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हिंगोनिया गोशाला में पॉलीथिन से रोजाना 40 गायों की मौत

👤 Veer Arjun | Updated on:13 Sep 2019 4:57 AM GMT

हिंगोनिया गोशाला में पॉलीथिन से रोजाना 40 गायों की मौत

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जयपुर । व्यक्ति अपनी एक छोटी सी परेशानी से बचने के लिए शहर में घूमते आवारा जानवरों की जान खतरे में डाल रहा है। शहर भर में घूमती गायें खाने के सामान के साथ पॉलीथिन को भी निगल जाती है। इन गायों को नगर निगम शहर से पकड़कर हिंगोनिया गोशाला में पहुंचा रहा है। पॉलीथिन खाकर हिंगोनिया गोशाला में पहुंच रही इन गायों की कुछ समय बाद ही मौत हो जाती है। पॉलीथिन की वजह से गोशाला में रोजाना चालीस गायों की मौत हो रही है। अगर आवश्यक संसाधन हो तो इन गायों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता है। वर्तमान समय में हिंगोनिया गोशाला में 23 हजार से अधिक गौवंश रह रहा है।

कैरीबैग पॉलीथिन के साथ गाय के पेट से निकल रही गुटखा, चिप्स व डिटर्जेट पाउडर के खाली पाउच

जानकारी के अनुसार गाय की मौत के बाद गोशाला में उसका पोस्टमार्टम किया जाता है। पोस्टमार्टम में एक गाय के पेट से बीस किलो से लेकर पचास किलो तक पॉलीथीन निकल रहा है। इस पॉलीथीन में कैरीबैग पॉलीथिन के साथ जर्दा, पान मसाला, गुटखा, डिटर्जेट पाउडर , चिप्स , कुरकुरे सहित अन्य खाने-पीने के सामान की थैलियां भी शामिल है। गाय के पेट से सबसे ज्यादा कैरीबैग पॉलीथिन निकलता है। इसकी वजह भी साफ है। आमजन इस थैली में घर का कचरा जिसमें पुरानी रोटी, सब्जी के अवशेष सहित अन्य खाने का सामान बांध कर सड़क पर डाल देते है। सड़कों पर घूमते आवारा जानवर खाने के सामान के साथ इस थैली को भी निगल जाता है। जो कि पेट में जाने के बाद वह गाय के लिए जहर का काम करती है। थैली खाने से गाय को भूख कम लगती है और वह धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है और अंत में काल का ग्रास बन जाती है।

एक गाय के ऑपरेशन में लगते है पांच से सात घंटे

गाय के पेट से ऑपरेशन कर पॉलीथीन निकालने की प्रक्रिया में पांच से सात घंटे लगते है। एक गाय के ऑपरेशन के लिए दो डॉक्टर, दो कम्पाउडर और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आवश्यकता रहती है। एक गाय के ऑपरेशन में दस से बाहर हजार रुपये का खर्चा आता है। ऑपरेशन के बाद करीब 21 दिन तक गाय की विशेष देखभाल की आवश्यकता रहती है। गोशाला में वर्तमान में चौदह डॉक्टर है और उसमें चार सर्जन है। अगर रोजाना चालीस गायों का ऑपरेशन करना पड़े तो उसके लिए 240 की टीम के साथ उन्हें से रखने के लिए बाड़ों की भी जरूरत है, जो कि हिंगोनिया गोशाला में नहीं है। वर्तमान में गोशाला में ऑपरेशन के बाद केवल चालीस गायों के रखने की ही जगह है।

हर माह 1300 से अधिक गायों की मौत

हिंगोनिया गोशाला में हर माह करीब 1300 गायों की मौत हो रही है। इसमें से 95 प्रतिशत गोवंश वह है जिसकी मौत पॉलीथिन खाने की वजह से हुई है। जुलाई माह में गोशाला में 1377 गायों की मौत हुई है। इस प्रकार से देखा जाएं तो औसतन रोजाना चालीस से अधिक गायों की मौत हो रही है। पॉलीथिन की वजह से पांच साल में हिंगोनिया गोशाला में 60 हजार से अधिक गौवंश की मौत हो चुकी है।

बारिश के चलते एक माह से बंद है ऑपरेशन

ग्रामीण बहुउद्देशीय पशु चिकित्सक कार्यालय निदेशक हनुमान सहाय ने बताया कि बारिश के चलते एक माह से बीमार गायों के ऑपरेशन बंद है। बारिश में इंफेक्शन ज्यादा होता है। अब बारिश का दौर थम गया है। जल्द ही फिर से गायों के ऑपरेशन चालू किया जाएगा।

वहीं सहायक कार्यक्रम समन्वयक हरे कृष्णा मूवमेंट अक्षय पात्र, हिंगोनिया गोशाला प्रेमानंद ने बताया कि पिछले कुछ समय से लगातार पॉलीथिन को लेकर गोशाला प्रशासन भी जागरुकता अभियान चला रहा है। लेकिन आमजन व सरकार की बिना इच्छा शक्ति के इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। वर्तमान में पॉलीथीन की वजह से रोजाना चालीस से अधिक गायों की मौत हो रही है। इन गायों को बचाया जा सकता है लेकिन उतने संसाधन गोशाला प्रशासन के पास नहीं है। एजेंसी

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