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'कैलासश' ने कहा, मेरे पास स्टार बनाने की नहीं, संस्कार और कलाकार बनाने की गारंटी

👤 manish kumar | Updated on:19 Sep 2019 9:19 AM GMT

कैलासश ने कहा, मेरे पास स्टार बनाने की नहीं, संस्कार और कलाकार बनाने की गारंटी

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उदयपुर । 'बम लहरी' सुनते ही कैलाश खेर का आध्यात्मिक और सूफी गायन सामने आ जाता है। कैलाश खेर जो खुद को कैलासा कहलाना पंसद करते हैं, वे कहते हैं, भारत का कंकर-कंकर शंकर है, आदि भी वही है और अनंत भी वहीं है। पुरातन भी वही है और सनातन भी वही है। जो निर्गुण भी हैं और सगुण भी। हलाहल भी कंठ में रखने वाले नीलकंठ महादेव की धुणी रमाएंगे तो पता चलेगा कि अध्यात्म का नशा क्या होता है। जो एक बार इस नशे में गोता लगाता है, उसका हृदय निर्मल हो जाता है।

उदयपुर नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लगातार 25 वर्ष से बन रहे बोर्ड के जश्न के तहत चल रहे दस दिवसीय समारोह में बुधवार देर रात तक कैलासा ने शहरवासियों को भगवान भोलेनाथ की भक्ति में डुबो दिया। भगवान एकलिंनाथ महादेव की धरा पर कैलासा का 'बम लहरी' गूंजा तो हर शहरवासी मंत्रमुग्ध हो शिवभक्ति में लीन नजर आया।

प्रस्तुतियों से पहले कैलाश खेर मीडिया से मुखातिब हुए तो सवालों के भी उन्होंने आध्यात्मिक जवाब दिए। जब उनसे पूछा गया कि संगीत की दुनिया में उन्होंने भगवान भोलेनाथ पर ज्यादा समर्पण क्यों दिखाया, तब उन्होंने कहा कि उनका बचपन आश्रमों में गुजरा है, सत्संगों के बीच रहे। जब उन्होंने संगीत की दुनिया देखी तो शास्त्रीय, गजल, फिल्मी आदि विधाएं नजर आई। युवा पीढ़ी फ्यूजन पर नाचती नजर आई। इस दौर में उन्होंने यह तय किया जो नटराज सबको नचाता है, सबको गवाता है, उसी पर गाऊंगा और उसी पर सभी को नचाऊंगा। युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए उन्होंने कहा कि नाचना ही है तो अध्यात्म पर नाचो। नशा करना ही है तो भक्ति का नशा करो। अध्यात्म का नशा करो। मन को भक्ति में ऐसा रमाओ कि किसी भी तरह के तनाव की गुंजाइश ही नहीं रहे।

सवालों के जवाब में ही उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी मन से कोई कार्य नहीं कर रही। वह हर कार्य को ट्राय कर रही है कि चलो एक बार ट्राय कर लेते हैं। उन्होंने कटाक्ष भी किया कि शादी भी अब ट्राय कर रहे हैं, हृदय से नहीं कर रहे। उन्होंने कहा कि जो कार्य मन से किया जाता है वह कार्य नहीं सिद्धि होती है। मन को लक्ष्य में रमा दीजिये, हर व्यक्ति का भला करने की सोचिये, तरक्की तो आएगी ही, आपकी नजर में तरक्की के मायने भी बदल जाएंगे। उन्होंने राजनीति में जाने के सवाल को भी अध्यात्म से जोड़ते हुए कहा कि राजनीति देश के हर व्यक्ति के मन में होती है। मन से सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ हो जाइये, यही सच्ची राजनीति होगी, देश की तरक्की इसी में निहित है।

उन्होंने कहा कि दौलत तो कई लोग खूब कमा रहे हैं, लेकिन वह दौलत अंत में अस्पतालों में जा रही है। दौलत कमाइये, लेकिन उसे लोगों की भलाई में भी लगाइये। हंसते रहिये, मुस्कुराते रहिये, बिना पेमेंट के हंसते-मुस्कुराते रहिये, हंसते वही हैं जिनकी जेब हल्की होती है, जेब को हंसी और खुशहाली से भरिये। परिवार को समय दीजिये। मित्रों को समय दीजिये। परिवार में समय नहीं देने से परिवार टूट रहे हैं, बुजुर्ग टूट रहे हैं, संस्कार टूट रहे हैं, आखिर हम नई पीढ़ी को क्या देकर जाने वाले हैं। नई पीढ़ी को हमारे आधारभूत मूल्य स्वस्थ रहो, व्यस्त रहो, मस्त रहो और बड़ों की सेवा करो, का पाठ पढ़ाइये।

उदयपुर में फिल्म सिटी बनाने के प्रयासों पर कैलाश खेर से योगदान के सवाल पर उन्होंने कहा कि फिल्म सिटी उतनी जरूरी नहीं जितना संस्कृति की पुनस्र्थापना के लिए विश्वविद्यालय होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि संस्कृति, संगीत, अध्यात्म को लेकर कोई भी कार्य होता है तो वे अवश्य साथ खड़े नजर आएंगे। उन्होंने कहा कि उनकी पाठशाला में स्टार बनाने की गारंटी वे नहीं देते, लेकिन संस्कार और कलाकार निर्माण की गारंटी जरूर देते हैं।

370 हटाना देश के लिए सौभाग्यशाली

एक सवाल के जवाब में कैलाश खेर ने कहा कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 का हटना इस देश के लिए सौभाग्यशाली घटना है। इसमें विदेशी भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ हैं, लेकिन अपने ही देश में जो इसका विरोध कर रहे हैं या बेआधार टिप्पणियां कर रहे हैं, वे मेरी नजर में दुर्भाग्यशाली हैं। एजेंसी/हिस

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