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इंदौरः भय्यू महाराज आत्महत्या मामले में पलक, विनायक और शरद को सजा

👤 mukesh | Updated on:28 Jan 2022 9:00 PM GMT

इंदौरः भय्यू महाराज आत्महत्या मामले में पलक, विनायक और शरद को सजा

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इंदौर। राष्ट्रसंत भय्यू महाराज की आत्महत्या के मामले (Rashtrasant Bhayyu Maharaj's suicide case) में इंदौर के सत्र न्यायालय (sessions court) ने शुक्रवार को उनके करीबी सेवादार रहे शरद देशमुख, विनायक दुधाले और पलक पुराणिक को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने के आरोप में दोषी ठहराते हुए छह-छह साल के कठोर कारावास की सजा (rigorous imprisonment for six years) सुनाई है। अदालत के फैसले से खुलासा हुआ कि सालों से भय्यू महाराज की राजदार रही शिष्या पलक हर हाल में उनसे शादी करना चाहती थी, जबकि सेवादार शरद और विनायक भी उसका साथ दे रहे थे।

उल्लेखनीय है कि भय्यू महाराज ने 12 जून 2018 को इंदौर स्थित अपने आश्रम में कनपटी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में सत्र न्यायालय ने करीब साढ़े तीन साल तक सुनवाई चली। इसके बाद शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया।

दरअसल, पलक भय्यू महाराज की सचिव थी। धीरे-धीरे उसने महाराज से नजदीकी बढ़ा ली थी और महाराज के साथ कुछ निजी पलों के वीडियो फुटेज और वाट्सऐप पर हुई चैट के स्क्रीनशॉट भी अपने पास रखे थे। महाराज ने जब आयुषी के साथ शादी की तो पलक ने उन्हें ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया था। वह पुलिस को शिकायत करने की धमकी भी देती थी। भय्यू महाराज का सेवादार विनायक दुधाले भी पलक से मिला हुआ था और वह महाराज को नशीली दवाएं देता था। 16 साल से जुड़ा होने के कारण महाराज उस पर अंधा विश्वास करते थे, लेकिन विनायक भी पलक के साथ पर्दे के पीछे रहकर महाराज पर दबाव डलवाता था। आत्महत्या से पहले उनसे कुछ दस्तावेजों पर भी हस्ताक्षर कराए थे।

वहीं, आत्महत्या वाले दिन महाराज का सेवादार शरद देशमुख ही उनके साथ था और महाराज को वह अस्पताल ले गया था। शरद ज्यादातर बंगले पर रहता था और महाराज के कई राज जानता था। शरद और विनायक भी आपस में मिले हुए हैं। शरद कई बार स्वजनों को भी महाराज से मिलने नहीं देता था और उन्हें भड़काता था।

मामले में खुलासा हुआ है कि तीनों आरोपित भय्यू महाराज को कुछ फोटो और वीडियो के आधार पर ब्लैकमेल करते और रुपये ऐंठते थे। पुलिस ने 18 जनवरी 2019 को महाराज के तीनों सेवादारों को गिरफ्तार किया था। शुक्रवार को तीनों आरोपितों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जेल से पेशी हुई थी। तीनों आरोपित महाराज के करीबी थे। विनायक को वे भाई जैसा मानते थे। आश्रम की व्यवस्था और रुपयों का लेनदेन भी उसी के जिम्मे था। महाराज कोई भी बड़ा निर्णय इन सेवादारों से चर्चा के बाद ही लेते थे।

न्यायालय ने महाराज की दोनों बहनों मधुमति व अनुराधा तथा पत्नी आयुषी के बयानों को महत्वपूर्ण माना। मधुमति ने न्यायालय को बताया कि आत्महत्या वाले दिन महाराज ने फोन पर कहा था कि मेरे अवसाद का लाभ उठाकर सेवादारों ने कुछ दस्तावेज तैयार करवाए हैं। सेवादार पलक मीडिया के पास (दुष्कर्म का आरोप लगाने) जा रही है तो मेरी इच्छा हो रही है कि खुद को गोली मार लूं या कहीं निकल जाऊं।

दूसरी बहन अनुराधा के मुताबिक गोली मारने से पहले महाराज ने उसे वाट्सएप कॉल कर कहा था कि पलक, विनायक और शरद मुझे ब्लैकमेल कर धमकियां देते हैं और नशीली दवा खिलाकर मानसिक प्रताड़ना देते हैं। इस कारण मैं कुछ समझ नहीं पाता और परेशान रहता हूं। महाराज की पत्नी आयुषी ने न्यायालय को बताया कि आत्महत्या से एक दिन पहले 11 जून 2018 को महाराज ने उससे कहा था कि पलक मुझे धमकी दे रही है कि अगर 16 जून को शादी नहीं की तो मीडिया के पास जाकर दुष्कर्म के आरोप में फंसा दूंगी। बयानों में पता चला कि महाराज आरोपित पलक को डेढ़ लाख रुपये महीना भिजवाते थे। बाद में उसने ढाई लाख रुपये प्रतिमाह देने की मांग की थी।

राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव रखते थे भय्यू महाराज

उल्लेखनीय है कि भय्यू महाराज का मप्र व महाराष्ट्र में बहुत प्रभाव था। 1968 में मप्र के शुजालपुर में मध्यमवर्गीय किसान परिवार में जन्मे महाराज ने पहले मुंबई में मैनेजमेंट कंपनी में नौकरी की, फिर मॉडलिंग भी की। वर्ष 2011 में दिल्ली में हुए अन्ना हजारे के आंदोलन में तत्कालीन यूपीए सरकार व अन्ना हजारे के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाकर वे रातोंरात सुर्खियों में आए थे। उनके कई हाईप्रोफाइल भक्त थे। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने व प्रतिभा पाटिल के राष्ट्रपति बनने की भविष्यवाणी की थी। महाराष्ट्र की संत परंपरा के अनुसार उन्होंने समाजसेवा को अपनाया और अनेक सेवा प्रकल्प शुरू किए। भय्यू महाराज की राजनीति में अच्छी पकड़ थी। महाराष्ट्र के कांग्रेस, भाजपा, शिवसेना के कई दिग्गज नेता भय्यू महाराज के भक्त थे।

इंदौर के बापट चौराहा पर उन्होंने 1996 में वर्तमान में स्थित सूर्योदय आश्रम के स्थान पर किराए से मकान लेकर लोगों की समस्या का निराकरण करने लगे। बाद में जब भक्तों की संख्या बड़ी तो इस जगह को खरीदकर इस स्थान पर आश्रम बनाया। सद् गुरु दत्त धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट की स्थापना कर विभिन्ना योजनाओं को संचालित करते थे। मध्यप्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र में भी उनके आश्रम थे।

सत्य की जीत

महाराज की पत्नी आय़ुषी देशमुख ने कहा कि अदालत के फैसले का सम्मान करती हूं। महाराज के जाने से परिवार को जो क्षति हुई है। उसकी भरपाई सजा से नहीं हो सकती, लेकिन सत्य की जीत हुई है और फैसला सही रहा।

वहीं, भय्यू महाराज की बेटी कुहू ने कहा कि अदालत के फैसले पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती। महाराज की बेटी होने के कारण मेरी बात का लोग क्या मतलब निकालते हैं। यह समझना मुश्किल है। (एजेंसी, हि.स.)

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