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भविष्य पुराण जीवन को सवारने का पर्याय : आचार्य वीरेन्द्रकृष्ण दोर्गादत्ती

👤 Veer Arjun | Updated on:15 Jun 2022 1:12 PM GMT

भविष्य पुराण जीवन को सवारने का पर्याय : आचार्य वीरेन्द्रकृष्ण दोर्गादत्ती

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निंबाहेड़ा । आचार्य वीरेन्द्रकृष्ण दोर्गादत्ती ने कहा कि यूं तो अष्ठादश पुराण भगवान नारायण में समाहित है, तथापि 13 वां भविष्य पुराण भगवान सूर्यदेव के दायने घुटने के मर्म को प्रकट करने वाला है। आचार्य वीरेन्द्र बुधवार को द्युलोक स्थित सुमंतु कथा मंडपम में भविष्य पुराण का कथा अमृतपान करवा रहे थे। उन्होंने कहा कि इस पुराण में चार प्रकार के कर्मों का वर्णन किया गया है। वहीं ये पुराण सूर्य, चन्द्र, अग्नि और पृथ्वी को देवता निरूपित करते हुए उनके आश्रय लेने की प्रेरणा देता है। उन्होंने बताया कि जीवन के चार पर्व माने गए है। जिनमे, बाह्य, मध्यम, प्रतिस्वर्ग व उत्तर पूर्व शामिल है। इस पुराण के माध्यम से जीवन को तराशने का सुअवसर मिलता है। उन्होंने बताया कि संपूर्ण ब्रह्माण्ड में जब पूर्णतया अंधकार था, तब सूर्य नारायण ने रथ का उद्गम कर जीवन को प्रकाशमयी बनाया।

आचार्य दोर्गादत्ती ने कहा कि ज्ञान की विधाओं जानने के लिए चार वेदों का प्राकट्य हुआ वहीं उन्हें सुरक्षित रखने के लिए ब्रह्मा के चार मुख और भगवान विष्णु के चार हाथ थे। उन्होंने कहा कि कोई भी कर्मशिल व्यक्ति सामर्थ के अधिक प्राणी मात्र की सेवा करें तो उसे भगवान विष्णु के अनुरूप माना जा सकता है। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रथम बार भविष्य पुराण का श्रवण कर स्वयं को धन्य महसूस कर रहे थे। इसी बीच आचार्य श्री ने गुरू के रूप में ठाकुरश्री कल्लाजी को नमन करते हुए जब "गुरूदेव दया करके मुझको अपना लेना" भजन की प्रस्तुति दी तो समूचा वातावरण भक्ति रस से सराबोर हो गया। प्रारंभ में आचार्य श्री ने मुख्य यजमान के रूप में ठाकुर श्री कल्लाजी की पूजा अर्चना कर विश्व शांति की कामना की। वहीं वेदपीठ के पदाधिकारियों एवं न्यासियों द्वारा व्यासपीठ का श्रद्धाभाव के साथ पूजन किया गया।

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