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डॉ. कलाम को बेहद पसंद थी शिक्षक की भूमिका

👤 Veer Arjun | Updated on:15 Oct 2019 4:50 AM GMT

डॉ. कलाम को बेहद पसंद थी शिक्षक की भूमिका

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-डॉ. जगदीश गांधी

भारत के सबसे ज्यादा लोकप्रिय ग्यारहवें राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्तूबर 1931 को हुआ था। इनके पिता अपनी नावों को मछुआरों को देकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। अपनी आरंभिक पढ़ाईं पूरी करने के लिए कलाम जी को घर- घर अखबार वितरण का भी काम करना पड़ा था। कलाम जी ने अपने पिता से ईंमानदारी व आत्मानुशासन की विरासत पाईं और माता से ईंश्वर-विश्वास तथा करुणा का उपहार लिया। वे भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनना देखना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने अपने जीवन में अनेक उपलब्धियों को भारत के नाम भी किया। कलाम साहित्य में रुचि रखते थे, कविताएं लिखते थे, वीणा बजाते थे और अध्यात्म से गहराईं से जुड़े थे।

27 जुलाईं 2015 को डॉ. कलाम जीवन की अंतिम सांसें लेने से ठीक पहले वह छात्रों से बातें कर रहे थे, वह शायद ऐसे ही संसार से विदा होना चाहते होंगे। उनका साफ मानना था कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। किसी ने उनसे उनकी मनपसंद भूमिका के बारे में सवाल किया था तो उनका कहना था कि शिक्षक की भूमिका उन्हें बेहद पसंद आती है। वह 'रहने योग्य उपग्रह' विषय पर अपनी बात रखना चाहते थे कि नियति ने उन्हें हमसे वापस ले लिया, लेकिन उनके सपने देश को और मानव जाति को आगे ले जाने वाले थे। उनके विचारों को हम आगे बढ़ाकर उन्हें सच्ची श्रद्धाजंलि देने के लिए आगे आए।

डॉ. कलाम ने करोड़ों आंखों को बड़े सपने देखना सिखाया-एक साधारण परिवार से होने के बावजूद अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर बड़े से बड़े सपनों को साकार करने का एक जीता-जागता उदाहरण है पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन। आपका आदर्शमय जीवन हम सभी के लिए हमेशा प्रेरणास्पद रहा है। उनकी बातें नईं दिशा दिखाने वाली हैं। उन्होंने करोड़ों आंखों को बड़े सपने देखना सिखाया। वे कहते थे 'इससे पहले कि सपने सच हो आपको सपने देखने होंगे।' इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि 'सपने वह नहीं जो आप नींद में देखते हैं। यह तो एक ऐसी चीज है जो आपको नींद ही नहीं आने देती।' उनका मानना था कि छोटी सोच सही नहीं है। जितना मुमकिन हो, उतने ख्वाब देखिए। तरक्की का उनका ख्वाब शहरों से नहीं बल्कि गांव की पंचायतों से शुरू होता था। बच्चों को बचपन में दी गईं शिक्षा ही उसके सारे जीवन का आधार बन जाती है।

कलाम जी का मानना था कि बच्चों को बचपन में दी गईं शिक्षा ही उसके सारे जीवन का आधार बन जाती है। इसके लिए वे अपना उदाहरण देते हुए बताते थे कि वे बचपन से ही अपने गुरु श्री अय्यर जी से अत्यधिक प्रभावित थे। कक्षा 5 में पढ़ते हुए उनके गुरु श्री अय्यर जी ने उनकी कक्षा के सभी बच्चों को कक्षा में 'पक्षियों को उड़ने की व््िराया' पढ़ाने के साथ ही उन सभी को शाम को समुद्र तट पर बुलाकर पक्षियों को उड़ते हुए भी दिखाया था। इसका कलाम जी के जीवन में बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा और आने वाले समय में एक रॉकेट इंजीनियर, एयरोस्पेस इंजीनियर तथा प्रौदृाोगिकीवेत्ता के रूप में उनका जीवन रूपांतरित हो गया। कलाम जी का कहना था कि 'सात साल के लिए कोईं बच्चा मेरी निगरानी में रह जाए, फिर कोईं भी उसे बदल नहीं सकता।'

ईंश्वर की प्रार्थना हमें अपनी शक्तियों को विकसित करने में मदद करतीं हैं-भगवान में उनकी गहरी आस्था थी। कोईं तो है जो ब्रrांड चला रहा है। इतना बड़ा ब्रrांड, धरती के करोड़ों जीव-जन्तु क्या अपने आप ही जन्म तथा जीवन जी रहे हैं? कोईं शक्ति है जिसके कारण ब्रrांड में सब वुछ इतना सुनियोजित है। हम उस शक्ति को कोईं भी नाम दे सकते हैं। वे जहां एक ओर वुरान पढ़ते थे तो वहीं दूसरी ओर गीता भी पढ़ते थे।

