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पति-पत्नी जिम्मेदारियों के साथ परेशानियों को भी समझें फिप्टी-फिप्टी

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:24 Jun 2018 3:12 PM GMT

पति-पत्नी जिम्मेदारियों के साथ  परेशानियों को भी समझें फिप्टी-फिप्टी

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नम्रता नदीम

पति पत्नी के आपसी रिश्तों में प्यार और तकरार चलती रहती है। ऑफिस का तनाव, ऑफिस में किसी के साथ मनमुटाव होना, टारगेट पूरा न होना, बिजनेस में घाटा होना, शारीरिक तकलीफ होना या नौकरी का संकट में होना या फिर सामाजिक प्रतिष्"ा पर आंच आने की आशंका। पति की परेशानियों की वजह इन तमाम वजहों के अलावा और भी कोई वजह हो सकती है, जिसके कारण वह तनाव में आ सकते हैं। भावनात्मक रूप से आहत होकर वह टूट सकते हैं। इससे पत्नी को भी परेशानी होती है।

सवाल है पति जब हो परेशान तो इस स्थिति का मुकाबला कैसे करें? स्त्राr और पुरुष की विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग तरीके की प्रतिािढया होती है। समस्याग्रस्त होने पर दोनो का समस्या से निपटने का तरीका अलग-अलग होता है। जिसकी बड़ी वजह तनाव के समय स्त्राr और पुरुष दोनो के शरीर में उत्पन्न होने वाले हार्मोंस होते हैं। तनाव के समय शरीर से कोर्टिसोल और पाइनेफिराइन हार्मोंस का स्राव शरीर में रक्त के दबाव को बढ़ाते हैं, जिससे रक्त में शुगर का स्तर भी बढ़ जाता है। मस्तिष्क से ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्राव होता है जो कोर्टिसोल और पाइनेफिराइन के प्रभाव को कम करता है।

पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा तनाव ग्रस्त होने पर ऑक्सीटोसिन का स्राव कम होता है, जिससे वह कोर्टिसोल और पाइनेफिराइन से कड़ा मुकाबला लेते हैं। तनाव के समय महिलाएं विन्रम और दोस्ताना हो जाती हैं। इनके मुकाबले पुरुषों में ऑक्सीटोसिन का स्तर उन्हें ज्यादा लड़ने के लिए उकसाता है, जिसके कारण वह अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाते न ही वे गुस्से को काबू में कर पाते हैं। महिलाओं का यही गुण उनके आत्मविश्वास में वृद्धि करता है और पति पत्नी के संबंधों में तालमेल बि"ाने में इसकी बड़ी भूमिका होती है।

वास्तव में पति अगर परेशान हो तो ऐसे समय में उसे पत्नी के सहारे की जरूरत होती है। आवेश में आकर उसे अकेला छोड़कर या लड़-झगड़कर खुद मायके जाने से स्थिति और गंभीर हो जाती है। पति की परेशानी को इस तरह से हैंडिल करने से दोनो के रिश्तों में कड़वाहट भी आती है और पति के मन में भी यह बात घर कर जाती है कि परेशानी के समय आप उसके साथ नहीं थीं। इससे दोनो के बीच वैसा प्यार नहीं बन पाता जैसा होना चाहिए। इसलिए जरूरी है कि ऐसे मौके पर हमेशा साथ रहें।

देखा गया है कि अकसर किसी मामले में असफल हो जाने की सारी लानत पति पर आ जाती है। लगता है गलती सिर्फ पति ही करता है। मनोविद मानते हैं कि तनाव के समय पति को उसकी किसी गलती से होने वाले नुकसान पर जली कटी न सुनाएं। कई पत्नियों की आदत होती है, वे अपने पति को दुनिया का सबसे नाकारा समझती हैं और उन्हें गैर जिम्मेदार व्यक्ति मानती हैं। यह सही भी हो तो भी ऐसे मौकों पर इस तरह के निष्कर्षों के प्रतिािढया हमेशा नकारात्मक होती है। जिसका मतलब है कि दोनो के बीच तनाव और बढ़ जाता है, बात और बिगड़ जाती है। इसलिए ऐसे मौके पर पत्नी को हर हाल में पति का सपोर्ट करना चाहिए। अगर ऐसे समय में पत्नी, पति को सपोर्ट नहीं करेगी तो वह किसी नाकामी से उबरने की बजाय अवसाद में डूब जायेगा। अतः ऐसे मौके पर कभी पत्नी को पति से संवाद खत्म नहीं करना चाहिए।

पति पर अगर किसी तरह की परेशानी के कारण संकट आया है तो उसका कोई न कोई समाधान निकल ही आयेगा। उसे लेकर आप खुद भी तनावग्रस्त होती हैं तो इससे तनाव का स्तर दोगुना हो जाता है। इसलिए मामला कितना भी गंभीर हो खुद को संयत रखें। यदि आर्थिक नुकसान हुआ है तो भविष्य की चिंता को लेकर रोना धोना न मचाएं। क्योंकि पति तनाव में है, गलती उसकी है या किसी और की वजह से उस पर कोई संकट है तो उसके तनाव को बढ़ाने की बजाय, मनोबल को बढ़ाएं। क्योंकि परेशानी की घड़ी में पति को पत्नी के सपोर्ट की जरूरत होती है। गृहस्थी की गाड़ी में पति पत्नी दोनो किसी भी वजह से तनाव में आ सकते हैं। आज पति परेशान है तो हो सकता है कल इसी तरह की परेशानी पत्नी के साथ हो। इसलिए परेशानी में पति का मनोबल बढ़ाएं, उन्हें पूरा प्यार और अपना सहयोग दें ताकि रिश्तों में मधुरता बनी रहे।

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