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राज्यसभा चुनाव : हरियाणा का किला नहीं बचा पाई कांग्रेस, अजय माकन हारे, निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा ने मारी बाजी

👤 Veer Arjun | Updated on:11 Jun 2022 9:55 AM GMT

राज्यसभा चुनाव : हरियाणा का किला नहीं बचा पाई कांग्रेस, अजय माकन हारे, निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा ने मारी बाजी

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चंडीगढ़ । राजस्थान (Rajasthan) में भले ही कांग्रेस (Congress) के तीनों उम्मीदवार (Candidate) जीत गए, लेकिन हरियाणा (Haryana) में कांग्रेस विधायकों (Congress MLA) की पर्याप्त संख्या होते हुए भी राज्य सभा के लिए अपने उम्मीदवार अजय माकन को जीत नहीं दिलवा पाई। हरियाणा में दो सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार और उसके समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा ने बाजी मार ली। वोटिंग होने के बाद विवाद की वजह से करीब 8 घंटे तक काउंटिंग नहीं हो सकी और देर रात करीब 2:30 बजे नजीते घोषित किए गए।

हरियाणा के 90 में से 89 विधायकों ने वोट डाला। निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। प्राप्‍त जानकारी के अनुसार भाजपा के पंवार को 31 वोट मिले और वह पहली सीट के लिए निर्वाचित हुए। दूसरे उम्मीदवार को भी जीत के लिए इतने ही विधायकों के वोट चाहिए थे। हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के पास 31 सदस्य हैं, लेकिन पार्टी से असंतुष्ट चल रहे कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी के अधिकृत एजेंट को दिखाए बिना वोट डाला। माना जा रहा है कि उन्होंने पार्टी प्रत्याशी को वोट नहीं दिया। भाजपा समर्थित कार्तिकेय शर्मा और अजय माकन को प्रथम वरीयता के 29-29 वोट मिले, लेकिन दूसरी वरीयता के वोट से कार्तिकेय जीत गए।

वोट रद्द कराने के लिए ईसी में याचिका

राज्य की दोनों राज्यसभा सीटों के लिए सुबह मतदान शुरू होने के साथ ही हाई वोल्टेज ड्रामा देखा गया। मतगणना तब शुरू हुई जब सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा की कांग्रेस के दो वोटों को रद्द करने की याचिका चुनाव आयोग में खारिज कर दी गई।

हरियाणा के सीईओ अनुराग अग्रवाल ने कहा कि चुनाव आयोग ने उन्हें सभी वोटों की गिनती करने के लिए कहा था। इसका मतलब यह हुआ कि चुनाव आयोग ने जजपा, भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवार की याचिकाओं को खारिज कर दिया। आपको बता दें कि 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में 89 विधायकों ने वोट डाला था।

पहले वोट के साथ ही हंगामा

तीन उम्मीदवारों के मैदान में होने के कारण पहला वोट डालते ही उच्च-दांव वाले इस राज्यसभा चुनाव में तनाव स्पष्ट था। बीजेपी के अधिकृत एजेंट और हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने जहां पहला वोट डाला, वहीं कांग्रेस की तरफ से बीबी बत्रा के पहला वोट डालते ही बीजेपी और जेजेपी के विधायकों की ओर से आपत्तियां आने लगीं।

सूत्रों ने कहा कि भाजपा और जजपा ने यह मुद्दा उठाया कि बत्रा ने अपनी पार्टी के अधिकृत एजेंट विवेक बंसल से बात की थी। गठबंधन के नेताओं ने दावा किया कि इसकी अनुमति नहीं दी गई, साथ ही आरोप लगाया कि बत्रा का वोट उजागर था और अन्य पार्टियों के एजेंटों द्वारा देखा गया था,इसे अमान्य घोषित किया जाना चाहिए।

शर्मा की मांग पर रिटर्निंग ऑफिसर आरके नंदल ने वीडियो रिकॉर्डिंग की जांच की और आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने शर्मा के लिखित दावे को भी खारिज कर दिया और बत्रा को वोट डालने की अनुमति दी।

इसी तरह का बाद में जजपा एजेंट ने तब हंगामा किया जब कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने पार्टी एजेंट बंसल को अपना वोट दिखाया। हालांकि, वीडियोग्राफी की जांच के बाद इस दावे को भी खारिज कर दिया गया। कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई उन पहले विधायकों में शामिल थे, जिन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज को ध्यान में रखते हुए अपना वोट डाला। सूत्रों ने बताया कि बंसल ने बिश्नोई के पार्टी प्रत्याशी को वोट नहीं देने का मुद्दा उठाया।

बसों में पहुंचे विधायक

भाजपा और जजपा विधायक निर्दलीय विधायकों (बलराज कुंडू को छोड़कर) के साथ दो बसों में पहुंचे, जबकि कांग्रेस विधायक वोट डालने के लिए एक अलग बस में एक साथ पहुंचे। पता चला है कि निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में वोट डाला।

निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू, जिन्होंने कृषि कानूनों को लेकर भाजपा के खिलाफ प्रचार किया था, ने मतदान स्थल पर आने के बावजूद अपना वोट नहीं डाला। उन्होंने कहा, ''मैं भाजपा को कैसे वोट कर सकता हूं? मैं उस कांग्रेस उम्मीदवार को भी वोट नहीं दे सकता जो बाहरी है।'' पता चला है कि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने उन्हें शर्मा के पक्ष में वोट करने के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

जमकर आरोप-प्रत्यारोप

सूत्रों ने कहा कि जजपा के अधिकृत एजेंट और पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह चौटाला की कई मौकों पर प्रतिद्वंद्वी पार्टी के नेताओं के साथ बहस हुई और उनके आक्रामक रुख ने अनावश्यक तनाव पैदा किया। सूत्रों ने कहा कि चौधरी ने भी आवाज उठाई और चौटाला को कांग्रेस के वोटों को देखने के लिए लगातार झांकने की कोशिश करने के बजाय अपने कक्ष तक ही सीमित रहने को कहा।

मतदान के दौरान नंदल ने चौटाला के बैठने के तरीके पर आपत्ति जताई और उनसे कांग्रेस विधायकों के वोट देखने के लिए बाहर घूमने के बजाय अपनी कुर्सी को पीछे धकेलने के लिए कहा। चौटाला ने भी यह कहते हुए "चिल्लाया" कि आरओ उनके बैठने का तरीका नहीं बता सकता।

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