Home » खेल खिलाड़ी » छह महीने से एक दूसरे से नहीं बतिया रहे थे कुंबले और कोहली

छह महीने से एक दूसरे से नहीं बतिया रहे थे कुंबले और कोहली

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:21 Jun 2017 7:26 PM GMT

छह महीने से एक दूसरे से नहीं बतिया रहे थे कुंबले और कोहली

Share Post

नयी दिल्ली , भाषा बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों को यह आभास था कि टीम में सब कुछ सही नहीं चल रहा है लेकिन जब उन्हें पता चला कि कप्तान विराट कोहली और मुख्य कोच अनिल कुंबले स्त्रपिछले छह महीनों स्त्र् से आपस में बात नहीं कर रहे थे तो वे भी हैरान रह गये।

एक और महत्वपूर्ण बात यह भी सामने आयी है कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण की मुख्य सलाहकार समिति ःसीएसी ः ने भी कुंबले का कार्यकाल बढ़ाने को सीधे तौर पर हरी झंडी नहीं दिखायी थी।

इस पूरे प्रकरण के दौरान लंदन में मौजूद रहे बीसीसीआई के एक वरिष्" अधिकारी ने पीटीआई से कहा, स्त्र् स्त्ररिपोर्टों में कहा गया है कि सीएसी ने कुंबले का कार्यकाल बढ़ाने के लिये कहा है। उन्होंने ऐसा कहा था लेकिन इसमें एक शर्त भी थी सभी लंबित मसलों को सुलझाने के बाद ही कुंबले को रिटेन किया जाना चाहिए। स्त्र् स्त्र्

आईसीसी चैंपियन्स ट्राफी फाइनल के बाद भारतीय टीम के होटल में तीन अलग अलग बै"कें हुई। पहली बै"क में कुंबले बीसीसीआई के शीर्ष पदाधिकारियों और सीएसी सदस्यों से मिले। इसके बाद उन्होंने कोहली के साथ बै"क की।

तीसरी और अंतिम बै"क काफी घटनाप्रधान रही जिसमें कोहली और कुंबले साथ में थे। बातचीत पूरी तरह से नाकाम रही क्योंकि उनके बीच किसी तरह का संवाद नहीं हो पाया।

अधिकारी ने कहा, स्त्र् त्र्इन दोनों ने पिछले साल दिसंबर में इंग्लैंड टेस्ट श्रृंखला समाप्त होने के बाद एक दूसरे से बात करना बंद कर दिया था। समस्याएं थी लेकिन यह हैरान करने वाला था कि दोनों के बीच पिछले छह महीने से सही तरह से संवाद नहीं था। रविवार को फाइनल के बाद वे एक साथ बै"s और वे दोनों सहमत थे कि उनका साथ साथ चलना मुश्किल है। स्त्र् स्त्र्

सूत्रों से पूछा गया कि समस्या क्या थी, उन्होंने कहा, स्त्र् त्र्जब हमने अनिल से अलग से बात की और विशेष तौर पूछा कि क्या किसी तरह की समस्या है तो उन्होंने कहा कि उन्हें विराट से कोई समस्या नहीं है। उन्होंने उनके कामकाज के कुछ क्षेत्रों की भी बात की जिनसे कोहली को आपत्ति है। अनिल ने कहा कि ये कोई मसले नहीं हैं। स्त्र् स्त्र्

अधिकारियों के पास कोई विकल्प नहीं था।

अधिकारी ने कहा, स्त्र् त्र्अगर दोनों पक्षों में से एक पक्ष मानता है कि ये मसले हैं जो कि दूसरे को कोई मसले नहीं लगते तो फिर ये दोनों ही उनको सुलझा सकते हैं। जब दोनों एक साथ बै"s तो दोनों ने महसूस किया कि अब इनको सुलझाया नहीं जा सकता है। अनिल का बारबाडोस के लिये टिकट कर दिया गया था। उनकी पत्नी को भी वहां पहुंचना था लेकिन वह समझ चुके थे कि उनका कार्यकाल खत्म हो चुका है। स्त्र् स्त्र्

अधिकारी से पूछा गया कि क्या वह इस पर विस्तार से बता सकते हैं, उन्होंने कहा, स्त्र् स्त्रविराट को लगता था कि अनिल उस क्षेत्र में भी दखल देते हैं जिस पर पूरी तरह से उनका अधिकार है। जहां तक भारत के पूर्व कप्तान और भद्रजनों में से एक अनिल की बात है तो उनका मानना था कि उनकी अपनी राय होती है लेकिन आखिरी फैसला हमेशा कप्तान का होता है।

Share it
Top