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अमृतसर सामूहिक आत्महत्या मामले में पूर्व डीआईजी सहित 5 को आठ और डीएसपी को 4 साल की सजा

👤 Veer Arjun | Updated on:19 Feb 2020 10:46 AM GMT

अमृतसर सामूहिक आत्महत्या मामले में पूर्व डीआईजी सहित 5 को आठ और डीएसपी को 4 साल की सजा

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अमृतसर । अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने करीब 15 साल पुराने और बहुचर्चित अमृतसर सामूहिक आत्महत्या मामले के दोषी पूर्व डीआईजी को आठ वर्ष और डीएसपी को चार साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा इसी मामले के चार अन्य दोषियों को आठ-आठ साल की सजा सुनाई है।

वर्ष 2005 में चौकमनी क्षेत्र की घटना है। हरदीप सिंह ने पत्नी, पुत्र, पुत्री और मां के साथ आत्महत्या कर ली थी। इस परिवार ने मरने से पहले घर की दीवार पर आत्महत्या का कारण लिखा था। घटना के लिए उन्होंने तत्कालीन एसएसपी कुलतार सिंह और अपने चार रिश्तेदारों समरीन, परमिंदर कौर, महेंद्र और बलविंदर पाल सिंह को जिम्मेदार ठहराया था। मामले की जांच पंजाब मानवाधिकार आयोग ने की।

दो दिन पहले 17 फरवरी को अदालत ने इस मामले में तत्कालीन एसएसपी और अब पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह, डीएसपी हरदेव सिंह समेत छ:ह लोगों को दोषी करार दिया था। उसके बाद सभी दोषियों को अमृतसर की केंद्रीय जेल में रखा गया। आज बुधवार को अदालत ने पूर्व डीआईजी कुलतार सिंह को आठ साल और डीएसपी हरदेव सिंह को चार साल कैद की सजा सुनाई है। जबकि चार अन्य दोषियों को आठ-आठ वर्ष की सजा सुनाई है।

दरअसल, आत्महत्या करने वाले परिवार के मुखिया हरदीप सिंह पर पिता सुंदर सिंह की हत्या करने का आरोप था। उसने कत्ल करने के बाद शव को नहर में फेंक दिया था। बाद में रिश्तेदारों को पता चला तो उनके माध्यम से पुलिस ने शव बरामद कर लिया। पूछताछ में हरदीप ने हत्या की बात कबूल कर ली, लेकिन इस मामले में तत्कालीन एसएसपी कुलतार सिंह ने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। आरोप है कि हरदीप सिंह 10 लाख रुपये वसूले गए। लेकिन रिश्वत लेने के बाद भी उसे चैन से नहीं बैठने दिया गया।

हरदीप का आरोप था कि एक दिन एसएसपी कुलतार सिंह ने उसे शहर से बाहर भेज दिया और उसके पीछे उसकी पत्नी को दफ्तर में बुलाकर उससे दुष्कर्म किया। इससे दुखी होकर परिवार ने सामूहिक आत्महत्या करने का फैसला कर लिया। पुलिस थाना कोतवाली में तैनात तत्कालीन इंस्पेक्टर और वर्तमान डीएसपी हरदेव सिंह पर आरोप था कि उसने कुलतार के कहने पर आत्महत्या के प्रमाण नष्ट करने के लिए दीवार को साफ करवाने की साजिश रची।

लेकिन पंजाब मानवाधिकार संगठन ने सामूहिक आत्महत्या मामले की जांच जस्टिस (सेवानिवृत्त) अजीत सिंह से करवाई तो एक-एक कर सारी परतें उधड़ती चली गईं। अब इसी मामले में जिला अदालत ने कुलतार सिंह, हरदेव सिंह, समरीन, परमिंदर कौर, महेंदर और बलविंदर पाल सिंह को दोषी करार देते हुए अलग-अलग सजा सुनाई है।

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