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पीडित बच्चों को मुख्यधारा में लाकर सर्वांगीण विकास हेतु स्वस्थ माहौल उत्पन्न करायें-ओ.पी, मल्होत्रा

👤 Veer Arjun Desk 4 | Updated on:17 Dec 2017 4:37 PM GMT
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वीर अर्जुन संवाददाता

जयपुर । बच्चों के विकास, संरक्षण और उनके समग्र स्वास्थ्य के प्रमुख मुद्दों को पहचानने एवं त्वरित कार्रवाई के लिए सभी राज्यों को आपस में समन्वय स्थापित कर आवश्यक कदम उठाने होंगे।
ये उद्बोधन आज महानिदेशक पुलिस,राजस्थान श्री ओ.पी. गल्होत्रा ने यूनिसेफ के सहयोग से राजस्थान पुलिस व सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी के बाल संरक्षण संस्थान (सीसीपी) द्वारा 5 राज्यों बिहार, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए हितधारकों के अंतर्राज्यीय समन्वय के आयोजन कार्यक्रम के मुख्य अतिथी के रूप में दिये। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बाल श्रम, बाल तस्करी, बाल विवाह, बच्चों का यौन शोषण एवं वे बच्चे जो अनाथ हैं ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें राष्ट्र की मुख्यधारा में लाकर उनके सर्वांगीण विकास हेतु स्वस्थ माहौल उत्पन्न करना राज्य सरकार की ही नही अपितु हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है।
प्रेस वार्ता के दौरान श्री गल्होत्रा ने कहा कि आज राजस्थान पुलिस अकादमी में आयोजित इस कार्यशाला में बच्चो के अधिकारों की रक्षा एवं बच्चो के विरुद्ध विभिन्न अपराधों पर मंथन के लिए यूनिसेफ के सहयोग से राजस्थान पुलिस व सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी के बाल संरक्षण संस्थान (सीसीपी) द्वारा 5 राज्यों के वरिष्ठ पुलिस एवं प्रशाशनिक अधिकारियों का अंतर्राज्यीय समन्वय का आयोजन किया जा रहा है ।उन्होंने कहा कि बड़ी समस्या है इसके लिए अंतरराज्यीय समन्वय की आवश्यकता है, समन्वय कैसे बेहतर स्थापित हो उसके लिए ही यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान पुलिस एवं सरकार बच्चों के पुनर्वास पर काफी संवेदनशील है। पुनर्वास के लिए ऐसे बच्चों की पहचान कर प्रयास भी किए जा रहे हैं जिसमें काफी हद तक हम सफल हुए हैं।श्री गल्होत्रा ने बताया कि बाल श्रम अभियान (सीएसी) के अध्ययन के मुताबिक भारत में 1 लाख 26 हजार बाल मजदूर हैं जिनमें 50,000 से अधिक 5 से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बाल श्रमिक है। राजस्थान का देश में कुल बाल मजदूरी का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा है।कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस एवं निदेशक, सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी श्री राजीव शर्मा ने कहा कि बच्चों के प्रति अपराधों को रोकने एवं उनके उत्थान के विषय पर विचार साझा करने के उद्देश्य से ही यह काय्रक्रम आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा हेतु सरकार एवं पुलिस के साथ एनजीओ एवं चाईल्ड प्रोटेक्शन गु्रप्स को भी जिम्मेदारी समझनी होगी।
श्री शर्मा ने बताया कि राज्यों के बीच बेहतर समन्वय और राजस्थान पुलिस के साथ बाल संरक्षण केंद्र यूनिसेफ के सहयोंग से बाल अपराधों के मामले को समझने, बाल अधिकारों के संरक्षण एवं कानूनी और सामाजिक उपायों की प्रभावकारिता एवं बच्चों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अंतर-राज्यीय अभिसरण पर एक दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान पाकिस्तान के साथ अपनी पश्चिमी सीमा साझा करता है और भौगोलिक क्षेत्र के मामले में देश का सबसे बड़ा राज्य है। जनगणना 2011 के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में मुख्य श्रमिक वर्ग में लगभग 2,52,000 बाल श्रमिक और सभी श्रेणियों में काम करने वाले 8,50,000 कुल बच्चे हैं। राजस्थान में जोधपुर में बाल मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा है, उसके बाद जयपुर और भीलवाड़ा हैं। राजस्थान में काम करने वाले कई बच्चे बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड से लाए जाते हैं। पश्चिमी राजस्थान में इनमें से अधिकतर बच्चों को नमक उद्योग में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है जबकि दक्षिणी राजस्थान में वे मुख्य रूप से बीटी कॉटन खेती में लगे हुए हैं। श्री शर्मा ने बताया कि आंकड़ों और अध्ययन के स्रोतों से स्पष्ट है कि बाल श्रम की समस्या एक राज्य तक सीमित नहीं है और वास्तव में कई राज्यों में मजदूरों के प्रवास और बच्चों के तस्करी के कारण एक-दूसरे के साथ जुड़ा हुआ है। इसलिए, बाल श्रम के अंतर-राज्य समन्वय के मुद्दे से निपटने के लिए न केवल बाल श्रम के मुद्दे को उठाकर व बच्चों के सफलतापूर्वक पुनर्वास के लिए आपसी समन्वय स्थापित कर रास्ता बनाना होगा।उन्होंने बताया कि सरदार पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ पुलिस, सुरक्षा और आपराधिक न्याय ने वर्ष 2015 में बाल संरक्षण केंद्र स्थापित किया। केंद्र एक अग्रणी केंद्र है, जो बच्चों के लिए, सुरक्षात्मक और सक्रिय माहौल को बढ़ावा देता है। आज कार्यशाला में आये पांचों राज्यों के प्रतिनिधियों एवं सरदार पटेल पुलिस यूनिवर्सिटी के बाल संरक्षण संस्थान (सीसीपी) के सदस्यों ने बाल तस्करी, बंधुआ श्रमिक, बाल श्रम, यौन उत्पीडऩ आदि महत्वपूर्ण व बच्चों के संरक्षण से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर अपने अनुभव साझा करते हुए प्रभावित बच्चों के कल्याण के लिए उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों का विवरण देते हुए चुनौतियों का सामना करने की रणनीति बनाई।

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