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जन्मभूमि की मिट्टी लाकर कारगिल युद्ध के शहीदों को दी जाएगी श्रद्धांजलि

👤 Veer Arjun | Updated on:24 July 2022 10:24 AM GMT

जन्मभूमि की मिट्टी लाकर कारगिल युद्ध के शहीदों को दी जाएगी श्रद्धांजलि

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लखनऊ । कारगिल युद्ध में बलिदान देने वाले उप्र के 76 रणबांकुरों को उनकी जन्मभूमि की मिट्टी लाकर श्रद्धांजलि दी जायेगी। 26 जुलाई को सेंट जोसेफ स्कूल शारदा नगर लखनऊ में प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शहीदों के परिजनों को सम्मानित करेंगी।

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल दुष्यंत सिंह (सेवानिवृत्त) ने बताया कि पूर्व सैनिक परिषद और उप्र के संस्कृति विभाग के प्रयास से 26 जुलाई की शाम 5ः30 बजे सेंट जोसेफ स्कूल शारदा नगर लखनऊ में कारगिल विजय दिवस समारोह का आयोजन किया जायेगा। इसमें प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक, जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि कारगिल युद्ध की शुरुआत तब हुई थी जब पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर घुसपैठ करके अपने ठिकाने बना लिए थे। आठ मई वर्ष 1999 को पाकिस्तान की छह नॉरदर्न लाइट इंफैंट्री के कैप्टेन इफ्तेखार और लांस हवलदार अब्दुल हकीम 12 सैनिकों के साथ कारगिल की आजम चौकी पर बैठे हुए थे।

करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई पर कारगिल में लड़ी गई इस जंग में पाकिस्तान के 600 से ज्यादा सैनिक मारे गए, जबकि 1500 से अधिक घायल हुए थे। वही भारत केे 562 जवान शहीद हुए और 1363 घायल हुए थे। यह युद्ध विश्व के इतिहास में दुनिया के सबसे ऊंचे क्षेत्रों में लड़ी गई जंग की घटनाओं में शामिल है। यह युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई के दिन उसका अंत हुआ। इसमें भारत की विजय हुई। कारगिल युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान में यह विजय दिवस मनाया जाता है। इस युद्ध को ऑपरेशन विजय के नाम से भी जाना जाता है।

इस युद्ध में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया था। इसके बाद जहाँ भी पाकिस्तान ने कब्जा किया, वहाँ बम गिराए गए। इसके अलावा मिग-29 की सहायता से पाकिस्तान के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलों से हमला किया था।

उस दौरान देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच कई बार टेलीफोन पर बात हुई थी। तब प्रधानमंत्री ने माना था कि शरीफ का अपनी सेना पर कोई नियंत्रण नहीं, बल्कि सारी ताकत जनरल परवेज मुशर्रफ के पास थी।

कारगिल युद्ध का घटनाक्रम

तीन मई 1999- चरवाहे ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तान सेना के घुसपैठ की सूचना दी।

पांच मई - सेना की पेट्रोलिंग टीम जानकारी लेने कारगिल पहुँची तो पाकिस्तानी सेना ने उन्हें पकड़ लिया और उनमें से पांच की हत्या कर दी थी।

नौ मई - पाकिस्तानियों की गोलाबारी से भारतीय सेना का कारगिल में मौजूद गोला बारूद का स्टोर नष्ट हो गया था।

10 मई - पहली बार लद्दाख का प्रवेश द्वार यानी द्रास, काकसार और मुश्कोह सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठियों को देखा गया था।

26 मई - भारतीय वायुसेना को कार्रवाई के लिए आदेश दिया गया था।

27 मई - कार्रवाई में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का भी इस्तेमाल किया था।

26 जुलाई - कारगिल युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया था। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों के पूर्ण निष्कासन की घोषणा की थी।

इस युद्ध के कारण पाकिस्तान में राजनैतिक और आर्थिक अस्थिरता बढ़ गई थी और नवाज़ शरीफ़ की सरकार को हटाकर परवेज़ मुशर्रफ़ राष्ट्रपति बन गए थे। दूसरी ओर भारत में इस युद्ध के दौरान देशप्रेम का उबाल देखने को मिला और भारत की अर्थव्यवस्था को काफ़ी मजबूती मिली। भारतीय सरकार ने रक्षा बजट को और बढ़ाया। इस युद्ध से प्रेरणा लेकर कई फ़िल्में भी बनीं जिनमें एल.ओ.सी कारगिल, लक्ष्य और धूप मुख्य हैं।

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