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गंगा के कोख में रहने वाले किसानों के अब आयेंगे 'अच्छे दिन'

👤 manish kumar | Updated on:28 Nov 2020 9:43 AM GMT

गंगा के कोख में रहने वाले किसानों के अब आयेंगे अच्छे दिन

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रायबरेली । गंगा के कोख में रहने वाले हजारों किसानों के अब अच्छे दिन आने वाले हैं। यूपी सरकार की गंगा किनारे के क्षेत्रों को जैविक हब बनाने की योजना अगर कामयाब रही तो निश्चित रूप से किसानों के लिये यह काफी फायदेमंद होगा।

नमामि गंगे के तहत आनेवाले सभी जिलों को इस योजना में शामिल किया गया है। रायबरेली में भी करीब 400 हेक्टेयर में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने की तैयारी है। अभी तक गंगा के किनारे क्षेत्रों में करीब 4500 हेक्टेयर पर खेती की जाती है।

उपनिदेशक(कृषि) एचएन सिंह का कहना है कि इससे किसानों के उत्पाद की लागत कम होगी और खेती भी पूर्णतया प्रदूषणमुक्त होगी। एचएन सिंह के अनुसार फसल पोषक तत्वों से युक्त होगा, जिससे हर फसल को एल अलग टैग मिलेगा। उन्होंने बताया कि किसानों की फसलों को बाजार में अलग ब्रांड से पहचान मिल सकेगी।

उल्लेखनीय है कि देश में अब जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है, इसके लिये अच्छी गुणवत्ता के उत्पादों की जरूरत है। सरकार इन उत्पादों की गुणवत्ता अच्छी हो सके इसके लिये इनका प्रमाणीकरण भी कराने की तैयारी कर रही है। इससे जहां ग्राहकों को बेहतर गुणवत्ता के उत्पाद उपलब्ध हो सकेंगे, वहीं किसानों को भी फसल तैयार करने के लिये बेहतर तकनीकी सहायता दी जा सकेगी।

'जैविक खेती बनेगी किसानों की समृद्धि का आधार''

गंगा किनारे के क्षेत्र के किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने की सरकार की योजना है, जिससे यह किसानों की समृद्धि का आधार बन सकता है। इस क्षेत्र में खेती को नियोजित और बेहतर मॉनिटरिंग करने के लिए क्लस्टर पद्धति अपनाई जाएगी। हर क्लस्टर 50 एकड़ का होगा जिसके लिए सरकार तीन सालों तक किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रति क्लस्टर 10 लाख का अनुदान देगी। इस राशि मे 38 फीसदी क्लस्टर के गठन, किसानों की क्षमता बढ़ाने, मूल्य संवधर्न, ब्रांडिंग और पैकेजिंग पर खर्च किये जायेंगे।

इस योजना के तहत क्लस्टर में शामिल होने वाले किसानों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। खेत को तैयार करना, हरी खाद का प्रबंधन, नर्सरी की तैयारी, पंचगव्य, जीवामृत और वर्मी कम्पोस्ट आदि का प्रशिक्षण विशेषज्ञों द्वारा दिया जाएगा। किसानों को अपने उत्पाद बेचने में आसानी रहे इसके लिए बाजार के अनुकूल उन्हें उत्पाद की सफाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग और लेवलिंग का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। सरकार की योजना है कि बाजार किसानों के नजदीक हो इसके लिए हर मंडल मुख्यालय पर जैविक मंडी खोली जाएगी। यूपी सरकार की यह योजना अगर सफल रही तो निश्चित रूप से जहां किसान लाभन्वित होंगे वहीँ एक बार फिर गंगा की कोख दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में शुमार हो सकेगी।(हि.स.)

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