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चीन पर भारत का दबाव

👤 mukesh | Updated on:22 Sep 2020 9:27 AM GMT

चीन पर भारत का दबाव

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- रमेश सर्राफ धमोरा

भारत-चीन सीमा पर पिछले 5 महीने से लगातार तनाव बना हुआ है। भारत में लद्दाख के पास भारत-चीन के मध्य वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की सेना तैनात है। जो हर स्थिति का सामना करने के लिए तत्पर है। भारत-चीन सीमा पर जारी तनाव के मद्देनजर पिछले 15 जून की रात्रि में हुए खूनी संघर्ष में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 जवान शहीद हो गए थे। हालांकि चीन की सेना की ओर से भी हताहत होने वाले जवानों की संख्या भारतीय जवानों से कई गुना अधिक थी। मगर चीन ने उस दिन मरने वाले जवानों का अधिकृत आंकड़ा अभीतक सार्वजनिक तौर पर जारी नहीं किया है।

बरसों बाद सीमा रेखा पर भारत व चीन की सेना के जवानों में हुई मुठभेड़ में चीनी सेना को इस बात का एहसास हो गया कि भारतीय सेना के जवान उनसे कहीं अधिक मजबूत हैं। उस दिन अचानक हुए संघर्ष में चीनी सैनिकों ने लोहे की राड से बने पुरातन समय जैसे हथियारों का प्रयोग किया था। जबकि भारतीय सैनिक वैसा कोई हथियार लेकर नहीं गए थे। उस झड़प के बाद दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों में कई दौर की बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने अपनी मौजूदा स्थिति से पीछे हटने का फैसला किया था। मगर चीन की सेना ने उस फैसले का पूरी तरह पालन नहीं किया। जिस कारण दोनों तरफ तनाव बरकरार रहा। 28-29 अगस्त की रात्रि को चीनी सैनिकों ने लद्दाख के समीप एलएसी पर स्थित पैंगोंग झील के पास भारतीय सीमा में स्थित पहाड़ियों की ऊंची चोटियों पर कब्जा करने का प्रयास किया था। मगर वहां पहले से ही मौजूद भारतीय सेना के जवानों ने चीनी सेना के मंसूबों को नाकामयाब कर दिया।

भारतीय सेना के जवानों को पहले ही सूचना मिल गई थी कि चीन के सैनिक रात्रि में भारतीय सीमा में स्थित कई महत्वपूर्ण पहाड़ियों की ऊंची चोटियों पर कब्जा करने का प्रयास करेंगे। इसलिए चीनी सैनिकों के पहुंचने से पहले ही भारतीय सैनिकों ने उन चोटियों पर पहुंचकर कब्जा जमा लिया। उसके बाद चीन द्वारा निरंतर प्रयास किया जा रहा है कि सीमा रेखा के नजदीक स्थित भारतीय क्षेत्र की ऊंची चोटियों पर अपना कब्जा जमाकर सामरिक दृष्टि से बढ़त हासिल कर लें। मगर भारतीय सेना के जवानों के सामने चीनी सैनिकों की सभी चालें असफल होती जा रही हैं। इससे चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है। वह चाहता है कि किसी तरह भारतीय सेना से उन महत्वपूर्ण चोटियों को खाली कराया जाये।

चीन द्वारा लद्दाख से लगती भारतीय सीमा क्षेत्र के पास वास्तविक नियंत्रण रेखा के उस पार बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की जा रही है। भारी मात्रा में लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, टैंक, तोपे, गोला बारूद व लड़ाई का अन्य साजो-सामान एकत्रित किया जा रहा है। इधर भारतीय सेना द्वारा भी चीनी सेना की तैयारियों को देखते हुए लद्दाख क्षेत्र में भारी सैन्य बल तैनात किया गया है। साथ ही बड़ी संख्या में युद्धक विमान, हेलीकॉप्टर, टैंक, तोप, मिसाइलें लगाई गई हैं। भारतीय सैनिकों ने जर्मनी से आए विशेष टेंट भी लगाने शुरू कर दिए हैं। जिनमें सर्दी के समय माइनस 50 डिग्री तापमान में भी आसानी से रह सकते हैं। भारतीय सेना द्वारा सीमा के निकट बड़ी मात्रा में सैनिकों के लिए खाद्य सामग्री, गोला बारूद व युद्ध का अन्य सामान पहुंचाया जा रहा है। इस काम में सेना सी- 17 ग्लोब मास्टर विमान, चिनूक हेलीकॉप्टर का उपयोग कर रही है।

