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सेना के पास 10 दिन की लडाई के लिए भी गोला-बारूद नहींः कैग

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:22 July 2017 6:20 PM GMT

सेना के पास 10 दिन की लडाई के लिए भी गोला-बारूद नहींः कैग

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विशेष प्रतिनिधि

नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान से भारी तनाव के बीच सेना के पास गोला-बारूद की उपलब्धता के बारे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट चिंतित करने वाली है। कैग के मुताबिक सेना के पास 10 दिन के सघन टकराव की स्थिति के लिए भी पर्याप्त गोला-बारूद नहीं है। यह स्थिति बेहद चिंताजनक मानी
जाती है।
संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि सैन्य मुख्यालय ने 2009-13 के बीच खरीदारी के जिन मामलों की शुरआत की, उनमें अधिकतर जनवरी 2017 तक लंबित थे। ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के कामकाज की तीखी आलोचना करते हुए कहा गया है कि 2013 से ओएफबी की ओर से आपूर्ति किए जाने वाले गोला-बारूद की गुणवत्ता और मात्रा में कमी पर ध्यान दिलाया गया, लेकिन इस दिशा में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। गोला-बारूद डिपो की सुरक्षा पहलू पर भी रिपोर्ट में कहा गया है कि दमकलकर्मियों और उपकरणों की कमी से हादसे का खतरा बना रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल जनवरी में सेना के गोला-बारूद प्रबंधन का फॉलोअप ऑडिट किया गया। बताया गया है कि ऑपरेशन की अवधि की जरूरतों के हिसाब से सेना में वॉर वेस्टेज रिजर्व रखा जाता है। रक्षा मंत्रालय ने 40 दिन की अवधि के लिए इस रिजर्व को मंजूरी दी थी। 1999 में सेना ने तय किया कि कम से कम 20 दिन की अवधि के लिए रिजर्व होना ही चाहिए। सितंबर 2016 में पाया गया कि सिर्फ 20 फीसदी गोला-बारूद ही 40 दिन के मानक पर खरे उतरे। 55 फीसदी गोला बारूद 20 दिन के न्यूनतम स्तर से भी कम थे। हालांकि इसमें बेहतरी आई है, लेकिन बेहतर फायर पावर को बनाए रखने के लिए बख्तरबंद वाहन और उच्च क्षमता वाले गोला--बारूद जरूरी स्तर से कम पाए गए।

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