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26 को पड़ेगा खण्डग्रास वलयाकार सूर्य ग्रहण

👤 manish kumar | Updated on:23 Dec 2019 1:32 PM GMT

26 को पड़ेगा खण्डग्रास वलयाकार सूर्य ग्रहण

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गुना । वर्ष का अंतिम ग्रहण 26 दिसम्बर को वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। ग्रहण में सूर्य के बीच के भाग को चंद्रमा को ढक देगा। जिस कारण सूर्य एक आग की अंगूठी की तरह दिखाई देगा। भारत में वलयाकार सूर्य ग्रहण दक्षिण भाग कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के हिस्सों में दिखाई देगा जबकि देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण दृश्य होगा। इससे पूर्व 25 दिसंबर को चंद्रमा, धनु राशि में प्रवेश करेगा। इस ग्रहीय बदलाव का प्रभाव राशियों के अनुसार जातकों पर पड़ेगा।

ज्योतिषाचार्य पंडित युवराज राजौरिया के मुताबिक सूर्यग्रहण 26 दिसम्बर को सुबह 8 बजे से शुरू होगा, जो 10:48 बजे तक रहेगा। संपूर्ण ग्रहण 1:36 बजे समाप्त होगा। कुल मिलाकर इसकी अवधि 5 घंटा 36 मिनट रहेगी। दक्षिण भारत मेें यह अंगूठी की तरह दिखाई देगा। सूतक 25 तारीख को रात 8 बजे से शुरू हो जाएगा। सूतककाल को लेकर एक खास मान्यता है। कि सूर्य ग्रहण के समय 12 घंटे और चंद्र ग्रहण के दौरान 9 घंटे पूर्व से ही सूतक काल आरंभ हो जाता है।

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ग्रहण में क्या करें और क्या न करें

सूर्य ग्रहण में भगवान सूर्य की पूजा, सूर्य स्तोत्रों का पाठ करना चाहिए। पका हुआ अन्न, कटी हुई सब्जी ग्रहण काल में दूषित हो जाते हैं। परन्तु तेल, घी, दूध, दही, लस्सी, मक्खन, पनीर, चटनी, मुरब्बा आदि में तिल रख देने से ये ग्रहण काल में दूषित नही होते हैं। सूखे खाद्य पदार्थों में तिल या कुशा डालने की आवश्यकता नही है। ग्रहण के समय तथा ग्रहण की समाप्ति पर गर्म पानी से स्नान करना निषिद्ध है। सूतक के दौरान भोजन बनाना और करना वर्जित माना जाता है। देवी देवताओं की प्रतिमा और तुलसी के पौधे को स्पर्श नहीं करना चाहिए।

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ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व

ग्रहण ही वह समय होता है जब ब्राह्मंड में अनेक विलक्षण एवं अद्भुत घटनाएं घटित होतीं हैं, जिससे कि वैज्ञानिकों को नये नये तथ्यों पर कार्य करने का अवसर मिलता है। 1968 में लार्कयर नामक वैज्ञानिक नें सूर्य ग्रहण के अवसर पर की गई खोज के सहारे वर्ण मंडल में हीलियम गैस की उपस्थिति का पता लगाया था। आईन्स्टीन का यह प्रतिपादन भी सूर्य ग्रहण के अवसर पर ही सही सिद्ध हो सका। जिसमें उन्होंने अन्य पिण्डों के गुरुत्वकर्षण से प्रकाश के पडऩे की बात कही थी।

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