चिनूक हेलीकॉप्टर के माध्यम से अमेरिका में बनी होवित्जर तोप को भी पहाड़ों की चोटियों पर तैनात किया जा रहा है। साथ ही कारगिल युद्ध में पराक्रम दिखा चुकी बोफोर्स तोप व स्वदेषी धनुष तोप को भी सीमावर्ती क्षेत्र में लगाया जा रहा है। भारतीय सेना चीनी सेना को हर तरह से जवाब देने में सक्षम है। भारतीय सेना के जवानों का जोश देखने काबिल है। वह चीन से अपनी 1962 की हार का बदला लेने को बेकरार नजर आ रहे हैं। छोटी-छोटी मुठभेड़ों से ही चीनी सेना को पता लग गया है कि अब भारत में 1962 से स्थिति एकदम से पलट गई है। भारतीय सेना भी युद्ध के लिए पूरी तैयारी कर रही है। चीन से मुकाबला करने के लिए भारतीय वायुसेना में हाल ही में शामिल फ्रांस में बने राफेल युद्धक विमानों को भी पहाड़ी मोर्चे पर तैनात कर दिया गया है। राफेल विमान सीमा के निकटवर्ती क्षेत्रों में लगातार उड़ान भर रहे हैं। किसी भी स्थिति का मुकाबला करने को लेकर वो पूरी तरह से तैयार नजर आ रहे हैं।

कोविड-19 के कारण चीन पहले ही पूरी दुनिया के निशाने पर आया हुआ है। उससे दुनिया का ध्यान हटाने के लिए चीन भारतीय सीमा पर छेड़खानी कर रहा है। मगर इसबार भारतीय सेना भी उनके गले की घंटी बन गई है। वर्षों से चीन की नीति रही है कि भारतीय सीमा में घुसकर अपना रुतबा जमाता आ रहा है। फिर भारतीय पक्ष उसको पीछे हटने का निवेदन करता रहा है। मगर इसबार वैसा कुछ भी नहीं हुआ। चीन अपनी पुरानी आदत के अनुसार जैसे ही भारतीय सीमा में घुसपैठ करना शुरू किया। वैसे ही उसे भारतीय सैनिकों के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सेना को चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी छूट प्रदान की है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15-16 जून की घटना के बाद लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा कर भारतीय सेना के जवानों से मिलकर उनका मनोबल बढ़ाया। चीन का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना द्वारा लगातार आधुनिक हथियार व गोला-बारूद की आपातकालीन खरीदारी की जा रही है। सेना को उसकी जरूरत का हर साजो-सामान मुहैया कराया जा रहा है। इस वक्त अमेरिका, इजरायल, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिणी कोरिया जैसे देश भी खुलकर भारत के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। अमेरिका, इजरायल, फ्रांस, रूस तो अपने आधुनिकतम हथियार तक भारत को देने के लिए तैयार हो गए हैं।

चीन की सेना यदि भारत से युद्ध करती है तो उससे मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह सजग व सतर्क नजर आ रही है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पिछले 5 सालों में भारतीय सेना का तेजी से आधुनिकीकरण किया जा रहा है। सेना की हर जरूरत को सरकार प्राथमिकता के आधार पर पूरा कर रही है। इसी श्रृंखला में पूर्व सैनिकों को बहु प्रतीक्षित वन रैंक वन पेंशन का लाभ दिया जा चुका है। अग्रिम मोर्चे पर लड़ने वाले सेना के जवानों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट, बुलेट प्रूफ हेलमेट, अत्याधुनिक राइफलें उपलब्ध करवाई गई है। सर्दी के मौसम में हिमालय क्षेत्र में तैनात जवानों के लिए विशेष ड्रेस तैयार करवाई गई है। जिनको पहनकर सैनिक आराम से सर्दी का मुकाबला कर सकते हैं।

चीन, पाकिस्तान सहित दुनिया के उन देशों को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि आज का भारत दुनिया में किसी देश से कम नहीं है। हालांकि भारत युद्ध में विश्वास नहीं रखता है हमेशा शांति के मार्ग पर चलने का प्रयास करता है। मगर युद्ध की स्थिति में किसी भी चुनौती का मुकाबला करने में हर हाल में सक्षम है। यदि कोई भारतीय सेना की शक्ति को कमतर करके आंकता है तो यह उसकी सबसे बड़ी भूल होगी। आज भारतीय सेना विश्व की प्रथम पांच सबसे मजबूत सेना में शामिल है। ऐसे में भारत से टकराने की हिमाकत शायद ही कोई देश करेगा।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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