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साधना थीं बेजोड़

👤 Veer Arjun Desk | Updated on:17 Sep 2018 3:54 PM GMT

साधना थीं बेजोड़

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अशोक मनवानी

हिंदी सिनेमा में यदि राजेन्द कुमार सुपर स्टार थे तो साठ-सत्तर के सालों की सुपर अदाकारा साधना थीं,भारत मे फैशन पवर्तन वे ही करती थी। उनकीहर फिल्म सिल्वर जुबली मनाती थी। दोहरी भूमिकाओं, रहस्यमय रोल और पेम गीतों, कथाओं पर बनी फिल्मों की वे पहचान भी थीं और इनसे उनकी पहचान भी बनी। दर्शकों ने उन्हें बहुत सम्मान दिया, पुरस्कार उनके खाते में जरूर कम रहे।लेकिन न भुलाने योग्य सिनेमा में उनका बड़ा योगदान है। मायानगरी अर्थात मुम्बई के सांताकूज के राम कृष्ण मार्ग के संगीता नामक बंगले के ग्राउंड फ्लोर बी- वन में साधना जी जीवन के पैंतीस से ज्यादा बरस रहीं। उनके पति आर के नैयर का निधन 1995 में हुआ था,इसके बाद बीस साल वे जनता के बीच नहीं आईं। इक्का-दुक्का पसंग छोड़कर।

मैं उनका पशंसक था,जब भी मुम्बई गया, उनके घर जरूर पहुँचता। शुरू में तो दो तीन बार मिलना ही नहीं हो सका। चूंकि में जिद्दी टाइप का फैन था तो सफलता मिल ही गई।उनके अंतिम संस्कार में भी गया। दिवंगत अभिनेत्री साधना जी के निवास पर सांताकूज इलाके में 26 दिसंबर 2015 जैसी भीड़ पहले कभी नहीं देखी गई। साधना जी चूँकि कभी जनता के बीच नहीं आती थीं इसलिए शायद उनके दीदार को तरसते उनके पशंसक इस कदर बेताब थे। भाजपा नेत्री शाइना एन सी, रजा मुराद साहब और लोकल पुलिस किसी तरह उस हुजूम को समझाने और उनके घर के भीतर आने से रोकने में लगे थे। यहाँ से ग्यारह बजे साधना जी की आखिरी यात्रा निकली। अर्थी पर लेटी साधना जी का चेहरा उसी साधना कट हेयर स्टाइल के साथ दिखाई दिया, आँखों पर चश्मा चढ़ा था। एक जिंदगी पूरी हो गई थी। एक अलग दुनिया की यात्रा पर जाने के लिए साधना जी तैयार थीं। देश-विदेश में जिसने हिंदी सिनेमा में लगातार अपनी विशेष स्थिति बनाकर करोड़ों पशंसक पैदा किए। लगभग दस फैशन चलाए।सिर्फ साधना कट नहीं। आँखों में तिरछा काजल, शरारा, गरारा, टाइट और बिना

