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राजस्थान में पोटाश के भंडार, देश बनेगा सबसे बड़ा निर्यातक

👤 manish kumar | Updated on:16 Nov 2019 5:12 AM GMT

राजस्थान में पोटाश के भंडार, देश बनेगा सबसे बड़ा निर्यातक

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जयपुर । राजस्थान के बीकानेर और नागौर में पोटाश के बड़े भंडार हैं जो पोटाश के घोषित विश्व भंडार का लगभग पांच गुना होने का अनुमान है। अब तक भारत पोटाश का शत प्रतिशत आयात करता है, लेकिन राजस्थान में खोज के बाद जहां देश पोटाश के मामले में आत्मनिर्भर देश बनने के साथ साथ निर्यातक देश भी बनेगा और आयात पर खर्च की जा रही हजारों करोड़ की राशि की भी बचत होगी। दिल्ली के बीकानेर हाउस में केंद्र सरकार के खनन मंत्रालय, जीएसआई और निजी कंपनी के अधिकारियों के साथ आयोजित बैठक में राजस्थान के मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने ये जानकारी दी।

मुख्य सचिव गुप्ता ने बताया कि प्रदेश में अब तक 2400 मिलियन टन पोटाश भंडार की खोज की चुकी है। आने वाले समय में इसका खनन शुरू होगा। इसके बाद राजस्थान देश का एक मात्र पोटाश उत्पादक राज्य बन जाएगा। इस संबंध में राजस्थान सरकार और निजी कंपनी के बीच पोटाश खनन को लेकर इसी महीने एक करार (एमओयू) होने जा रहा है। इसके बाद अगले छह महीने में ऑक्शन होने की उम्मीद भी कही जा रही है।

गुप्ता ने बताया कि देश वर्ष 2013-14 से 2018-19 तक प्रति वर्ष तीन से पांच मिलियन टन पोटाश का आयात कर रहा है और पोटाश की मांग 06 से 07 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है, जिससे आयात बिल में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के पोटाश के जमावड़े के विकास और दोहन को देखने से पोटाश के निर्यातक होने से परिदृश्य को उलटने की क्षमता है।

मुख्य सचिव ने बताया कि वर्तमान में, भारत द्वारा आवश्यक संपूर्ण पोटाश आयातित आपूर्ति पर आधारित है। विदेशी मुद्रा पर भारी व्यय के अलावा केंद्र सरकार सब्सिडी पर दस से पंद्रह हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष की दर से सब्सिडी पर एक बड़ा खर्च भी करती है। इस मुद्दे को हल करने और पोटाश की स्वदेशी सोर्सिंग उत्पन्न करने की दृष्टि से, राजस्थान सरकार ने देश की पोटाश आवश्यकताओं के संबंध में एक आत्मनिर्भरता स्तर तक पहुंचने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि भूगर्भीय अध्ययन के अनुसार, राजस्थान के नागोर-गंगानगर बेसिन में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर जिलों के कुछ हिस्सों में लगभग 2400 मिलियन टन पोटाश के भंडार हैं। पोटाश के घोषित विश्व भंडार का लगभग 05 गुना होने का अनुमान है।

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दशकों में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा जांच की जा रही है। प्रदेश सरकार ने विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान में पोटाश के भंडार का उपयोग करने के लिए एक राज्य स्तरीय उच्चाधिकार समिति का गठन किया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में माइंस विभाग सचिव के मार्गदर्शन में एक राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट की स्थापना होगी, जो राज्य के विशाल खनिज संसाधनों जैसे दुर्लभ पृथ्वी तत्व, प्लेटिनम, सोना और चांदी, धातुएं और सजावटी खनिजों की खोज और दोहन के लिए कार्य करेगा।

गौरतलब है कि राजस्थान में क्रूड ऑयल के बाद पोटाश के भंडार से प्रदेश की आर्थिक हालात और मजबूत होने की उम्मीद जताई जा रही है। मुख्य सचिव डीबी गुप्ता के अनुसार पोटाश फसलों के लिए अति आवश्यक तत्व है। इसे किसान खाद के रूप में उपयोग करते हैं। देश में पहली बार इसका खनन होने जा रहा है। इसके खनन को लेकर केंद्र सरकार, जीएसआई और निजी कंपनियों के साथ चर्चा हुई है। आने वाले समय में एमओयू होने के बाद खनन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि जीएसआई वर्ष 1974 से राजस्थान में पोटाश की खोज कर रही थी। सबसे पहले गंगानगर में पोटाश की खोज शुरू की थी। अब तक प्रदेश में पोटाश की तलाश में हनुमानगड़, बीकानेर, गंगानगर और नागौर में करीब 70 बोरवेल कर खोदे जा चुके हैं। फिलहाल बीकानेर और नागौर में पोटाश के भंडारों को चिन्हित हुए है।

खान एवं भू विज्ञान विभाग के अतिरिक्त निदेशक (जियोलॉजी) जीएस निर्वाण के मुताबिक प्रदेश में जर्मनी की तर्ज पर पोटाश की 'सोल्यूशन माइनिंग' की जाएगी। इसके तहत पोटाश के करीब 200-400 मीटर जमीन के भीतर पोटाश को बोरवेल कर पानी और सोल्यूशन के जरिए घुलनशील बनाकर बाहर निकाला जाएगा। सोल्यूशन माइनिंग का उपयोग कनाडा और जर्मनी जैसे देशों में किया जाता है। हिस

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