नवरात्रों में मां के नौ रुपों को इस तरह कराएं भोज
29 सितंबर से नवरात्रों की शुरुआत हो गई थी।. इस समय मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि को मुख्य नवरात्रि माना जाता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ये नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष से शुरू होती हैं।
नवरात्रि एक हिंदू पर्व है. नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'.इन नौ रातों और 10 दिनों के दौरान, शक्ति देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. दसवाँ दिन दशहरा के नाम से जाना जाता है।
अष्टमी तथा नवमी को कन्या पूजन कराया जाता है.
मां के भक्त पूरे आठ दिनों तक व्रत रखकर नौवें दिन कन्या भोज कराकर मां दुर्गा को खुश करते हैं. कुछ लोग अष्टमी के दिन भोज कराते हैं और कुछ लोग नौवें दिन कन्या भोज कराते हैं.
वैसे तो मां के रुप में सभी लड़कियों को देखा जाता है पर 3 से 9 वर्ष तक की कन्याओं का पूजन करने की परंपरा है. इस उम्र की कन्याओं को साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है .ऐसी मान्यता है कि कन्या पूजन से सभी दुख समाप्त हो जाते हैं और घर में खुशियां आती हैं.
इन उम्र की कन्याओं को कराएं भोज
दो वर्ष की कन्या को कौमारी कहा जाता है.
तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है.
चार वर्ष की कन्या कल्याणी नाम से संबोधित की जाती है.
पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कही जाती है.
छह वर्ष की कन्या चण्डिका के पूजन से ऐश्वर्य मिलता है
आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी की पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है
नौ वर्ष की कन्या दुर्गा की अर्चना से शत्रु पर विजय मिलती है तथा असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं
इन सभी उम्र की कन्याओं को भोज कराने से घर में सुख समृद्धि मिलती है. घर का वातावरण खुशनुमा हो जाता है साथ ही मां का आशीष घर पर बना रहता है।