Home » मध्य प्रदेश » पीथमपुर की फैक्ट्रियों में काम शुरू, यहां से नहीं भागे एक भी मजदूर

पीथमपुर की फैक्ट्रियों में काम शुरू, यहां से नहीं भागे एक भी मजदूर

👤 mukesh | Updated on:25 May 2020 10:18 AM GMT

पीथमपुर की फैक्ट्रियों में काम शुरू, यहां से नहीं भागे एक भी मजदूर

Share Post

इन्दौर। वैश्विक महामारी कोरोना के चलते देशभर में लगे लॉकडाउन ने जहां करोड़ों मजदूरों को बेरोजगार कर रोजी-रोटी के लिए तरसा दिया और शहरों से गांवों की ओर पलायन करने पर मजबूर कर दिया तो वहीं इंदौर का औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर ऐसा रहा जहां से एक भी मजदूर ने न तो पलायन किया न भूख से संघर्ष किया। यही कारण है कि लॉकडाउन में छूट मिलते ही पीथमपुर की फैक्ट्रियों में एक बार फिर उत्‍पादन शुरू हो चुका है।

मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम (एकेवीएन) के संचालक कुमार पुरुषोत्तम ने का कहना है कि जिस समय देशभर में मजदूर बेरोजगारी और भूख की वजह से पलायन के लिए सडक़ों पर कई किलोमीटर की पैदल यात्रा कर अपने गांव की भाग रहे थे तो, वहीं पीथमपुर से एक भी मजदूर ने इस कारण से पलायन नहीं किया कि उसे भूख से संघर्ष करना पड़ा हो या उसके सामने भविष्य में बेरोजगारी की आशंका बनी हो। यह प्रदेश के लिए बड़ी गौरव की बात है।

पुरुषोत्तम का मानना है कि हमने परिस्थितियों को भांपते हुए लॉकडाउन शुरू होते ही पीथमपुर क्षेत्र की बड़ी-बड़ी उत्पादन क्षमता वाली फैक्ट्रियों के संचालकों के साथ चर्चा कर उन्हें मजदूरों को विश्वास में लेने और उन्हें रोजगार के लिए आश्वस्त करने के साथ ही उनकी भूख का इंतजाम करने के लिए कहा। इस पर कई बड़ी फैक्ट्रियों ने अपने कैंटीन शुरू करवाकर फैक्ट्रियों में ही हजारों भोजन पैकेट बनवाना और मजदूरों को वितरित कराना शुरू कर दिया। इसके चलते मजदूरों को जहां फैक्ट्री चालू होने का भरोसा हुआ, वहीं उन्हें भूख के संघर्ष में भी सहारा मिला और उन्होंने बजाय घर लौटने के लॉकडाउन खुलने का इंतजार किया और जैसे ही लॉकडाउन में रियायत दी गई, वैसे ही समूचे औद्योगिक क्षेत्र में रौनक लौट आई और मशीनों के रुके चक्के एक बार फिर शुरू हो गए और मजूदरों के चेरहों पर मुस्‍कान लौट आई।

क्‍यों खास है पीथमपुर

इंदौर को मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी यूं ही नहीं कहा जाता, बल्कि सच तो यह है कि इंदौर और पीथमपुर तथा उससे लगे औद्योगिक क्षेत्रों में पूरे प्रदेश का 70 प्रतिशत व्यापार संचालित होता है। पीथमपुर में जहां देश की जानी-मानी औद्योगिक इकाइयां मौजूद हैं, वहीं इंदौर शहर में देश के सारे ब्रांडेड स्कूल, अस्पताल और शॉपिंग चेन भी मौजूद है। इसके अलावा सभी बड़ी कम्पनियों के कार्पोरेट आफिस भी इंदौर में हैं। एक अनुमान के अनुसार राज्य का 70 प्रतिशत कारोबार, उत्पादन और निर्यात इंदौर से ही होता है। इंदौर राज्य सरकार के लिए भी आय का सबसे बड़ा स्रोत है, जहां से सर्वाधिक कर इकट्ठा होता है।

पीथमपुर में मौजूद देश की जानी-मानी दवा निर्माता कंपनी सिप्ला का उत्पादन तो लॉकडाउन के पहले दिन से ही चालू रहा। कंपनी कोरोना से लडऩे वाली दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्लिन का उत्पादन करती है, जिसकी न केवल देश में, बल्कि पूरी दुनिया में मांग है। इस तरह सिप्ला देश की पहली ऐसी कंपनी थी, जिसका कोई भी मजदूर न तो बेरोजगार हुआ और न ही एक भी दिन कंपनी बंद हुई।

इस संबंध में एकेवीएनकुमार के डायरेक्टर पुरुषोत्तम का कहना है कि पीथमपुर की उत्पादक कम्पनियों में न केवल हाईलेबल का वर्क डिसिप्लीन है, बल्कि वे कोरोना संक्रमण में एहतियात को बखूबी समझते हैं, इसलिए बाकायदा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए प्रोडक्शन यूनिट तक को हर दिन सेनिटाइज करते हैं। जिससे यहां काम करने वाले मजूदरों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। (हि.स.)

Share it
Top