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संजू सेमसन को फिर से जगह कैसे मिली?

👤 manish kumar | Updated on:24 Nov 2019 5:08 PM GMT

संजू सेमसन को फिर से जगह कैसे मिली?

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जू सेमसन अपने किकेट करियर को लेकर कुं"ित हो गये थे, फ्रतिभाशाली होने के बावजूद उनका करियर आगे बढ़ ही नहीं रहा था। उन्हें लग रहा था कि उनका पतन हो चुका है, इसलिए उन्होंने भारत के लिए खेलने का सपना देखना बंद कर दिया। लगभग चार माह पहले उन्होंने अपने मन के उस स्विच को ऑफ कर दिया जो उन्हें निरंतर नकारात्मक विचार देता था। यह आईपीएल सत्र के बाद की बात है। जब एक माह बाद इंडिया ए की `टेस्ट' व `एकदिवसीय' टीमों की घोषणा हुई तो सेमसन का उनमें नाम नहीं था।

इसलिए संभावित इंडिया कॉल-अप की फ्रतीक्षा करने की बजाय सेमसन थिरुवनंतपुरम के भारतीय खेल फ्राधिकरण केंद्र में नये खिलाड़ियों को ग्रूम करने में अपनी ऊर्जा का निवेश करने लगे। वह साथ ही व्हाट्सएप्प ग्रुप `एमसीजी स्पार्टन्स' के सािढय सदस्य बन गये,जिसमें उभरते ािढकेटर,उनके पेरेंट्स व कुछ वरिष्" खिलाड़ी शामिल हैं। जब युवा तकनीक के बारे में कुछ मालूम करते तो सेमसन उनकी मदद करते,उनसे उन्हें कॉल करने को कहते या अगले दिन ट्रेनिंग के दौरान बात करने को कहते।

बच्चों की मदद करके उन्हें संतुष्टि मिलती। वह उनमें से एक हो गये। जब वह ट्रेनिंग सेंटर पर होते तो वह सिर्फ चेत्ता (मलयालम में बड़े भाई के लिए) होते, न कि संजू सेमसन। भविष्य के लिए सपने व इच्छा लिए इन बच्चों से सेमसन को भी लाभ हुआ। यह बच्चे सेमसन की तैयारी में मदद करने लगे। जब सेमसन को किसी खास किस्म के गेंदबाज का सामना करने की आवश्यकता होती तो वह ग्रुप में मैसेज पोस्ट करते और उन्हें तुरंत `थम्स अप' मिल जाता। केंद्र में हर फ्रकार के गेंदबाज हैं, वह भी जो रोंग फुट पर बॉल करते हैं। अगले दिन सेंटर विकेट पर सेमसन को अपनी पसंद का गेंदबाज मिल जाता।

ट्रेनिंग के बाद सेमसन अपने फ्रैक्टिस ािढकेटरों को ट्रीट देना नहीं भूलते। वह ट्रीट विशेष थी, जब बांग्लादेश के विरुद्ध खेलने वाली भारतीय टी-20 टीम में सेमसन को जगह मिलने पर दी गई थी। सेमसन को सीनियर टीम के साथ टी-20 में एक बार ही खेलने का अब तक अवसर मिला है, 2015 में जिम्बाब्वे के विरुद्ध। उनके आाढमक खेल का पूर्व खिलाड़ी बहुत सम्मान करते हैं,लेकिन उनके पास रनों की संख्या न थी कि भारतीय टीम में अपनी जगह बना पाते।

अच्छा स्कोर करने पर इस विकेटकीपर-बल्लेबाज की चर्चा अवश्य होती, लेकिन उन्हें टीम में जगह न दी जाती। इंडिया ए के लिए झारखंड के इशान किशन का और राष्ट्रीय ड्यूटी के लिए ऋषभ पंत का चयन हो जाता। एक अवसर उस समय खो गया जब पिछले साल इंग्लैंड जाने वाली इंडिया ए टीम से पहले सेमसन यो-यो टेस्ट में असफल हो गये। फिर केरल ािढकेट संघ से हुए विवाद में सेमसन पर दो अलग अलग अवसरों पर `फ्रतिबंध' लगे। लेकिन पिछले एक माह के दौरान उन्होंने सब कुछ बदल कर रख दिया।

दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध एक दिवसीय में 48 गेंदों पर 91 रन और विजय हजारे ट्राफी में गोवा के विरुद्ध 212 रन, जो इस फ्रतियोगिता के इतिहास में सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर है। इसने ही सेमसन के लिए इंडिया कॉल का मार्ग खोला। सेमसन कहते हैं, "मुझे स्वीकार करना होगा कि मैं कुछ बहुत ही खराब दौरों से गुजरा हूं। मेरे करीबी जानते हैं कि मुझ पर क्या गुजरी है और वह सब कितना खराब था। मुझे लगने लगा था कि `मैं ािढकेट क्यों खेल रहा हूं' और `अब मैं क्या करूं'। मैं खो गया था और मेरे पास कोई उत्तर नहीं था। मुझे लगता था कि मैं पूर्णतः असफल हो गया हूं।

मैं सिर्फ मैच में ही असफल नहीं हो रहा था बल्कि मुझे किकेट के संदर्भ में भी नकारात्मक विचार आ रहे थे। लेकिन अब मुड़कर देखता हूं तो लगता है कि अच्छा ही हुआ जो पिछले चार वर्ष के दौरान मैंने इन असफलताओं का अनुभव किया। अगर 19 वर्ष में डेब्यू के बाद चीजें आसान होतीं तो मैं यह जान ही न पाता कि असफलता के बाद किस तरह उ"ा जाता है।' अपने क"िन समय में सेमसन मुंबई के पूर्व सलामी बल्लेबाज जुबिन भरुचा, जो राजस्थान रॉयल्स के ािढकेट फ्रमुख हैं, जिसने सेमसन को पहला बड़ा ब्रेक दिया था, पर आश्रित थे।

भरुचा सेमसन को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं। दोनों की वार्ता केवल तकनीक तक सीमित नहीं रहती थी। भरुचा का कहना है, "लोगों को शायद यह मालूम नहीं है कि सेमसन अति जटिल व्यक्ति हैं। चीजें उन्हें बहुत फ्रभावित करती हैं। वह बहुत अधिक सोचते हैं, बहुत धार्मिक हैं और बहुत ईमानदार हैं। वह कृत्रिम नहीं हैं। हम ािढकेट से आगे जीवन के मूल्य के बारे में बातें करते। सेमसन व उनकी सोच को समझना महत्वपूर्ण है। वह किकेट फ्रतिभा हैं जो अपनी राह भटक गये हैं। उन्हें वह खोजना था जो उन्हें खेलने के लिए फ्रेरित करता है, उन्हें अपने मन पर विजय पानी थी, और अपने आपको खोजना था। एमसीजी स्पार्टन्स में युवा किकेटरों को मेंटर करके सेमसन ने अपने लिए भी फिर से किकेट की खुशी खोज ली है।' दरअसल, सेमसन स्पेशल टैलेंट हैं, जिनकी वैल्यू करना आवश्यक है। अगर आप इस स्पेशल टैलेंट को वैल्यू करेंगे जैसा कि टेस्ट में निरंतर असफलता के बावजूद रोहित शर्मा को किया गया है, तो निरंतरता अपने आप आ जायेगी।

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