उनका मानना था कि भगवान, हमारे निर्माता ने हमारे मस्तिष्क और व्यक्तित्व में असीमित शक्तियां और क्षमताएं दी हैं और ईंश्वर की प्रार्थना हमें इन शक्तियों को विकसित करने में मदद करती हैं। वे कहते थे कि आकाश की तरफ देखिए, हम अकेले नहीं हैं। सारा ब्रrांड हमारे लिए अनुवूल है और जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं उन्हें प्रतिफल देने के लिए सारा ब्रrांड उनकी मदद करता है। उनका मानना था कि शिक्षण का मुख्य उद्देश्य छात्रों में राष्ट्र निर्माण की क्षमताएं पैदा करना है। ये क्षमताएं शिक्षण संस्थानों के ध्येय से प्राप्त होती है तथा शिक्षकों के अनुभव से सृदृढ़ होती है, ताकि शिक्षण संस्थान से निकलने के बाद छात्रों में नेतृत्वकारी विशिष्टाएं आ जाएं। कलाम जी कहते थे कि अगर किसी भी देश को भ्रष्टाचारमुक्त और सुंदर-मन वाले लोगों का देश बनाना है तो मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य माता, पिता और शिक्षक ही ये कर सकते हैं।

सिटी मोन्टेसरी स्वूल के बच्चों के अनुरोध पर तीन बार आए डॉ. कलाम-बच्चों के अनुरोध पर वे हमारे विदृालय में तीन बार आए और उन्होंने अपने प्रेरणादायी भाषणों के माध्यम से बच्चों को बड़ा सपना देखने और फिर उस सपने को पूरा करने के लिए सर्मपित रहने के लिए प्रेरित किया। हमारे विदृालय की चैक शाखा की रोबोटिक्स लैब को देखने में उन्होंने विशेष रुचि ली तथा छात्रों की वैज्ञानिक प्रतिभा की भूरि-भूरि प्रशंसा की। छात्रों की रचनात्मक एवं नईं क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से सीएमएस की जापलिग रोड शाखा द्वारा बच्चों के महानायक, महान वैज्ञानिक व देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिवस 15 अक्तूबर के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 'अंतर्राष्ट्रीय इनोवेशन डे' का आयोजन किया जाता है। आज जरूरत इस बात की है हम छात्रों को नए-नए प्रयोग व आविष्कारों के लिए प्रोत्साहित करें। मातापिता को बच्चों की जिज्ञासा व सृजनशक्ति की अवहेलना नहीं करनी चाहिए बल्कि उनको खाली समय में अपनी रुचि के अनुसार नईं चीजें बनाने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए।

इस सृजनात्मक महोत्सव के अंतर्गत देशविदेश के छात्रों के लिए सृजनात्मक विचार या व््िराएटिव आइडिया, पोस्टर मेकिग और प्रोजेक्ट मेकिग जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जिसके लिए छात्र अपनी प्रविष्टियां भेजते हैं। डॉ. कलाम का मानना था कि बच्चों को वृत्रिम सुख की बजाए ठोस उपलब्धियों के पीछे सर्मपित रहना चाहिए। ऐसे महान कर्मयोगी के प्रति हम अपनी हरदिक श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं।

डॉ. कालम की पूरी जिन्दगी शिक्षा को सर्मपित थी। लगभग 40 विश्वविदृालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि, पा भूषण और पा विभूषण व भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारतरत्न' से सम्मानित होने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बाल एवं युवा पीढ़ी के प्रेरणारत्रोत थे। डॉ. कलाम की पूरी जिन्दगी शिक्षा को सर्मपित थी। बच्चों से रूबरू होना, स्वूल, कॉलेज और यूनिर्वसिटी में जाना व छात्र-छात्राओं से प्रेरणादायक बातें करना, डॉ. कलाम को बेहद पसंद था। उनका पूरा जीवन अनुभव और ज्ञान का निचोड़ था। डॉ. कलाम का कहना था कि अनजानी राह पर चलना ही साहस है। जब दिल में सच्चाईं होती, तब चरित्र में सुंदरता आती है। चरित्र में सुंदरता से घर में एकता आती है। घर में एकता से देश में व्यवस्था का राज होता है। देश की व्यवस्था से विश्व में शांति आती है। इसलिए बच्चों, शपथ लो, मैं जहां भी रहूंगा, यही सोचूंगा कि मैं दूसरों को क्या दे सकता हूं? हर काम को ईंमानदारी से पूरा करूंगा और सफलता हासिल करूंगा। महान लक्ष्य निर्धारित करूंगा।

किताबें, अच्छे लोग और अच्छे शिक्षक मेरे दोस्त होंगे। कलाम ने भारत को अंतरिक्ष में पहुंचाने में अहम योगदान दिया था। भारत निकट भविष्य में विश्व में शांति स्थापित करेगा-वह जानते थे कि किसी व्यक्ति या राष्ट्र के समर्थ भविष्य के निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका हो सकती है। उन्होंने हमेशा देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने की बात कही। उनके पास भविष्य का एक स्पष्ट खाका था, जिसे उन्होंने अपनी पुस्तक 'इंडिया 2020: ए विजन फॉर द न्यू मिलिनियम' में प्रस्तुत किया। इंडिया 2020 पुस्तक में उन्होंने लिखा कि भारत को वर्ष 2020 तक एक विकसित देश और नॉलेज सुपर पॉवर बनाना होगा। उनका कहना था कि देश की तरक्की में मीडिया को गंभीर भूमिका निभाने की जरूरत है। नकारात्मक खबरें किसी को वुछ नहीं दे सकती लेकिन सकारात्मक और विकास से जुड़ी खबरें उम्मीदें जगाती हैं। डॉ. कलाम एक प्रख्यात वैज्ञानिक, प्रशासक, शिक्षाविद् और लेखक के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे और देश की वर्तमान एवं आने वाली कईं पीढ़ियां उनके प्रेरक व्यक्तित्व एवं महान कार्यो से प्रेरणा लेती रहेगी। (लेखक सिटी मोंटेसरी स्वूल लखनऊ के शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबंधक हैं।)

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