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कोरोनाः उचित नहीं लापरवाही व बेफिक्री

👤 mukesh | Updated on:22 Oct 2020 10:24 AM GMT

कोरोनाः उचित नहीं लापरवाही व बेफिक्री

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- योगेश कुमार गोयल

दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा चार करोड़ को पार कर चुका है। दूसरी ओर राहत की खबर यह सामने आई कि भारत में कोरोना संक्रमण का पहला दौर बीत चुका है और बीते तीन सप्ताह के दौरान कोरोना के नए मामलों और इससे होने वाली मौतों में कमी आई है। स्वस्थ होने वालों की दर बढ़कर 88.03 फीसदी हो गई है और देश में सक्रिय मरीजों की संख्या अब 8 लाख से कम है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि कोरोना का असली प्रभाव आना बाकी है और अब नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने सर्दियों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर आने की बात कहकर विशेषज्ञों की इस आशंका की पुष्टि कर दी है।

दरअसल महामारी की पहली लहर थमने के बाद यूरोप में कोरोना संक्रमण फिर से बढ़ गया है, जहां अबतक 63 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और दुनिया के हर 100 संक्रमितों में से 34 व्यक्ति यूरोपीय देशों के ही हैं। ब्रिटेन में सर्दी शुरू होते ही 40 फीसदी मामले बढ़ गए हैं। यही वजह है कि कोरोना से निपटने के प्रयासों के लिए बने विशेषज्ञ पैनल के प्रमुख वीके पॉल भारत में भी सर्दियों में संक्रमण की दूसरी लहर आने की आशंका जताते हुए कह रहे हैं कि देश बेहतर स्थिति में है लेकिन अभी हमें लंबा रास्ता तय करना है।

भारत में त्योहारी सीजन की शुरुआत हो चुकी है। जिस प्रकार देशभर में कोरोना को लेकर लापरवाही और बेफिक्री का माहौल देखा जा रहा है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को त्योहारी मौसम में लोगों से वायरस के प्रति लापरवाही न बरतने की अपील करने के लिए राष्ट्र को सम्बोधित करना पड़ा। उनका सीधा और स्पष्ट संदेश था कि जबतक दवाई नहीं, तबतक ढिलाई नहीं। देशवासियों को चेताते हुए उन्होंने कहा कि सावधानी का परिचय न देने के वैसे ही खतरनाक परिणाम हो सकते हैं, जैसे कई यूरोपीय देशों और अमेरिका में देखने को मिल रहे हैं, जहां कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने सिर उठा लिया है और इसीलिए प्रतिबंधात्मक उपाय वहां फिर से लागू करने पड़ रहे हैं।

कोरोना को लेकर प्रधानमंत्री को एकबार फिर जनता को इसीलिए सचेत करने के लिए सामने आना पड़ा क्योंकि विभिन्न सरकारी एजेंसियां चेतावनियां दे रही हैं कि अगर पूरी एहतियात नहीं बरती गई तो कोरोना की दूसरी लहर सर्दियों में आ सकती है, जो पहली लहर से ज्यादा भयावह होगी। प्रधानमंत्री ने अपने 12 मिनट के सम्बोधन में लोगों को भीड़ से बचने और दो गज की दूरी अपनाने की हिदायतें दोहरायी लेकिन उनके इस सम्बोधन के बाद सरकारी तंत्र पर कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न भी खड़े हुए हैं। मसलन, क्या कोरोना संक्रमण रोकने के लिए जारी किए जाने वाले तमाम दिशा-निर्देश केवल आम जनता के लिए ही हैं? प्रधानमंत्री को कोरोना प्रोटोकॉल की लगातार धज्जियां उड़ाते रहे राजनीतिक लोगों की जमात के लिए भी कुछ सख्त शब्द बोलने चाहिए थे।

एक तरफ जहां अपने परिजनों के अंतिम संस्कार या वैवाहिक आयोजनों में गिनती के लोगों को शामिल होने की छूट है, वहीं तमाम राजनीतिक दल विभिन्न आयोजनों में सैंकड़ों-हजारों लोगों की भीड़ जुटाते देखे जाते रहे हैं। आम जनता पर कोरोना प्रोटोकॉल का जरा भी उल्लंघन होने पर कानून का डंडा बरस पड़ता है, उन्हें हर कदम पर जुर्माना भरना पड़ता है लेकिन राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों को हर बंदिशों से छूट है, उनपर किसी का कोई जोर नहीं।

देश में इस समय अजीब माहौल है। एक ओर कोरोना से बचने के लिए बार-बार दो गज की दूरी अपनाने की सलाह दी जाती रही है, वहीं तमाम रेलगाड़ियां, बसें तथा सार्वजनिक यातायात के अन्य साधन बिना सार्वजनिक दूरी का पालन कराए यात्रियों की पूरी क्षमता के साथ दौड़ रहे हैं। आखिर ऐसे में कोई दो गज की दूरी के सिद्धांत को अपनाए भी तो कैसे? बिहार तथा मध्य प्रदेश में चुनावी दौरे में जिस तरह सभी राजनीतिक दलों द्वारा मनमानी भीड़ जुटाई जा रही है, क्या ऐसे में कहीं से भी ऐसा लगता है कि हम उस कोरोना संक्रमण के दौर से गुजर रहे हैं, जिसके लिए प्रधानमंत्री आमजन को एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं। जिस समय लोग लॉकडाउन के दौर में घरों में बंद थे, उस दौरान भी रह-रहकर ऐसे दृश्य सामने आते रहे, जब राजनेता खुलकर कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते देखे गए। आम लोग अगर घर से बाहर बगैर मास्क के घूमते दिख जाएं तो फौरन उनपर पांच सौ रुपये का जुर्माना ठोक दिया जाता है लेकिन राजनेता अगर बिना मास्क लगाए हजारों लोगों की भीड़ भी एकत्रित कर लेते हैं तो उनपर कोई कार्रवाई नहीं, ऐसा क्यों? आखिर कोरोना प्रोटोकॉल आम और खास सभी के लिए समान है, फिर राजनेताओं को इससे छूट क्यों? ऐसे में बेहद जरूरी है कि प्रधानमंत्री नेताओं की उस जमात को भी कड़ा संदेश दें, जो खुद को कानून से ऊपर समझकर कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते रहे हैं।

फिलहाल त्योहारी सीजन में जिस प्रकार लोग कोरोना से पूरी तरह बेफिक्र होकर बगैर मास्क के सार्वजनिक स्थानों पर घूमने लगे हैं, वह आने वाले दिनों में वाकई काफी खतरनाक साबित हो सकता है। विशेषज्ञों की तमाम चेतावनियों पर गौर करने के बाद हमें समझ लेना चाहिए कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आ जाती, तबतक कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का इस्तेमाल सबसे प्रभावी उपाय है। सर्दियों में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ने की जिस तरह की रिपोर्टें आ रही हैं, ऐसे में बेहद जरूरी है कि हम लापरवाही बरतकर अपने साथ-साथ दूसरों को भी मुश्किल में डालने से परहेज करें क्योंकि यदि हमने सामाजिक दूरी और मास्क पहनने जैसी हिदायतों को दरकिनार किया तो संक्रमण का स्तर काफी ऊपर जा सकता है और हालात बिगड़ सकते हैं।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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