बाहों वाला कुरता, चूड़ीदार सलवार , कानों में बड़े बाले, गले में दुपट्टा, किस्म- किस्म के आकर्षक जूड़े और सबसे खास उनकी सौम्य मुस्कान। याद दिलाएं आपको कि एक मुसाफिर एक हसीना और वो कौन थी जैसी फिल्मो की लोकपियता का यह आलम था कि उस समय की कॉलेज गर्ल्स ने हंसना छोड़ दिया था, बस हल्की मुस्कान चेहरों पर होती थी। भारतीय सिनेमा का अहम दौर रहा साधना जी जैसी अभिनेत्रियों की वजह से। लता जी मानती हैं कि साधना की तरह कई अहिन्दी भाषी अदाकाराओं का हिंदी उच्चारण अद्भुत था। राष्ट्रभाषा के लिए उनका पेम पशंसनीय है। साधना जी के शव वाहन के पीछे गाड़ियों की लम्बी कतार थी। एक. दो टी वी चैनल्स जो बता रहे थे कि बॉलीवुड की कोई बड़ी हस्ती साधना जी के अंतिम दर्शन के लिए वेटेरन एक्टर संजय खान, संवाद लेखक निर्माता सलीम खान, दीप्ति नवल,वेटेरन एकट्रेस शम्मी, चरित्र अभिनेता रजा मुराद, अभिनेता अन्नू कपूर पसिद्ध कोरियोग्राफर सरोज खान, पूर्व मिस इंडिया पूनम सिन्हा, तबस्सुम, साधना जी के नजदीकी श्री सुरेश लालवानी आने- जाने वालों से बात करते हुए सत्रिढय थे। इस बीच वेटेरन एक्ट्रेस और साधना जी की सहेली वहीदा रहमान और आशा पारेख जी घर से बाहर निकलती हैं - बेहद गक्वमगीन थीं दोनों। मुझे एक फैन धर्मेन्द पाठक भी मिले जो अहमदाबाद से खास तौर पर आए थे, वे शांत और मायूस मेरे पास बैठे थे। हर व्यक्पि मौन,उदास था। मुंबई के एक उपनगरीय इलाके ओशिवारा श्मशान भूमि का बोर्ड लगा हुआ था। श्मशान घाट की बाऊन्ड्री वॉल के बाहर ही टी वी वालों ने ओबी वेन्स लगा रखी थीं। अंत्येष्टि की रस्म के लिए रिश्तदारों में साधना जी के दिवंगत पति आर के नैयर के भाई श्री केवल नैयर, भतीजी गीता, साधना जी की शिमला निवासी ननद सोनिया, साधना जी के कजिन विजय भावनानी, उनके बेटे यशीष भावनानी मौजूद थे। वहीं निर्माता करण जौहर की माँ श्रीमती हीरू जौहर लघु फिल्म निर्माता टी मनवानी आनंद भी थे। पंडित जी ने मत्र आदि पढ़े। आधा घंटे के बाद अपने दौर की इस विलक्षण अभिनेत्री का पार्थिव शरीर विद्युत शव दाह कक्ष में ले जाया जाता है। सभी मौजूद लोगों की आँखों से आसुंओ की धारा बह निकलती है। शोक सभा में मैंने साधना जी को मध्यपदेश के चाहने वालों की ओर से आदरांजलि दी । कई साल से उनका जन्म दिन भोपाल में मनाया जाता है । भारत सरकार की आर्थिक सहायता से सिंधी भाषा में मेरी लिखी साधना की जीवनी सराही गई है। वहां मौजूद पूनम सिन्हा जी को उसकी कापी भेंट करता हूं। साधना जी की सहायिका फ्लोरा बहुत रो रही थीं जो दिवंगत नायिका की बेटी की तरह बरसों साथ रहती रहीं। आखिरी तक साधना का साथ निभाया उसने । मैं उसे सांत्वना के शब्द कहके आगे बढ़ता हूं ।अन्नू कपूर जी इस बीच कई टी वी रिपोर्टर्स से बतियाते रहे बाद में साधना जी के बंगले पर फिर से हेलेन जी और सारिका और अन्य कई अभिनेत्रियों का आगमन हुआ जिनका साधना जी से मैत्री का रिश्ता रहा है। संयोग देखिये की आंखों से पहचान बनाने वाली साधना जी के गीत भी अनोखे थे।उन पर फिल्माए गीतों में नैन , नयन, आंखें, नैना शब्द 43 गीतों में आया है।साधना जी पर अधिकांश लता जी की ही आवाज सूट करती थी।वैसे आशा भोंसले, सुमन कल्याणपुर ने भी उन्हें स्वर दिया। अनेक कर्णपिय गीत ओर भी हैं। इनमें मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा..तुमने पुकारा और हम चले....बहुत शुत्रिढया बड़ी मेहरबानी....अभी न जाओ छोड़कर....तुझे जीवन की डोर से......आप यूँ ही अगर हमसे मिलते रहे...ये दिल दीवाना है दिल तो दीवाना है..... हमने तुझको प्यार....एक बुत बनाऊंगा.....ऐ फूलों की रानी बहारों की मालिका......गोरे गोरे चाँद से मुख पे... ये पर्दा हटा दो... मिला है किसी का झूमका...झुमका गिरा रे.....जो हमने दास्ताँ अपनी सुनाई... आपकी इनायतें आपके करम...मुझे तेरी मोहब्बत का सहारा... मेरे महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की कसम. जरूरत है जरूरत है एक श्रीमती की...यादगार गीत हैं। साधना जी की पमुख फिल्मों में हम लव इन शिमला,आरजू,मेरा साया,परख,दूल्हा दुल्हन, असली नकली, हम दोनों,एक मुसाफिर एक हसीना, गीता मेरा नाम, वंदना, मनमौजी,आप आए बहार आई आदि को याद करते हैं।

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