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पीएम का संतुलन के लिए लोगों को प्रकृति प्रेमी बनने का सुझाव

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:29 July 2018 5:41 PM GMT

पीएम का संतुलन के लिए लोगों को प्रकृति प्रेमी बनने का सुझाव

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नई दिल्ली, (भाषा)। देश के अलग अलग हिस्सों में अधिक बारिश और कम बारिश का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोगों को प्रकृति प्रेमी, प्रकृति रक्षक और प्रकृति संवर्धक बनने का सुझाव दिया ताकि प्रकृति प्रदत्त चीजों का संतुलन बना रहे। आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा कि इन दिनों कई जगहों पर अच्छी वर्षा होने की खबरें आ रही हैं। कहीं-कहीं पर अधिक वर्षा के कारण चिन्ता की भी खबर आ रही है और कुछ स्थानों पर अभी भी लोग वर्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, भारत की विशालता, विविधता, कभी-कभी वर्षा भी पसंद-नापसंद का रूप दिखा देती है। लेकिन हम वर्षा को क्या दोष दें। मनुष्य ने ही प्रकृति से संघर्ष का रास्ता चुना जिसका नतीज़ा है कि कभी-कभी प्रकृति हम पर रू" जाती है। मोदी ने कहा, इसीलिये हम सबका दायित्व बनता है हम प्रकृति प्रेमी बनें, हम प्रकृति के रक्षक बनें, हम प्रकृति के संवर्धक बनें, तो प्रकृतिदत्त जो चीज़े हैं उसमें संतुलन अपने आप बना रहता है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान कवि एवं गीतकार नीरज की आशा, भरोसा और दृढ़संकल्प से ओतप्रोत कविताओं का जिक्र किया। नीरज का हाल ही में देहांत हुआ है।

कवि नीरज को श्रद्धांजलि देते हुए मोदी ने कहा नीरज जी की एक विशेषता रही थी - आशा, भरोसा, दृढसंकल्प, स्वयं पर विश्वास। हम हिन्दुस्तानियों को भी नीरज जी की हर बात बहुत ताकत और प्रेरणा दे सकती है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने नीरज की कुछ पंक्तियों को भी पढ़ा जिसमें उन्होंने लिखा था -

अँधियार ढलकर ही रहेगा,

आँधियाँ चाहे उ"ाओ,

बिजलियाँ चाहे गिराओ,

जल गया है दीप तो अँधियार ढलकर ही रहेगा।

ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम जैसे संतो ने अंधश्रद्धा से लड़ने का मंत्र दिया ः ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम के संदेश का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि इनके संदेश न केवल जन सामान्य को शिक्षित करने का बल्कि अंधश्रद्धा के खिलाफ लड़ने का समाज को मंत्र देते हैं। आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम जैसे अनगिनत संत आज भी जन-सामान्य को शिक्षित कर रहे हैं, अंधश्रद्धा के खिलाफ लड़ने की ताकत दे रहे हैं और हिंदुस्तान के हर कोने में यह संत परंपरा प्रेरणा देती रही है। उन्होंने कहा कि चाहे वो उनके भारुड हो या अभंग हो हमें उनसे सद्भाव, प्रेम और भाईचारे का महत्वपूर्ण सन्देश मिलता है। मोदी ने कहा कि ऐसे संतों ने समय-समय पर समाज को रोका, टोका और आईना भी दिखाया और यह सुनिश्चित किया कि कुप्रथाएँ समाज से खत्म हों और लोगों में करुणा, समानता और शुचिता के संस्कार आएं। उन्होंने कहा कि हमारी यह भारत-भूमि बहुरत्ना वसुंधरा है जहां समर्पित महापुरुषों ने, इस धरती को अपना जीवन आहुत कर दिया। एक ऐसे ही महापुरुष हैं लोकमान्य तिलक जिन्होंने भारतीयों के मन में अपनी गहरी छाप छोड़ी है।

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