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कोरियाई शांति प्रक्रिया में भारत पक्षकार

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:10 July 2018 4:31 PM GMT

कोरियाई शांति प्रक्रिया में भारत पक्षकार

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विशेष प्रतिनिधि

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप में शांति प्रक्रिया में भारत एक पक्षकार है और क्षेत्र में शांति के लिये हमारा योगदान जारी रहेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की पहली यात्रा पर आए दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक संबंधों के विविध आयामों पर व्यापक चर्चा की। बातचीत के बाद संवाददाताओं के समक्ष संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कोरियाई प्रायद्वीप में शांति प्रक्रिया शुरू करने का श्रेय राष्ट्रपति मून को जाता है। शांति प्रक्रिया को पटरी पर रखने और आगे बढ़ाने का पूरा श्रेय राष्ट्रपति मून को जाता है। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि जो सकारात्मक वातावरण बना है, वह राष्ट्रपति मून के अथक प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पूर्वेत्तर और दक्षिण एशिया में प्रसार संबंध ःपरमाणुः भारत के लिये भी चिंता का विषय है। इसलिये इस शांति प्रक्रिया में भारत भी एक पक्षकार है। तनाव कम करने के लिये जो हो सकेगा, हम वह करेंगे। मोदी ने कहा कि इसलिये परामर्श और सम्पर्क बढ़ाने का निर्णय किया गया है। इस संदर्भ में 2t2 वार्ता और मंत्री स्तर की मुलाकात काफी महत्वपूर्ण होगी। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे..इन ने कहा, हमने द्विपक्षीय सहयोग के नये युग की शुरुआत की है। वहीं, मोदी ने कहा कि हमारी बातचीत के परिणामस्वरूप एक दृष्टि पत्र जारी किया जा रहा है। हमारा ध्यान अपने विशेष सामरिक ग"जोड़ को मजबूत करने पर है। इस संबंध का एक स्तम्भ हमारे आर्थिक और व्यापारिक संबंध हैं। उन्होंने कहा, भारत की एक्ट ईस्ट पालिसी और कोरिया गणराज्य की न्यू सदर्न स्ट्रेटजी में स्वाभाविक एकरसता है। मैं राष्ट्रपति मून के इस विचार का हार्दिक स्वागत करता हूँ कि भारत और कोरिया गणराज्य के संबंध उनकी न्यू सदर्न स्ट्रेटजी का एक आधार स्तम्भ हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बहुत प्रसन्नता का विषय है कि कोरिया की कंपनियों ने भारत में न सिर्फ़ बड़े स्तर पर निवेश किया है, बल्कि हमारे मेक इन इंडिया अभियान से जुड़ कर भारत में रोजगार के अवसर भी पैदा किए हैं।

उन्होंने कहा कि कोरिया गणराज्य की प्रगति विश्व में अपने आप में एक अनू"ा उदाहरण है। कोरिया के जनमानस ने दिखाया है कि यदि कोई देश एक समान सोच और उद्देश्य के प्रति वचनबद्ध हो जाता है तो असंभव लगने वाले लक्ष्य भी प्राप्त किए जा सकते हैं। कोरिया की यह प्रगति भारत के लिए भी प्रेरणादायक है।

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