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कड़ी सुरक्षा के घेरे में रेलवे स्टेशन

👤 mukesh | Updated on:19 Jan 2020 6:46 AM GMT

कड़ी सुरक्षा के घेरे में रेलवे स्टेशन

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- योगेश कुमार सोनी

केंद्र सरकार ने भारतीय रेलवे की सुरक्षा के लिए हाईटैक कदम उठाया है। अब रेलवे स्टेशनों पर इंटरनेट प्रोटोकोल यानी आईपी बेस्ट वीडियो सर्विलेंस सिस्टम लगाया जाएगा। इसके अलावा फैशन टेक्नोलॉजी को भी इंस्टॉल किया जा रहा है, इससे आंतकियों व मोस्ट वांटेड तत्वों को आसानी से पकड़ा जा सकेगा। साथ ही सिक्योरिटी फीचर के जरिए किसी भी मामले में लिप्त अपराधी, जिनकी तलाश एजेंसियों को है वो भी कानून के शिकंजे में आ जाएंगे। जैसे ही आपराधिक तत्व इस प्रणाली के अंतर्गत आने वाले एरिया में आएंगे, अलार्म बज जाएगा और वह दबोचे जा सकेंगे। इस काम के लिए पहले चरण में निर्भया फंड के तहत 250 करोड़ खर्च किए जाएंगे जिसमें 983 स्टेशनों पर काम होगा। यह काम 'रेलटेल कारपोरेशन ऑफ इंडिया' करेगा, जो भारत सरकार का ही एक मिनीरत्न उद्यम है। यह उद्यम ब्रॉडबैंड और वीपीएन सेवाएं देता है। 'रेलटेल' रेल मंत्रालय को पेपरलेस करने के लिए डिजिटल कार्यालय भी बना रहा है।

मंत्रालय द्वारा वीडियो सर्विलेंस सिस्टम के साथ ही फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम को लगाने के लिए भी कहा गया है। सर्विलांस सिस्टम स्टेशनों के आसपास अधिक से अधिक एरिया को कवर करेगा। इसके अंतर्गत स्टेशन के प्लेटफॉर्म सर्विलांस सिस्टम के दायरे में होगा ही, प्रतीक्षा कक्ष, पार्किंग, मुख्य द्वार, बाहर निकलने के सभी रास्ते, फुटओवर ब्रिज के अलावा सभी वो जगहें, जो रेलवे स्टेशन में आती हैं, सभी निगरानी में रहेंगे। संबंधित अधिकारियों का कहना है कि आईटी बेस्ट वीडियो सर्विलेंस सिस्टम में नासिक एचडी व अल्ट्रा एचडी क्वालिटी के कैमरे होंगे। इन कैमरों की विडियो रिकॉर्डिंग इतनी बेहतर होगी कि चेहरे की आसानी से पहचान संभव होगा। साथ ही टेन-जून टाइप कैमरे पार्किंग एरिया को कवर करेंगे और अल्ट्रा एचडी फोर-के कैमरा बाहरी जगह को कवर करेंगे। सीसीटीवी कैमरे से लाइट डिस्प्ले की जाएगी, जिससे स्क्रीन पर और रेलवे सुरक्षा बल के कंट्रोल रूम से इसपर कड़ी निगरानी बनाई जा सकेगी। फिलहाल दौ सौ स्टेशनों पर काम शुरू कर दिया गया।

वैसे तो हमारे देश में रेलवे हमेशा से घाटे में रहा है। विगत दिनों कैग की रिपोर्ट के मुबाबिक बीते दशक भर में रेलवे सबसे ज्यादा घाटे में रहा। कैग ने 2017-18 के आंकड़ों के आधार पर यह बताया कि रेलवे को सौ रुपया कमाने के लिए करीब 111 रुपया खर्च करना पड़ता है, जिससे लगातार घाटा हो रहा है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए यह भी कहा था कि एक ओर मोदी सरकार बुलेट ट्रेन की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ रेलवे का मौजूदा हाल इतना खराब है। लेकिन हम यही कहेंगे कि फिलहाल जितना हमारे पास है उसे सुरक्षित करके रखा जाए। सुरक्षा के लिहाज से यह एक बेहतर कदम है। आतंकी घटना हो या प्रर्दशनकारी, सभी रेलवे स्टेशनों को ही निशाना बनाते हैं। लेकिन टेक्नोलॉजी को लगाने के बाद इस काम से 'एक पंत तीन काज' भी हो जाएंगे। पहला तो यात्री सुरक्षा, दूसरा रेलवे स्टेशन के रूप में सरकारी संपत्ति की रक्षा, तीसरा आंतकियों या अपराधी तत्वों पर शिकंजा।

बहराहल, डिजिटल युग में ऐसे कार्यों को करना अनिवार्य भी हो गया था। हिन्दुस्तान में सुरक्षा का मुद्दा हमेशा से गर्माता रहा है लेकिन अबतक सिर्फ इसपर राजनीति होती है। तमाम सरकारें आती रहीं लेकिन धरातल कुछ खास नहीं था। ऐसा नहीं कि काम नही हुआ लेकिन जितनी उम्मीद थी उतना कभी नही हुआ। वैसे तो रेल किसी भी देश की लाइफ लाइन होती है लेकिन हमारे देश में इसका एक अलग ही महत्व है क्योंकि हमारे देश में सबसे ज्यादा यात्रा इस माध्यम से ही की जाती है। 2018 के आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब साढ़े आठ हजार रेलवे स्टेशन हैं। जो पूरे विश्व की अपेक्षा सबसे ज्यादा माने जाते हैं। जैसा कि अभी मात्र 983 स्टेशनों पर काम करने के लिए बजट पारित हुआ है, इस हिसाब से अभी पूरे देशभर के रेलवे स्टेशनों में काफी वक्त लगेगा लेकिन शुरुआत हुई यह भी अहम है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में रेलवे के लिए 65,837 करोड़ रुपये के बजट रखा गया है जिसमें पूंजीगत खर्च के लिए 1.60 लाख करोड़ का प्रस्ताव पारित है। पहली बार भारतीय रेल में इतनी बड़ा बजट रखा गया है। मौजूदा केंद्र सरकार रेल को अपडेट व अपग्रेड करने के लिए काम कर रही है।

(लेखक पत्रकार हैं।)

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