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सबसे अलग और अनोखी होती है 'महाकाल' की होली

👤 manish kumar | Updated on:10 March 2020 11:00 AM GMT

सबसे अलग और अनोखी होती है महाकाल की होली

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उज्जैन। दुनिया भर में मनायी जानी वाली होली के त्यौहार की शुरुआत सबसे पहले धार्मिक नगरी उज्जैन से होती है। यहां सबसे पहले विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से होली के त्यौहार की शुरू होने की परंपरा है।

बाबा महाकाल के दरबार में एक दिन पहले यानि होलिका दहन की शाम से होली का उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव में स्वयं भगवान महाकालेश्वर होली खेलते हैं। यहां की होली सबसे अनोखी और अलग होती है।

दरअसल यहां संध्या आरती में पण्डे-पुजारी महाकाल के साथ होली खेलते हैं। इस दिन हजारों की संख्या में भक्त भक्ति में लीन होकरअबीर-गुलाल और फूलों के साथ होली खेलते हैं। भक्त बाबा के भजनों में झूमते नजर आते हैं।

महाकाल के दरबार में एक दिन पहले मनाते हैं होली

उज्जैन के महाकाल मंदिर में होली के त्यौहार की शुरुआत एक दिन पहले ही हो जाती है। महाकाल में होली का पर्व मानाने की यह परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है। यहां परंपरा अनुसार संध्या आरती में बाबा महाकाल को रंग लगाया जाता है। श्रद्धालु और पण्डे पुजारी आरती में लीन होकर अबीर-गुलाल और फूलों के साथ होली खेलते हैं। आरती के बाद मंदिर परिसर में मंत्रोच्चारण के साथ होलिका दहन किया जाता है। इस दौरान भजन संध्या भी आयोजित होती है जिसमें भक्त खूब झूमते और गाते नजर आते हैं।

देश-विदेश से भक्त उज्जैन में होली खेलने आते हैं

रंगों के पर्व होली खेलने और देखने के लिये देश-विदेश से बहुत से भक्त उज्जैन में मनाई जाने वाली अनोखी होली को देखने और खेलने के लिए आते हैं। आरती के समय बाबा के भक्तों पर भी होली का रंग खूब चढ़ता है। क्या बच्चे-क्या बड़े सभी बाबा महाकाल के रंग में रंग जाते हैं। यहां सबसे पहले बाबा महाकाल के आंगन में होलिका का दहन होता है और उसके बाद शहर भर में होली मनाई जाती है।

महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में है

महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में है। नीचे वाले हिस्से में महाकालेश्वर स्वयं हैं। बीच के हिस्से में ओंकारेश्वर हैं। ऊपर के हिस्से में भगवान नागचंद्रेश्वर हैं। भगवान महाकालेश्वर के गर्भगृह में माता पार्वती, भगवान गणेश एवं कार्तिकेय की मूर्तियों के दर्शन किए जा सकते हैं। महाकाल बाबा के दर्शन के लिए मुख्य द्वार से गर्भगृह तक कतार में लगकर श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर में एक प्राचीनकाल का कुंड भी है। ऐसी मान्यता है कि इस कुंड में स्नान कर पवित्र होने से सभी तरह के पाप तथा संकट नाश हो जाते हैं।

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