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गंगा की महाआरती के साथ कार्तिक पूर्णिमा का महास्नान शुरू

👤 manish kumar | Updated on:12 Nov 2019 5:17 AM GMT

गंगा की महाआरती के साथ कार्तिक पूर्णिमा का महास्नान शुरू

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बलिया । कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बलिया में गंगा-सरयू के संगम पर काशी से आए पंडितों ने सोमवार शाम करीब आठ बजे वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महाआरती की। इसी के साथ ही कार्तिक पूर्णिमा पर होने वाले महास्नान की भी शुरुआत हो गई है। लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगानी भी शुरू कर दी।

राज्य सरकार के मंत्री उपेंद्र तिवारी और आनंद स्वरूप शुक्ल ने गंगा की महाआरती गंगा पूजन से की। दोनों मंत्रियों एवं जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने जैसे ही पतित पावनी की पूजा कर दीप जलाए तो हर-हर गंगे और हर-हर महादेव से पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया।

कोलकाता से आए भजन गायक नमामि शंकर ने गंगा गीतों से माहौल भक्तिमय बना दिया। नगर पालिका की तरफ से दीये जलाकर मां गंगा में छोड़े जाने लगे। पलभर में ही मानो गंगा में आकाशदीप उतर आए हों, दूर-दूर तक गंगा का आंचल जगमगा उठा।

इधर, जिले के अलावा पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों से श्रद्धालुजन गंगा में श्रद्धा के गोते लगाने लगे। इस मौके पर नगर पालिका के चेयरमैन अजय कुमार, एडीएम रामआसरे व एसडीएम सदर अश्विनी श्रीवास्तव आदि थे।

दर्दर मुनि ने की 88 हजार ऋषि-मुनियों की जुटान

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महर्षि भृगु के शिष्य दर्दर मुनि ने वैष्णव यज्ञ का आयोजन किया था जिसमें 88 हजार ऋषि-मुनियों का समागम हुआ था। बाद में यह संत समागम लोकआस्था का पर्व के रूप में मेला बन गया।

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर ही दर्दर मुनि ने गंगा और सरयू के संगम पर संतों की जुटान की थी। तब से हर वर्ष यह जुटान होती रही। धीरे-धीरे संतों की यह जुटान मेले के रूप में परिवर्तित हो गई जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल जिलों एवं बिहार के कई जनपदों से लोग आते हैं।

बहरहाल यह मेला भी अब अधुनिकता के रंग में रंग चुका है। जबकि कुछेक दशकों तक इस मेले में ही पूरी गृहस्थी सजती थी। मेले में बेटियों की शादी में उपहार स्वरूप दिए जाने वाले पलंग, बक्से और श्रृंगार के सभी सामान उपलब्ध हो जाते हैं। मेले में बच्चों के लिए भी मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध रहते हैं। हिस

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