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विधायक बनने के गुर सिखाएगी पुष्कर पाठशाला

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:12 Oct 2017 9:05 AM GMT

विधायक बनने के गुर सिखाएगी पुष्कर पाठशाला

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नई दिल्ली, राजस्थान के पुष्कर शहर में इसी सप्ताह एक विशेष प्रशिक्षण शिविर शुरू हो रहा है जिसमें युवाओं को विधायक बनने के गुर सिखाए जाएंगे। शिविर का आयोजन सामाजिक राजनीतिक संग"न अभिनव राजस्थान द्वारा किया जा रहा है जिसका उद्देश्य प्रदेश में वैकल्पिक राजनीतिक माहौल तैयार करना है। अभिनव राजस्थान के संस्थापक डॉ अशोक चौधरी ने भाषा को बताया कि यह शिविर एक सतत प्रक्रिया की शुरुआत है जो 14-15 अक्तूबर को पुष्कर में विधायक प्रशिक्षण शिविर से शुरू होगी। अब तक राज्य भर से 250 से अधिक लोग इसके लिए पंजीकरण करवा चुके हैं। इस शिविर का उद्देश्य जनप्रतिनिधि चयन व चुनाव प्रक्रिया संबंधी बुनियादी जानकारी देना और इस बारे में मिथकों को तोड़ना है। दो दिनों में मूल विषयों पर विशेषज्ञ दस सत्रों में बात रखेंगे और संवाद होगा। इस शिविर के विभिन्न सत्रों में समाजशास्त्राr, शिक्षाविदों सहित अनेक क्षेत्रों की हस्तियां मार्गनिर्देशन करेंगी।

उन्होंने बताया कि इसके बाद जमीनी स्तर पर काम शुरू होगा। प्रशिक्षण में भाग लेने वालों को अपने अपने इलाके में काम करने को कहा जाएगा जिसका फ़ीड्बैक और टेस्ट हर दो महीने में होगा। यह प्रक्रिया सतत चलती रहेगी। भारतीय प्रशासनिक सेवा छोड़कर सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता बने डा चौधरी के अनुसार स्वस्थ और असली लोकतंत्र की स्थापना के लिए योग्य जनों का विधानसभा में पहुँचना जरूरी है। इस शिविर में किसी भी पार्टी या विचारधारा से जुड़े लोग भाग ले सकते हैं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और चौधरी को उम्मीद है कि उनकी इस पहल से कुछ अच्छे व नये लोग चुनावी चयन प्रक्रिया में शामिल होंगे।

देश में भावी नेता या जनप्रतिनिधि तैयार करने के लिए युवाओं को प्रशिक्षण देने की हाल ही में एक दो पहल देखने को मिली है। विश्लेषक इसे सकारात्मक शुरुआत मानते हैं। जेएनयू में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर एम एन "कुर ने भाषा से कहा कि राजनीतिक जागरुकता व चेतना के लिहाज से यह स्वागतयोग्य व सकारात्मक कदम है। भले ही इसके परिणाम अभी सामने आने हैं। प्रोफेसर "कुर ने कहा कि प्रमुख राजनीतिक दलों व विश्वविद्यालय स्तर पर राजनीतिक प्रशिक्षण की परंपरा व अवसर लगभग समाप्त होने के बीच ऐसे प्रशिक्षणों की जरूरत महसूस की जा रही है। पहले भी डा अंबेडकर व अन्य हस्तियां ऐसी कोशिश कर चुकी हैं, उन कोशिशों को आगे बढ़ाने की कोशिशें भी हुईं है और यह प्रक्रिया चल रही है।

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