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हरियाणा : हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने खोजा टीका, एक साल में हुआ तैयार

👤 Veer Arjun | Updated on:11 Aug 2022 4:48 AM GMT

हरियाणा : हिसार के राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने खोजा टीका, एक साल में हुआ तैयार

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हिसार (हरियाणा) । लंपी स्किन बीमारी (lumpy skin disease) से बचाव के लिए लंपी प्रो-वैक आईएनडी (lumpy pro-vac Ind) महज एक से दो रुपये के खर्च में उपलब्ध होगी। यह शत प्रतिशत सुरक्षित वैक्सीन (Vaccine) होगी। महज एक साल में स्वदेशी वैक्सीन तैयार करने वाले हरियाणा (Haryana) के हिसार के दो वैज्ञानिकों डॉ. नवीन कुमार व डॉ. संजय ने यह दावा किया है।

हरियाणा के हिसार में राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. नवीन कुमार ने बताया कि 2019 में यह बीमारी पहली बार ओडिशा में मिली थी। पहले तीन महीने में इसके विषाणु की पहचान की गई। जिसमें पता लगा कि यह लंपी बीमारी का मुख्य कारण वायरस है, जो पोक्स फैमिली का है।

तीन महीने तक इसका क्लीनिकल ट्रायल हुआ। जिसमें सबसे पहले खरगोश पर परीक्षण किया गया। दूसरा परीक्षण मई 2022 में 15 बछड़ों पर किया गया। जिसमें 15 बछड़े पूरी तरह से सुरक्षित रहे। इसके बाद राजस्थान की गोशालाओं में इसका व्यापक परीक्षण किया गया। टीका लगने के बाद 7 से 14 दिन बाद एंटीबॉडीज बनने लगती है।

चार सप्ताह में पशु पूरी तरह से खतरे से बाहर होने लगता है। डॉ. डीआर गुलाटी ने बताया कि इसके लिए 50 परीक्षण किए गए हैं। एक परीक्षण में एक सप्ताह का समय लगता है। टीके का फार्मूला तैयार करने में एक साल का समय लगा। केंद्र के निदेशक डॉ. यशपाल ने बताया कि हमारी टीम ने बेहद कम समय में टीका तैयार कर लिया है। इस टीके के आपातकाल प्रयोग की अनुमति सरकार से मांगी गई है। केंद्र सरकार ने इस टीके को बुधवार को लांच कर दिया है। इससे पहले राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने पशुओं के लिए कोरोना वैक्सीन की खोज की थी।

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