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भारतीय संस्कृति पर आघात करता बिग बॉस

👤 manish kumar | Updated on:11 Oct 2019 8:37 AM GMT

भारतीय संस्कृति पर आघात करता बिग बॉस

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छोटे पर्दे पर प्रसारित किए जा रहे विवादित और भारतीय मर्यादाओं की धज्जियां बिखेरने वाले रियलिटी शो बिग बॉस को लेकर देश भर में विरोध की आवाज उठने लगीं हैं। अब इसके विरोध में करणी सेना भी कूद गई है। वास्तव में पश्चिमी शैली पर आधारित किसी भी विचार को भारतीय जीवन का हिस्सा कैसे बनाया जाए, यह शो उसी का एक जीता जागता प्रमाण ही लगता है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि बिग बॉस के हर सीजन में कुछ ऐसा दिखाने का प्रयास किया है, जो पूरी तरह से भारतीय मान मर्यादाओं पर कुठाराघात करता है। हम यह भली भांति जानते हैं कि भारत में चल चित्रों के माध्यम से हिन्दू संस्कृति को एक विकृति के रूप में प्रस्तुत करने का खेल लंबे समय से चल रहा है, जबकि अन्य संप्रदायों को सम्मान जनक तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा। यह सारा खेल अभिव्यक्ति की आजादी और धर्म निरपेक्षता की आड़ में चल रहा है।

बिग बॉस के माध्यम से जिस चरित्रों का प्रदर्शन किया जाता रहा है, इसका विरोध कई बार समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा किया जा चुका है और निरंतर हो भी रहा है, लेकिन देश में एक वर्ग ऐसा भी है जो ऐसे कार्यक्रमों का स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के नाम पर समर्थन भी करता है। ऐसा लगता है कि जो संस्थाएं या व्यक्ति इसका समर्थन करती हैं, वे भारत के मूल को जानती ही नहीं हैं। इसलिए बिग बॉस को कहीं न कहीं इसे घर-घर में बुराई पहुंचाने वाला कार्यक्रम ही कहा जाने लगा है। इस बार के बिग बॉस की शुरुआत ही गलत ढंग से हुई है। इसमें कुआरी लड़कियों को बिस्तर पर उनके साथ सोने के लिए लड़के दिए गए हैं। इस बात को पूरा देश देख रहा है, जिसके चलते देश के युवाओं में इसका बहुत ही गलत संदेश जा रहा है। इसलिए बिग बॉस को पूरी तरह से भारतीय संस्कृति का विरोधी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

हम यह भी जानते है कि समाज के सामने जिस प्रकार के दृश्य उपस्थित किए समाज वैसा ही आचरण करने की ओर प्रवृत्त होता है। इसके अलावा के बहुत बड़े हिस्से को यह भी नहीं पता हमारी संस्कृति क्या है, क्योंकि उनको इस बारे में बताया ही नहीं जाता। जब इसको नहीं बताया जाएगा तो स्वाभाविक ही है कि जो बताया जाएगा, उसे वह ग्रहण करने लगेगा। भारतीय संस्कृति को प्रवाहित करने वाले धारावाहिको को प्रसारित किया जाए तो मेरा दावा है कि उसे बड़ी संख्या में देखा जाएगा। इसका उदाहरण रामानन्द सागर द्वारा निर्मित रामायण और बीआर चौपड़ा द्वारा निर्मित महाभारत नामक धारावाहिक रहे हैं। यह कितने लोकप्रिय रहे, पूरे देश ने देखा है। रामायण के प्रसारण के समय पूरा देश थम जाता था, ट्रैन रुक जाती थीं, बाजार की चहल पहल गायब हो जाती थी। इससे यह साबित होता है कि भारतीय संस्कृति पर आधारित कोई भी धारावाहिक आज भी भारत में स्वीकार करने योग्य है।

जहां तक बिग बॉस को प्रसारित करने का सवाल है तो यह सामाजिक बुराई को व्यक्त करने वाला ही है। कहा जाता है कि बुराई से बुराई का जन्म होता है। कोई भी बुराई अच्छा परिणाम दे ही नहीं सकती। सवाल यह भी है बिग बॉस में जो कुछ दिखाया जा रहा है, वह एक ऐसी बुराई है जो वैवाहिक संबंधों को तोडऩे के लिए प्रेरित करता है। पति और पत्नी के सात जन्मों के बंधन वाली अवधारणा को मटियामेट कर रहा है। भारत में कुंवारी कन्या को देवी के रूप में देखे जाने की शाश्वत परंपरा विद्यमान है, लेकिन बिग बॉस में उसे भोग की वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। कुंवारी लड़की को अपरिचित लड़कों के साथ सोने के लिए बाध्य किया जा रहा है। जो भारतीय दृष्टिकोण से सही नहीं है।

बिग बॉस पूरी तरह से पश्चिमी विकृति पर आधारित एक रियलिटी शो है। जिसमें भारतीय संस्कृति और नारी की मर्यादा को तार-तार करने का षड्यंत्र किया जा रहा है। यह सभ्य घराने की लड़कियों को बिगाडऩे की भी एक साजिश है। अगर बिग बॉस जैसा दृश्य भारत में आम हो जाए तो पूरा भारत ही छिन्न भिन्न हो जाएगा, इसलिए हम सच्चाई को समझें और ऐसे रियलिटी शो को देखने से परहेज करें। देश के संस्कारों को मिटाने का काम करने वाले ऐसे रियलिटी शो का समाज की ओर से भी पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए। क्योंकि हमारे समाज पर फिल्मों और टीवी धारावाहिकों का प्रभाव होता है। जैसा हम देखते हैं, वैसा बन जाते हैं। आज समाज में कई प्रकार की बुराइयों का समावेश होने के पीछे यही कारण माना जा रहा है।

हमारे निर्माता निर्देशक को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे ऐसी किसी भी धारावाहिक का निर्माण न करें जो भारतीय संस्कृति के विरोध में हों। हालांकि यह हो सकता है कि समाज की इस बुराई को अंगीकार करने वाले भी कुछ लोग हो सकते हैं, लेकिन अच्छी बातों को स्वीकार करने वालों की संख्या आज भी बहुत ज्यादा है। निर्माता निर्देशक अच्छा और संस्कारित संदेश देने वाले धारावाहिक का निर्माण कर सकें तो यह समाज की बहुत बड़ी सेवा होगी।

सुरेश हिन्दुस्थानी

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