Home » देश » धार्मिक भावनाओं के जरिए कोर्ट को प्रभावित करना न्याय मंदिर लिए सही नहीं : हाईकोर्ट

धार्मिक भावनाओं के जरिए कोर्ट को प्रभावित करना न्याय मंदिर लिए सही नहीं : हाईकोर्ट

👤 Veer Arjun | Updated on:10 May 2022 10:21 AM GMT

धार्मिक भावनाओं के जरिए कोर्ट को प्रभावित करना न्याय मंदिर लिए सही नहीं : हाईकोर्ट

Share Post

प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अवमानना याचिका को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की और कहा कि धार्मिक भावनाओं के जरिए कोर्ट को प्रभावित करना न्याय के लिए अच्छा नहीं है। कोर्ट ने मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता के व्यवहार पर भी असंतोष जताया।

यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने जहर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। मामले में याची की ओर से अवमानना याचिका दायर की गई थी। कहा गया था कि हाईकोर्ट के 2013 में दिए गए आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने इस आदेश से प्रदेश में मस्जिदों व मंदिरों में लाउडस्पीकरों के प्रयोग वह उसकी ध्वनि सीमा को लेकर एक नीति बनाने का निर्देश दिया था। याची का कहना था सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया।

आदेश में बदायूं जिले के काकोड़ा थाने में स्थित दो मस्जिदों में एक निश्चित ध्वनि सीमा में लाउडस्पीकर लगाने की छूट दी गई थी। उसमें यह भी कहा गया था कि लाउडस्पीकर के उपयोग के सम्बंध में नीति तैयार करने को कहा गया था। याची की ओर से इस आदेश का उल्लंघन बताया गया था।

कोर्ट ने कहा कि 2013 का आदेश अंतरिम था और वह मामला अभी हाईकोर्ट में विचारधीन है। फैसला आना बाकी है। इसलिए अवमानना का मामला बनता नहीं है। कोर्ट ने पाया कि याचिका में यह कहा था कि राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में मनमाने ढंग से काम कर रही है और वह केवल अवैध मस्जिद को हटा रही है और मंदिरों को नहीं हटा रही है।

कोर्ट ने याची के अधिवक्ता का तर्क को अस्वीकार्य कर दिया। कोर्ट ने कहा कि क्योंकि, एक वकील से कानून के मर्यादा के भीतर बहस करने की उम्मीद की जाती है और इस तरह के तर्क को अदालत के सामने नहीं रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने इसके पहले भी मस्जिद में लाउडस्पीकर के उपयोग के सम्बंध में दायर अवमानना याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने उसे एक प्रायोजित मुकदमा बताया था। हाईकोर्ट अपने चार मई 2022 के आदेश में यह तय कर चुका है कि मजिस्दों में लाउडस्पीकर का उपयोग मौलिक अधिकार नहीं है। (हि.स.)

Share it
Top