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प‍ितृ वि‍सर्जन: अमावस्‍या त‍िथ‍ि है खास, इस द‍िन एक साथ करें सभी पि‍तरों का श्राद्ध

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:18 Sep 2017 8:46 AM GMT

प‍ितृ वि‍सर्जन: अमावस्‍या त‍िथ‍ि है खास, इस द‍िन एक साथ करें सभी पि‍तरों का श्राद्ध

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धर्म संस्कृति : श्राद्ध व तर्पण अन‍िवार्य
प‍ितृ पक्ष हर साल भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से शुरू होता है और आश्विन कृष्ण अमावस्या तक रहता है। हिंदू धर्म में पितरों के प्रत‍ि श्रद्धा भाव से श्राद्ध व तर्पण करना अनि‍वार्य माना जाता है। इससे प‍ितर अपनी संतानों से खुश होते हैं और उन्‍हें आशीर्वाद देते हैं। ज‍िससे संतानों के जीवन में खुशि‍यां आती हैं। आर्थि‍क व मानस‍िक परेशानि‍यां दूरी होती है।
धरती पर आते हैं प‍ितर
ऐसे में मान्‍यता है कि‍ प‍ितृ पक्ष में 15 द‍ि‍नों के ल‍िए यमराज पितरों को ब‍िल्‍कुल आजाद कर देते हैं। ज‍िससे क‍ि प‍ितर धरती पर अपनों के पास जा सकें। इतना ही नहीं परिजनों द्वारा इस दौरान क‍िए जाने वाले श्राद्ध, तर्पण और प‍िंडदान आद‍ि को ग्रहण कर सकें। इसके बाद सभी प‍ितरों कों आश्विन कृष्ण अमावस्या को वापस जाना होता है।
एक साथ कर दें श्राद्ध
ऐसे में अमावस्‍या का द‍िन बेहद खास होता है। इस द‍िन प‍ितरों की व‍िदाई यानी क‍ि पि‍तृ व‍िसर्जन होता है। इस अमावस्‍या को पितृ पक्ष का समापन पर्व के रूप में भी जाना जाता है। ऐसे में जो लोग पूरे पितृ पक्ष में क‍िसी परेशानी या क‍िसी अन्‍य कारण से प‍ितरों को याद नहीं कर पाए। वे इस अमावस्‍या पर श्राद्ध, तर्पण और प‍िंडदान कर सकते हैं।
पि‍तर वापस चले जाते
शास्‍त्रों के मुताबि‍क श्राद्ध मृत्‍यु की त‍िथ‍ि पर की जाती है लेक‍िन ज‍िन पूर्वजों की त‍िथि‍ नहीं मालूम है। ऐसे में उनकी श्राद्ध भी इस अमावस्‍या के द‍िन व‍िध‍िव‍िधान से की जाती है। इसके अलावा इस द‍ि‍न मातृ और प‍ितृ दोनों पक्ष के लोगों की श्राद्ध की जा सकती हैं। अमावस्‍या के द‍िन सभी प‍ितर खुश होकर आशीर्वाद देकर वापस चले जाते हैं।

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