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बिना संस्कारों की शिक्षा अर्थहीनः त्रिवेंद्र
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वीर अर्जुन संवाददाता
देहरादून। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हमें ऐसी शिक्षा फ्रणाली विकसित करनी होगी जो अपने बारे में सोचने के साथ-साथ समाज, देश, वैश्विक कल्याण, योग व अध्यात्म के बारे में भी विचार करने को फ्रेरित करे। आज दुनिया मान चुकी है कि बिना संस्कारों की शिक्षा अर्थहीन है। मनुष्य सभी कार्य सुख फ्राप्त करने के लिए करता है परन्तु वास्तविक सुख संस्कारों व जीवन मूल्यों में निहित है। विद्या मन्दिरों एवं सरस्वती शिशु मन्दिरों का उत्तराखण्ड के शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। छात्रों में गुणवतायुक्त शिक्षा के अतिरिक्त संस्कारों व जीवन मूल्यों का विकास करने में सरस्वती विद्या भारती मन्दिरों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रविवार को सरस्वती विद्या मन्दिर, सुमननगर देहरादून में आयोजित विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान उत्तराखण्ड द्वारा राज्यभर के सरस्वती विद्या मन्दिरों के मेधावी छात्र-छात्राओं के सम्मान समारोह के अवसर पर उपस्थित छात्र-छात्राओं, अभिभावकों व शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस फ्रकार से विद्या भारती मन्दिरों व सरस्वती शिशु मन्दिरों ने उत्तराखण्ड के अतिरिक्त सम्पूर्ण देश के दूरस्थ, पिछडे व आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा का नेटवर्क खड़ा किया है तथा शिशु मन्दिरों के छात्र बड़ी संख्या में उच्च पदों पर कार्यरत है, यह फ्रंशसनीय ही नही बल्कि रिसर्च का भी विषय है।
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