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भारत में हर साल पेगनेंसी के दौरान होती है 45 हजार महिलाओं की मौत

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:11 April 2019 2:43 PM GMT
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लुधियाना-(राजकुमार) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के वमेन्स डॉक्टर्स विंग और एसपीएस हॉस्पिटल की ओर से संयुक्त तौर पर मनाए गए वर्ल्ड सेफ मदरहुड डे के मौके पर माहिरों ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल 45 हजार महिलाओं की मौत पेगनेंसी के दौरान हो जाती है, जो चिंता का विषय है। वक्ताओं ने कहा कि गर्भावस्था एक महिला के जीवन में उसके पजनन आयु वर्ग में सबसे महत्वपूर्ण घटना है। भारत में हर साल 30 मिलियन महिलाएं पेगनेंट होती हैं और करीब 26 मिलियन जीवित बच्चे जन्म लेते हैं? जबकि हर साल 45 हजार महिलाओं की मौत पेगनेंसी के दौरान हो जाती है। आईएमए लुधियाना के पधान डॉ. पीएस जस्सल ने कहा कि वर्तमान समय की सबसे बडक्वी जरूरत है कि नेशनल हेल्थ पॉलिसी मां बनने वाली महिलाओं की सेहत को ध्यान में रखकर बनाई जाए। आईएमए का मकसद पेगनेंट महिलाओं की सेहत सुरक्षा को बढक्वाना है। एसपीएस हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेडेंट डॉ. पभु ने कहा कि उनका अस्पताल पाइमरी हेल्थ सेंटरों पर काम करने वाले डॉक्टरों को इमरजेंसी हैंडिल करने के लिए बेसिल लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग देने का मौका मुहैया कराता है। सीनियर गाइनीकोलॉजिस्ट डॉ. कुमकुम अवस्थी ने कहा कि सुरक्षित मातृत्व के लिए औपचारिक व गैर औपचारिक तौर पर आम लोगों को मेडिकल शिक्षा दी जानी चाहिए। जैसे ही महिला को पेगनेंसी का एहसास हो, तुरंत उसकी रजिस्ट्रेशन एएनसी क्लीनिक पर कराई जानी चाहिए। इससे पेगनेंट महिला को सुरक्षित मेडिकल मदद मिलती है। आईएमए के वमेन्स विंग की पधान डॉ. सरोज अग्रवाल ने कहा कि आज का दिन मनाने का मकसद महिलाओं की पेगनेंसी व डिलीवरी सेफ रखना और पेगनेंसी के दौरान होने वाली महिलाओं की मौत दर को कम करना है। एसपीएस हॉस्पिटल की सीनियर गाइनीकोलॉजिस्ट डॉ. वीनस बांसल ने कहा कि हाई रिस्क पेगनेंसी के केसों में महिला की समय-समय पर जांच होती रहनी चाहिए। ऐसे केसों की पहचान करके उन्हें बेस्ट हेल्थ केयर देना समय की जरूरत है। इसके लिए आधुनिक लेबर रूम, अच्छा नर्सरी बैकअप, वर्ल्ड क्लास आईसीयू,ब्लड बैंक व लेबोरेटरी होनी चाहिए। यह सुविधाएं होने पर हाई रिस्क पेगनेंसी में महिला को बचाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि उसे पेगनेंसी के दौरान समय-समय पर दी जाने वाली पाइमरी मेडिकल सुविधा दी गई हो। पीएमसी के मेंबर डॉ. मनोज सोबती, डॉ. बिमल कनिश, डॉ. एसएस सिबिया, डॉ. पवन ढींगरा, डॉ. विकास बांसल, डॉ. आतिमा गुप्ता व डॉ. सुदेश बस्सी ने भी अपने अनुभव शेयर किए। उन्होंने किशोर अवस्था में महिलाओं के संतुलित आहार, उनकी मानसिक व शारीरक हेल्थ, किशोरावस्था व पेगनेंसी के दौरान टीकाकरण और डिलीवरी ट्रेंड स्टाफ से कराने पर जोर दिया। कार्यकम में 10 गर्भवती महिलाओं को सम्मानित भी किया गया।

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