराब की उपदुकाने खोलने का फैसला वापस नहीं लिया तो भाजपा मुखरता से विरोध करेगी। जरूरत पड़ी तो मुख्यमंत्री निवास के सामने धरना भी देंगे। उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार मध्यप्रदेश को मद्य प्रदेश बनाने को आतुर है। एक साल में कुकुरमुत्तों की तरह गांव गांव शराब दुकानें खोलने का फैसला निंदनीय है। प्रदेश सरकार के इस फैसले का भाजपा विरोध करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र के बिंदु 42.1 में स्पष्ट लिखा था कि "मादक मुक्त मध्यप्रदेश" बनाएंगे। इसके विपरीत "मादक युक्त" मध्यप्रदेश बनाने पर आमादा है। वचन पत्र प्रदेश की जनता के साथ धोखा है। (एजेंसी हिस.)

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