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बर्ड फ्लूः एक महामारी गई नहीं, दूसरी की आहट से दहशत

👤 mukesh | Updated on:11 Jan 2021 10:59 AM GMT

बर्ड फ्लूः एक महामारी गई नहीं, दूसरी की आहट से दहशत

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- रोहित पारीक

बीसवीं सदी के तीसरे दशक का आगाज हो चुका है। कोरोना आपदा में बीते साल के कड़वे अनुभवों को भुलाते हुए लोगों को उम्मीद है कि वर्ष 2021 वाकई इक्कीस अर्थात पिछले सालों से अपेक्षाकृत श्रेष्ठ साबित होगा। हालांकि 2021 के उगते सूरज के साथ ही एक महामारी अलविदा कहने को तैयार हुई तो बर्ड फ्लू नामक दूसरी महामारी पैर पसारने को बेताब हो गई। अब तो सरकार भी इंसानों को चेता रही है कि परिन्दों से सावधानी बरतें, वरना बर्ड फ्लू का वायरस इंसानों में प्रवेश कर सकता है। वर्ष 2020 अलविदा कहता, उससे पहले ही राजस्थान समेत कई अन्य प्रदेशों में पक्षियों में फैली महामारी बर्ड फ्लू ने अपने आगमन के संकेत दे दिए।

राजस्थान में बर्ड फ्लू के संक्रमण का दायरा अब तेरह जिलों तक फैल गया है। इन जिलों में अबतक 2950 परिन्दे असामयिक मौत का शिकार बन चुके हैं। प्रदेश के 24 जिलों में परिन्दों की लगातार मौतें हो रही है। राज्य के झालावाड़ जिले से सर्वप्रथम कौओं की मौतों से शुरू हुआ परिन्दों की मौतों का सिलसिला अबतक जारी है। प्रदेश में बर्ड फ्लू के लिहाज से राजधानी जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, पाली, सिरोही, कोटा, बारां, झालावाड़, बांसवाड़ा, चित्तौडगढ़ व प्रतापगढ़ को पॉजिटिव माना गया है। राजस्थान समेत देश के कई प्रदेश अब इस नई आफत से घबरा रहे हैं। राजस्थान समेत देश के कई राज्य इस खतरे की जद में आ चुके हैं।

बर्ड फ्लू यानी एवियन इंफ्लूएंजा जंगली पक्षियों में होता है, जो शहरी पक्षियों में उनसे फैल जाता है। जंगली पक्षियों के नाक, मुंह, कान से निकले द्रव और उनके मल से ये फैलता है। देश में वर्ष 2006, वर्ष 2012, वर्ष 2015 के बाद अब 2021 में बर्ड फ्लू ने हमला किया है। नेशनल हेल्थ प्रोग्राम की मानें तो बर्ड फ्लू की वजह से भारत में अभीतक किसी इंसान की मौत नहीं हुई है। वर्ष 2003 से 2019 के बीच दुनिया के 1500 लोग बर्ड फ्लू के संक्रमण में आए थे जिनमें से 600 लोग इस संक्रमण के चलते अपनी जान गंवा बैठे थे। जानकार चिकित्सक बताते हैं कि मनुष्य में इन्फेक्शन, मरे या जिंदा संक्रमित पक्षियों से होता है। उसकी आंख, मुंह, नाक से जो द्रव निकलता है या उनके मल के संपर्क में मनुष्य आता है तो उसमें भी ये संक्रमण आ सकता है। अगर किसी सतह पर या किसी संक्रमित पक्षी को छूने के बाद यदि कोई मनुष्य अपनी आंख, नाक या मुंह को हाथ लगाता है तो उसे संक्रमण का खतरा हो सकता है।

जंगली पक्षी उड़ते समय मल निष्कासित करते हैं तो उसके संपर्क में आने से ये बीमारी शहरी पक्षियों में फैल जाती है। हालांकि कोरोना के संक्रमण से मुक्त हुए लोगों को इससे कोई सीधा खतरा नहीं है, लेकिन जानकार चिकित्सकों का कहना है कि जो लोग कोरोना के संक्रमण से ठीक हो रहे हैं वो लोग जरूर किसी अन्य संक्रमण के रिस्क पर रहते हैं। उनके दूसरी बीमारी के चपेट में आने की संभावना ज्यादा रहती है, क्योंकि जब भी आप एक बीमारी से ठीक होते हैं उस समय शरीर में उतनी शक्ति नहीं होती है, इम्युन सिस्टम भी कमजोर रहता है। ऐसे में किसी भी अन्य बीमारी की चपेट में आसानी से आ सकते हैं। इसलिए जो लोग कोरोना के संक्रमण से ठीक हुए हैं उन्हें काफी सावधान रहने की जरूरत है।

देश में बर्ड फ्लू का यह चौथा हमला है। देश में अभी तक बर्ड फ्लू के एच5एन1 वायरस ने ही हमला किया है, जबकि इसका एक और खतरनाक वायरस है जिसे एच7एन9 कहते हैं। वर्ष 2013 में एच7एन9 की वजह से चीन में 722 इंसान संक्रमित हुए थे। इनमें से 286 लोगों की मौत हो गई थी। पशुपालन और डेयरी विभाग के अनुसार 2006 से लेकर 2015 तक 15 राज्यों में 25 बार मुर्गियों में बर्ड फ्लू का वायरस यानी एवियन इंफ्लूएंजा वायरस मिला है। ये पहला मौका है जब राजस्थान में बर्ड फ्लू के वायरस की पुष्टि हुई हैं। राजस्थान के 11 जिलों में गुजरे दिनों मृत पाए गए कौओं समेत अन्य परिन्दों की जांच रिपोर्ट में बर्ड फ्लू के वायरस की पुष्टि हुई है।

सरकार कह रही है कि बर्ड फ्लू को लेकर सावधानी बरतें, लेकिन घबराए नहीं। नेशनल हेल्थ प्रोग्राम की साइट के अनुसार भारत में अभी तक इंसानों में ये बर्ड फ्लू का संक्रमण देखने को नहीं मिला है। दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल के तहत चल रहे इंटीग्रेटेड डिजीस सर्विलांस प्रोग्राम के तहत देश भर में बर्ड फ्लू समेत कई बीमारियों पर नजर रखी जाती है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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