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महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय ने एक वर्ष में हासिल किये 10 पेटेंट

👤 mukesh | Updated on:11 April 2022 7:15 PM GMT

महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय ने एक वर्ष में हासिल किये 10 पेटेंट

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महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर, ने पिछले 1 वर्ष में 10 पेटेंट प्राप्त किए हैं, जिनमें विगत 3 माह में ही विभिन्न अनुसंधान व शोध कार्यों के लिये भारत सरकार द्वारा 4 पेटेंट प्रदान किए गए हैं।

विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ नरेंद्र सिंह राठौड़ ने संबद्ध वैज्ञानिकों को बधाई दी एवं बताया कि एक वर्ष में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के 10 पेटेंट हासिल करना पूरे विश्वविद्यालय परिवार के लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि आज संपूर्ण विश्व वेस्ट मटीरियल के प्रबंधन की समस्या से जूझ रहा है साथ में ग्लोबल वार्मिंग के खतरे का सामना कर रहा है एवं भारत भी इससे अछूता नहीं है। इस दिशा में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संघटक कॉलेज ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग के सिविल विभाग में वेस्ट मटीरियल का सिविल कंस्ट्रक्शन में उपयोग कर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे रहा है। कुलपति डॉ. एन. एस. राठौड़ ने बताया कि अगर हम अनुपयोगी मटीरियल को कंस्ट्रक्शन में काम में लेते हैं जो कि एग्रीकल्चर के बाद सबसे बड़ी इंडस्ट्री है तो हम भविष्य में पर्यावरण को बचाने में अहम योगदान दे सकते हैं। इस कड़ी में सिविल विभाग के द्वारा किए गए कार्यों का भारत एवं ऑस्ट्रेलियन सरकार द्वारा 9 पेटेंट प्राप्त करना एक बड़ी उपलब्धि है। इन टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट और व्यवसायिक करण से यूनिवरसिटी को रेवेन्यू भी प्राप्त होगी।

सिविल विभाग के डॉ. त्रिलोक गुप्ता द्वारा सिंगल यूज्ड प्लास्टिक का सफलता पूर्वक उपयोग कर विभाग में ही सड़क का निर्माण किया है। इसी तरह वेस्ट टायर का पेवर ब्लॉक में उपयोग कर मजबूती प्रदान की गई है। साथ में गन्ने को जलाने के बाद बची हुई राख का उपयोग फ्लोर टाइल बनाने में करने की दिशा में भी कार्य किया गया है। इस प्रकार विभाग के डॉ. त्रिलोक गुप्ता ने विगत 1 वर्ष में भारत एवं ऑस्ट्रेलियन सरकार द्वारा 9 पेटेंट प्राप्त किए हैं जिनमें से 3 विगत 3 माह में ही प्राप्त हुए हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि उन्होंने यह शोध कार्य डीएसटी नई दिल्ली, डीएसटी जयपुर एवं टीइक्यूआई पीएम एचआरडी नई दिल्ली से प्राप्त विभिन्न परियोजनाओं के अंतर्गत किया है।

इसी प्रकार विश्वविद्यालय के संगठक राजस्थान कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसएस शर्मा ने बताया कि मोलीक्यूलर बायोलॉजी एवं बायो टेक्नोलॉजी विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. विनोद सहारण द्वारा यूरिया नैनोफार्मूलेशन के कंट्रोल रिलीज पर भारत सरकार से एक पेटेंट प्राप्त किया गया है। उनकी इस खोज से खेती मे यूरिया खाद का सदुपयोग होगा और इसके अपव्यय मे कमी से कम मात्रा मे यूरिया के प्रयोग से फसल को पूरा लाभ मिलेगा और किसानों का खाद पर खर्च बचेगा.

सीटीएई के अधिष्ठाता डॉ. पीके सिंह ने बताया कि प्लास्टिक से बनी कंक्रीट रोड, ब्रिक के वेस्ट पाउडर से बने पेवर ब्लॉक एवं गन्ने को जलाने के बाद बची हुई राख का फ्लोर टाइल में उपयोग का इनोवेशन महत्वपूर्ण है। यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अभूतपूर्व कदम होगा। विश्वविद्यालय को मिले इन पेटेंट के कारण आईसीएआर नई दिल्ली की रैंकिंग में भी फायदा मिलेगा। इन पेटेंट के द्वारा विश्वविद्यालय को आय अर्जित करने का मौका मिलेगा तथा साथ ही सभी शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा तथा वह और अधिक ऊर्जा के साथ काम करेंगे। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा पेटेंट के लिए उल्लेखनीय कार्य करने के कारण आस्ट्रेलिया सरकार द्वारा भी पेटेंट प्रदान किए गए हैं।

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