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माइक्रोन्यूट्रियंट की कमी से प्रीस्कूल जाने वाले बच्चों का मानसिक विकास धीमा हो सकता है : विशेषज्ञों की राय

👤 admin 4 | Updated on:21 Jun 2017 3:20 PM GMT
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वीर अर्जुन संवाददाता

जयपुर। विषेशज्ञों के अनुसार विटामिन और मिनरल की कमी से प्रीस्कूल जाने वाले बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते है। उनके अनुसार इससे न सिर्फ बच्चों के शारीरिक विकास पर असर पड़ता है बल्कि माइक्रोन्यूट्रियंट की कमी उनके मानसिक विकास को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। मिनरल्स व विटामिंस की कमी बच्चों की याददाश्त, सीखने, सोचने और समझने की क्षमता को प्रभावित करती है। हाल ही में बच्चों पर विटामिन और मिनरल की कमी को जानने के लिए अध्ययन किया गया जिसमें 172 ग्रामीण, षहरी और झोपड़ी में रहने वाले बच्चों को षामिल किया गया। अध्ययन में 172 प्रीस्कूल जाने वाले बच्चों में से 141 (82 फीसदी) बच्चों में एक या एक से अधिक पोशक तत्वों की कमी पाई गई। इसमें आयरन, विटामिन ए, विटामिन सी, फोलिक एसिड और जिंक इत्यादि षामिल है। इसके अलावा एक अन्य कम्युनिटी आधारित अध्ययन में आठ राज्यों के 71591 ग्रामीण बच्चों ( 2 से 5 साल के) को षामिल किया गया जिसमें 67 फीसदी बच्चों में अनीमिया की समस्या का पता चला। आयरन की कमी से अनीमिया की समस्या होती है जो बच्चों में बहुत ज्यादा पाई जाती है और इस समस्या से बच्चों का मानसिक विकास अवरूद्ध हो सकता है। इससे बच्चों की याद करने की क्षमता को नुकसान पहुंचता है जिसे दोबारा नहीं पाया जा सकता।

इस मुद्दे पर बात करते हुए जयपुर के चाइल्ड क्लिनिक व वैक्सीनेषन सेंटर के बालरोग विषेशज्ञ डॉ. वीरेंद्र कुमार मित्तल कहते है, '' विटामिंस और मिनरल्स की कमी से बच्चों की सेहत पर कई दीर्घाकालिक प्रभाव पड़ते है। भारत में ज्यादातर बच्चों की डाइट में माइक्रोन्यूट्रियंट पर्याप्त मात्रा में नहीं होते और इससे कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं होने का रिस्क हो सकता है और इसमें गंभीर मानसिक बीमारियां षामिल है। इस गैप को पूरा करने के लिए बच्चों को फूड फोर्टीफिकेषन की मदद से विटामिन व मिनरल युक्त डाइट देना बहुत जरूरी है।
'' माइक्रोन्यूट्रियंट की कमी से होने वाले दुश्प्रभावों को तुरंत देखना मुमकिन नहीं है और इसलिए यह सुनिष्चित करना मुष्किल हो जाता है कि बच्चों को प्रचुर मात्रा में माइक्रोन्यूट्रियंट मिल रहा है या नहीं। इसके विपरीत बच्चों का षारीरिक विकास आसानी से देखा जा सकता है, इसी वजह से लोग मानसिक विकास के प्रति लापरवाह हो जाते है। माइक्रोन्यूट्रियंट दिमाग के विकास और इसके काम करने की क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। बच्चों को नाष्ते में सेरीग्रो देकर माइक्रोन्यूट्रियंट की कमी को बेहतर तरीके से पूरा किया जा सकता है। विषेशज्ञ मानते है कि दुनियाभर के बच्चों में सबसे ज्यादा पाई जाने वाली इस समस्या को फोर्टीफाइड फूड/अनाज या आहार में विटामिंस व मिनरल्स को जोडकर माइक्रोन्यूट्रियंट की कमी को रोका जा सकता है। डॉ. वीरेंद्र कुमार मित्तल कहते है
, '' ज्यादातर भारतीय घरों में मैक्रोन्यूट्रियंट युक्त आहार से बच्चों के षारीरिक पोशण को तो पूरा किया जाता है लेकिन आमतौर पर बच्चों में जरूरी माइक्रोन्यूट्रियंट की कमी रह जाती है। इसका कारण बच्चों को रोज़ाना के लिए जरूरी विटामिन व मिनरल प्रचुर मात्रा में नहीं मिलते जिसकी वजह से बच्चों के मानसिक विकास में बाधा आती है और उनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो जाता है। इसलिए अभिभावकों को पोशक तत्वों की जरूरत को समझना बहुत आवष्यक है और इसे पूरा करने के लिए जरूरी डाइट प्रदान करनी चाहिए।
'' विषेशज्ञों ने प्रीस्कूल बच्चों को रोज़ाना विटामिन व मिनरल युक्त आहार देने पर ज़ोर दिया है ताकि इससे जुड़े दुश्प्रभावों को रोका जा सके। कई आंकड़ों से साबित हो चुका है कि प्रीस्कूल बच्चों में माइक्रोन्यूट्रियंट की कमी को पूरा करने के लिए जरूरी माइक्रोन्यूट्रियंट से युक्त सप्लीमेंटेषन, फोर्टीफिकेषन या पोशक तत्वों से युक्त आहार सबसे बेहतर उपाय है।

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