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नवरात्रि विशेष-जानिए हिंगलाज माता की पौराणिक कथा

👤 Veer Arjun | Updated on:7 Oct 2021 4:34 AM GMT

नवरात्रि विशेष-जानिए हिंगलाज माता की पौराणिक कथा

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रतलाम। जिले में कई धार्मिक स्थल ऐसे है जो अपने आप में महत्वपूर्ण होते हुए शक्तिपीठों के रुप में जगप्रसिद्ध है। नवरात्रि में शक्तिपीठों के दर्शन की परंपरा रही है। शक्तिपीठ की स्थापना भगवान शिव की पत्नी सती (शक्ति) की वजह से हुई थी। देवी पुराण के मुताबिक, शक्तिपीठ की संख्या 51 है। जिनमें से 42 भारत में हैं। इनके अलावा 9 शक्तिपीठ हमारे 5 पड़ोसी देशों में हैं। एक शक्तिपीठ पाकिस्तान में, 4 बांग्लादेश में, 2 नेपाल में और एक-एक शक्तिपीठ श्रीलंका व तिब्बत में (चीन) हैं। जिनमें से प्रथम शक्तिपीठ के बलूचिस्तान प्रान्त के हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर स्थित एक हिन्दू मन्दिर है। यह हिन्दू देवी सती को समर्पित इक्यावन शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ इस देवी को हिंगलाज देवी या हिंगुला देवी भी कहते ।

ग्रामीणों के अनुसार पुराने भारत के किसी अतीत कालखंड में पाकिस्तान स्थित प्रथम शक्तिपीठ से ही जोत रतलाम जिले के बिलपांक लाई गई थी । रतलाम से 16 किलोमीटर दूर ग्राम बिलपांक एवं धराड़ के बीच स्थित इस स्थान का एक अलग ही आकर्षण है । देश के अंदर स्थित शक्तिपीठ के दर्शन तो कोई भी,कभीं भी कर सकता हैं, किंतु जो अब विदेशों में हैं उनके प्रतीक रूप स्थानों को हमें सहेजना होगा ।

शासकीय जानकारी अनुसार ग्राम बिलपांक स्थित पहाड़ी पर मां हिंगलाज का एक चमत्कारिक अति प्राचीन शासकीय मंदिर स्थित है । मंदिर वन विभाग की सर्वे नंबर 26 / 1 पर स्थित होकर शासन नियंत्रित देवस्थान सूची में 523 नंबर पर दर्ज है । उक्त मंदिर पिछले 6 से 7 वर्षों से जीर्ण शीर्ण एवं क्षतिग्रस्त होकर इसके पुन: निर्माण किए जाने की मांग स्थानीय व्यक्तियों द्वारा की जा रही थी । प्रतिवर्ष हरियाली अमावस्या पर यंहा मेला भी लगता है । जिसमें आसपास के कई गांव के व्यक्ति शामिल होते हैं तथा चेत्र नवरात्रि में यहां पंच कुंडी महायज्ञ का आयोजन भी ग्राम वासियों द्वारा किया जाता है।

बिले फाउंडेशन संस्था बिलपांक द्वारा विगत 3 वर्षों से माताजी की टेकरी पर जैव विविधता संरक्षण व संवर्धन हेतु विविध प्रकार के वृक्षों का रोपण हेतु प्रयास किये जा रहे है । पिछले वर्ष भी बहुतायत में विविध प्रकार के बीजों व पौधों का रोपण किया गया था ।

सप्ताह के प्रत्येक रविवार को यहां जात्रा का आयोजन भी होता है जिसमें स्थानीय श्रद्धालु आते थे ऐसे में दुर्घटना की बड़ी संभावना बनी रहती थी। ग्रामीणों द्वारा पूर्व कलेक्टर के संज्ञान में विषय लाने पर पूर्व कलेक्टर के आदेश से कार्यालय कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रतलाम द्वारा 8 फरवरी 2018 को तकनीकी स्वीकृति आदेश राशी रुपए 23.90 लाख रुपए मिली थी किंतु उसमें अभी तक आगे कोई कार्य प्रगति नहीं हुई ।

लंबे समय से किसी प्रकार का सहयोग प्राप्त नहीं होने पर गांव वालों वाले ने जन सहयोग से इस मंदिर का पुन: जीर्णोद्धार शुरु कर दिया था । अभी इसकी ऊंचाई 61 फीट है मंदिर वास्तु के सभी पैरामीटर पर इस मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा है । बनाने वाले कारीगर महाराष्ट्र के श्री जनार्दन है । इन्होंने अपने देश में कई बड़े मंदिरों का निर्माण किया है । इंदौर के देपालपुर में भगवान विष्णु के 24 अवतार का मंदिर भी श्री जनार्दन ने ही बनाया है । हिंगलाज माता मंदिर जीर्णोद्धार का काम भी आप ही देख रहे हैं । हिंगलाज माता मंदिर निर्माण समिति पूरे आय व्यय का हिसाब रख रही है।

मध्य प्रदेश शासन एवं जनप्रतिनिधियों से यदि उपरोक्त अनुसार विकास कार्यों हेतु कुछ राशि प्राप्त होती है तो उसे कलेक्टर के मार्गदर्शन में मंदिर की सुंदरता, भव्यता एवं विशालता से संबंधित आगे की गतिविधियों के लिए निर्धारित उपयोग किया जा सकेगा । यह विवरण बिलपांक के सामाजिक कार्यकर्ता अशोक पाटीदार ने उपलब्ध करवाई है।(हि.स.)

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