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मकर संक्रांति विशेष : क्या है गुरु गोरक्षनाथ का शक्तिपीठ देवीपाटन से नाता

👤 manish kumar | Updated on:14 Jan 2021 10:27 AM GMT

मकर संक्रांति विशेष : क्या है गुरु गोरक्षनाथ का शक्तिपीठ देवीपाटन से नाता

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बलरामपुर। महायोगी गुरु गोरखनाथ को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। महायोगी को भारत ही नहीं बल्कि नेपाल सहित अन्य देशों में भी इनकी पूजा की जाती है। महायोगी धर्म, अध्यात्म योग साधना के लिए जहां-जहां धुनि रमाई वह स्थान आज भी पूजनीय है। ऐसे ही शक्तिपीठ देवीपाटन का नाता महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी से है।

51 शक्तिपीठों में शुमार शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन पूरे दुनिया में आदिशक्ति की पूजा के लिए जाना जाता है, यहां आदिशक्ति पाटेश्वरी देवी के रूप में विश्व विख्यात है। मंदिर के मान्यताओं के मुताबिक यहां पर महायोगी ने वर्षों तक साधना करते हुए मां सती का यहां वाम स्कंध गिरने पर इस पीठ की स्थापना स्वंय की थी। महायोगी द्वारा शक्तिपीठ में स्थापित अखंड धूना आज भी युग युगांतर से जल रहा है। श्रद्धालु मां पाटेश्वरी के पूजन के उपरांत अखंड धूनें का दर्शन करते है।

मंदिर के प्रधान पुजारी कोठारी अमरेंद्र नाथ ने बताया कि भगवान शिव अवतारी महायोगी गुरु गोरखनाथ हिमाचल क्षेत्र से भ्रमण करते हुए इस स्थान पर विश्राम करते हुए यहां वर्षों तक साधनारत थे। यहां शक्ति पीठ का स्थापना कर गोरखपुर के लिए यहीं से प्रस्थान किये थे। उनके द्वारा जलाई अखंड धूनी आज भी जल रही है।

मकर संक्रांति के मौके पर दूरदराज से श्रद्धालु महायोगी गुरु गोरक्षनाथ जी के दर्शन पूजन तथा उनको खिचड़ी चढ़ाने के लिए यहां देवीपाटन पहुंचते हैं। मंदिर परिसर में स्थापित महायोगी गुरु गोरखनाथ की प्रतिमा पर खिचड़ी चढ़ाते हुए परिवार के लिए मंगलकामनाएं करते है।

शक्तिपीठ का संचालन गोरक्ष पीठ गोरखपुर के द्वारा किया जाता है। वर्तमान में यहां के महंत योगी मिथिलेश नाथ है। यहां वर्ष में दो बार मेले का आयोजन किया जाता है।


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