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मप्र में सरकार बनाने के तिकड़म में केंद्र ने कोरोना से लड़ने में की देरी : कमलनाथ

👤 mukesh | Updated on:12 April 2020 10:23 AM GMT

मप्र में सरकार बनाने के तिकड़म में केंद्र ने कोरोना से लड़ने में की देरी : कमलनाथ

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नई दिल्ली। कांग्रेस ने कोविड-19 (कोरोना वायरस) महामारी से निपटने की दिशा में केंद्र सरकार पर देरी से योजना बनाकर प्रयास शुरू करने का आरोप लगाया है। विपक्षी पार्टी ने कहा कि राहुल गांधी ने 12 फरवरी को ही वायरस को लेकर चेताया था लेकिन तब केंद्र मध्य प्रदेश में सरकार को गिराने और बनाने में व्यस्थ थी। इसका नतीजा यह रहा है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई देर से शुरू हो सकी और करीब 40 दिन बाद सुरक्षात्मक कदम के तौर पर देशभर में लॉकडाउन घोषित किया गया।

कांग्रेस नेता एवं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया कोरोना की गंभीर महामारी की चपेट में है। दुनिया के सभी देश इससे निपटने के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में भारत में इस वायरस के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से केंद्र सरकार के साथ है। उन्होंने कहा कि प्रमुख विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस को अपनी जिम्मेदारी का अहसास है, इसलिए जनता की भलाई को लेकर वह सरकार की हरसंभव मदद कर रही है और कुछ जगहों पर जब सरकार के फैसले गलत होते हैं तो उन्हें टोकती भी है।

इस दौरान कमलनाथ ने मध्य प्रदेश सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के खिलाफ सभी राज्य लगातार कोशिशों में लगे हैं, वहीं मध्यप्रदेश एकमात्र ऐसा राज्य है जहां न तो स्वास्थ मंत्री है और न ही गृहमंत्री। कोरोना जैसी समस्या से निपटने के लिए जिस शिवराज सरकार के पास पर्याप्त मंत्रिमंडल ही नहीं है, वह किस प्रकार की योजना बनाएंगे।

कांग्रेस नेता ने कहा कि इस महामारी को हराने के लिए सबसे अहम है कि ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग की जाए ताकि इस वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने का काम पूर्ण हो सके। लेकिन हकीकत यह है कि मध्य प्रदेश में केवल शहरी क्षेत्र में ही टेस्टिंग हो रही है, जबकि ग्रामीण इलाकों में तो परीक्षण की संख्या ना के बराबर है। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में टेस्टिंग की स्थिति प्रति दस लाख पर कुछ गिने-चुने लोगों की ही टेस्टिंग हो रही है। उस पर राज्य में सुरक्षा उपकरणों की भी काफी कमी है। यहां तक कि अस्पतालों में चिकिस्तकीय टीम के पास भी पर्याप्त पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट नहीं हैं। (एजेंसी हिस.)

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