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राजस्थान का सियासी ड्रामा: कांग्रेस पर्यवेक्षक सोनिया गांधी को सौंपेंगे रिपोर्ट, दिल्ली में मुलाकातों का दौर तेज

👤 Veer Arjun | Updated on:27 Sep 2022 6:56 AM GMT

राजस्थान का सियासी ड्रामा: कांग्रेस पर्यवेक्षक सोनिया गांधी को सौंपेंगे रिपोर्ट, दिल्ली में मुलाकातों का दौर तेज

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जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में करीब सवा दो साल बाद दोबारा बगावती तेवर देखने को मिल रहे हैं। इसके चलते कांग्रेस में अध्यक्ष और राजस्थान के लिए नये मुख्यमंत्री का चयन उलझ गया है। सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाओं को देखते हुए गहलोत समर्थक विधायकों ने कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इधर, सचिन पायलट खेमे ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी है।

राजस्थान में जारी सियासी घटनाक्रम के बीच राष्ट्रीय संगठन मंत्री केसी वेणुगोपाल दिल्ली पहुंच चुके हैं। वह इससे पहले राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा पर थे। माना जा रहा है कि वेणुगोपाल की पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाकात होगी। सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद पर्यवेक्षक के तौर पर राजस्थान भेजे गए वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन भी दिल्ली पहुंचे गए हैं। सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी के आवास पर बड़ी बैठक चल रही है।

गहलोत समर्थक विधायक अब अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नामांकन करने के भी पक्ष में नहीं हैं। शांति धारीवाल और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के घर बैठकों में विधायकों ने गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाए रखने की पैरवी की।

इससे पहले रविवार रात को गहलोत गुट ने कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक किसी भी मीटिंग में शामिल होने से इनकार कर दिया। गहलोत समर्थक विधायकों ने आलाकमान के सामने तीन शर्तें रखीं। इनके अनुसार सरकार बचाने वाले विधायकों में से ही मुख्यमंत्री बने, कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद ही नया मुख्यमंत्री घोषित हो और नया मुख्यमंत्री गहलोत की पसंद का ही हो।

गहलोत गुट के विधायकों के रवैये पर प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने नाराजगी जाहिर की है। माकन ने कहा कि विधायक दल की बैठक में विधायकों का नहीं आना अनुशासन हीनता है। इस बैठक के दौरान उन्होंने खुद बैठक बुला ली। ये भी अनुशासनहीनता है और हम देखते हैं कि क्या एक्शन लिया जा सकता है। हम एक-एक विधायक से मिलकर उनकी राय जानना चाहते थे लेकिन वे सामूहिक रूप से मिलने पर अड़े रहे। विधायक अपनी बात को रेजोल्यूशन में शामिल करने की मांग कर रहे थे जबकि रेजोल्यूशन एक लाइन का होता है। कांग्रेस के इतिहास में सशर्त रेजोल्यूशन आज तक पास नहीं हुआ है।

इधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सोमवार को अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलने होटल मैरियट पहुंचे। मुख्यमंत्री से मिलने के बाद खड़गे ने कहा, हमारी शिष्टाचार मुलाकात थी। कल जो हुआ, उससे हमने कांग्रेस अध्यक्ष को अवगत करा दिया है। जो भी निर्णय लिया जाता है, उसका सभी को पालन करना होता है। पार्टी में अनुशासन होना चाहिए।

कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने कहा, मैं किसी व्यक्ति या गुट की पूजा नहीं करती हूं, मैं बस कांग्रेस की पूजा करती हूं। मैं कभी किसी व्यक्ति विशेष के गुट में नहीं रही, ना ही रहूंगी। कांग्रेस की अधिकृत मीटिंग में नहीं आना अनुशासनहीनता है।

मंत्री महेश जोशी ने कहा, हम चाहते हैं कांग्रेस ना टूटे, विधायकों ने अपना पक्ष पर्यवेक्षकों को बताया, पार्टी आलाकमान पर हमें पूरा भरोसा है, हमें अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए। हम आलाकमान का पूरा सम्मान करते हैं।

पायलट को लेकर उपजे असंतोष के बीच यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने सचिन पायलट का नाम लिये बिना कहा, जिस प्रकार से प्रस्ताव पास करवाया जा रहा था, जो तरीका अपनाया जा रहा, उससे साफ लग रहा था कि उन लोगों को कुर्सी पर बैठाया जाएगा, जिन लोगों ने कांग्रेस के साथ गद्दारी की।

बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा ने कहा कि इस्तीफे की नौटंकी गलत है। कोई इस्तीफे नहीं हुए हैं। इस्तीफे मंजूर कर लो तो पता चल जाएगा। उन्होंने कहा कि यह सब अनुशासनहीनता में आता है। (हि.स.)

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