कांग्रेस का हाथ, दंगाइयों के साथ, प्रियंका यूपी में भी दंगा फैलाने की कर रहीं कोशिश : भाजपा
लखनऊ. 'कांग्रेस का हाथ', दंगाइयों के साथ के नारा को लेकर कांग्रेस हमेशा अभियान चलाती है. सबको याद है कि नवम्बर 1984 में हुए दंगे में सिख समाज के लोगों के हत्या आरोपितों को कांग्रेस ने मंत्री पद देकर नवाजा था. कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा को यही बात नहीं पच रही है कि यूपी में इतनी शांति कैसे है.
वह कोशिश कर रही हैं कि यहांं का उपद्रव बढ़ जाये और दंगा हो. इस कारण वे उपद्रवियों को प्रोत्साहन दे रही हैं. यदि उनमें मानवता होती तो वे पाकिस्तान के ननकाना साहिब पर हुए हमले के बारे में जरूर बोलीं होतीं. यदि उन्हें पीड़ितों के दर्द का एहसास होता तो कोटा में हुए 107 से अधिक बच्चों की मौत पर उनके परिजनों से दुख बांटने जरूर गयी होतींं. ये बातें भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने रविवार को कही.
प्रियंका गांधी ने लिखा था पत्र
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शुक्ला शनिवार को मेरठ में दंगा में मारे गये लोगों के परिजनों से मिलने और फिरोजाबाद में भेजे गये डेलिगेट्स के हाथों उनके पत्र का जवाब दे रहे थे. दंगा में प्रभावित लोगों के यहां शनिवार को फिरोजाबाद में कांग्रेस का एक डेलिगेट्स मिलने गया था.
उनके हाथों प्रियंका गांधी ने एक पत्र भी भेजा था, जिसमें लिखा था कि अपनों का खोना क्या होता है, मैं दिल की गहराइयों से समझती हूं. आपके साथ जो हुआ, उसकी भरपाई तो की नहीं जा सकती, लेकिन ऐसे मौके पर एक दूसरे का हाथ थामने पर बहुत तसल्ली मिलती है. आप कत्तई अपने को अकेला न समझें. हम आपके साथ हैं. देश को बांटने वाली ताकतें देश को कमजोर कर रही हैं.
समाज को बांटने की कोशिश कर रही हैं कांग्रेस महासचिव
शुक्ला ने रविवार को सुबह प्रियंका के इसी पत्र का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस ने हमेशा देश को बांटा है. अंग्रेजों की नीति 'फूट डालो, राज करो' की नीति पर कांग्रेस चली है. यदि नेहरू का ऐसा विचार नहीं रहा होता तो आज पाकिस्तान नहीं होता. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी यूपी में समाज को बांटकर उपद्रव कराने की कोशिश कर रही हैं.
उकसाने में कामयाब नहीं हो सकतीं प्रियंका
उन्होंने कहा कि यदि उनमें अपनों के खोने का दर्द होता तो वे कोटा में वह दर्द क्यों नहीं महसूस कर रही हैं. यूपी में उपद्रवियों का साथ देकर भी वे यहां दंगा को उकसावा देने में कामयाब नहीं हो सकतीं, क्योंकि यहां 1984 वाली कांग्रेस की सरकार नहीं है. यह सुशासन की सरकार है. यहां उपद्रवियों के साथ कड़ाई से निपटने का तरीका भी मालूम है, आमजन तक विकास पहुंचे, इसका भी सरकार ने भरपूर प्रबंध किया है.
अगर ममता है तो कोटा क्यों नहीं जातीं प्रियंका
उन्होंने कहा कि वह तो खुद एक भूमाफिया की पत्नी हैं. ऐसे में उनको तो कानून का उल्लंघन करने वालों से ही हमेशा हमदर्दी रहेगी. उनको आमजन के दर्द से क्या लेना-देना. यदि उनमें ममता होती तो वह राजस्थान जातीं और मृत हुए बच्चों के माता-पिता का दर्द बांटतीं. उनकी पार्टी की ही सरकार के एक मंत्री ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है और जिम्मेदारी तय करने की बात कही है. इसके बावजूद इस मुद्दे पर कांग्रेस महासचिव मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं. इससे उनकी सियासत को सहज ही समझा जा सकता है. (एजेंसी हिस.)